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INS विराट को म्यूजियम में बदलने की बात कई साल से हो रही है लेकिन ये हो क्यों नहीं पा रहा है?

गिनीज बुक में नाम दर्ज करा चुके इस युद्धपोत को पांच प्रतिशत तक तोड़ा जा चुका है.

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भारत में 30 साल की सेवा के बाद 2017 में रिटायर होने वाले INS विराट को म्यूजियम में बदलने की अनुमित देने से रक्षा मंत्रालय ने साफ मना कर दिया है. (फाइल फोटो-इंडियन नेवी के ट्विटर हैंडल से)
साल था 2019. महीना था मई का. लोकसभा का चुनाव चल रहा था. 9 मई को चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को निशाने पर लिया. मोदी ने कहा,
‘दोस्तों, क्या आपने कभी सुना है कि कोई अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाने के लिए किसी युद्धपोत पर गया हो. इस सवाल पर चौंकिए मत. हमारे देश में ऐसा हुआ है. कांग्रेस के सबसे बड़े नामदार ने देश की शान INS विराट को व्यक्तिगत टैक्सी की तरह इस्तेमाल किया है.
मोदी के बयान के बाद खूब हंगामा हुआ. उन्होंने इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए ये बयान दिया था. इसके बाद इंडिया टुडे ने RTI के जरिए रक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा. रक्षा मंत्रालय ने इंडिया टुडे को जो जवाब दिया, उससे साफ था कि राजीव गांधी ने INS विराट को निजी टैक्सी की तरह इस्तेमाल नहीं किया.
रिटायर्ड IAS अधिकारी हबीबुल्लाह ने तब कहा था,
‘राजीव गांधी और सोनिया गांधी एक सरकारी हेलिकॉप्टर से लक्षद्वीप में उतरे थे. INS विराट पीएम की बैकअप सुरक्षा के लिए समुद्र में था. प्रधानमंत्री को बैकअप सुरक्षा की आवश्यकता थी. समुद्र के बीच में युद्धपोतों के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था’
लेकिन ये वाकया हम आपको क्यों सुना रहे हैं? पीएम मोदी ने जिस INS विराट का जिक्र कर कांग्रेस पर हमला बोला था, उसका इतिहास किसी पीएम के लिए बैकअप सुरक्षा के तौर पर समुद्र में तैनात होने भर से नहीं है. INS विराट को दुनिया के सबसे पुराना कैरियर होने का गौरव हासिल है. इसने 30 साल तक देश की सेवा की. इसके बाद 2017 में इसे भारतीय नौसेना से रिटायर कर दिया गया. लेकिन अपने रिटायरमेंट के बाद भी रह-रह कर खबरों में आ ही जाता है.
Ins Viraat1 रिटायरमेंट के बाद का INS विराट. फाइल फोटो-PTI

INS विराट फिर खबरों में है. NDTV की हालिया खबर के मुताबिक, INS विराट को आंशिक रूप से नष्ट कर दिया गया है. सामने आई तस्वीर में दिख रहा है कि INS विराट के अगले हिस्से को ध्वस्त किया जा चुका है. वहीं इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, इसका लगभग पांच प्रतिशत हिस्सा तोड़ा जा चुका है.

म्यूजियम बनाने की NOC नहीं मिली

युद्धपोत ​​INS विराट को ​टूटने से बचाने की योजना को ​​रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में खारिज कर दिया था. इस ऐतिहासिक युद्धपोत को बचाने ​के लिए ​मुंबई की कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड ​ने ​​​बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. ​
कोर्ट ने मंत्रालय से जवाब मांगा. मंत्रालय ने ​कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में ​कहा कि ​विराट ​को संग्रहालय में बदलने के लिए ​​​​NOC नहीं दी जा सकती. एन्वीटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्रा. लि. इस युद्धपोत को खरीदना चाहती थी. इसे गोवा की सरकार के साथ मिलकर संग्रहालय में तब्दील करने की इच्छुक है. कंपनी अब अपनी मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सकती है.
अब चीन भारत से बातचीत के लिए बेचैन दिखता है. मॉस्को में चीन के रक्षा मंत्री की भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बातचीत शेड्यूल है. (फोटो-पीटीआई) राजनाथ सिंह के मंत्रालय ने INS विराट को म्यूजियम में बदलने की अनुमति देने से मना कर दिया है. (फाइल फोटो-PTI)

जिस समय INS विराट रिटायर हुआ उस समय नौसेना से जुड़े कई अधिकारियों ने इच्छा जताई थी कि इस जहाज़ को म्यूज़ियम बना दिया जाए. कई पूर्व सैनिकों ने कहा था कि देश ने चार लड़ाइयां लड़ी हैं, ऐसे में सेना के योगदान को याद रखने के लिए कम से कम एक म्यूज़ियम होना ही चाहिए. नौसेना के कुछ बड़े अधिकारियों ने विराट को डुबोकर अंडर वॉटर म्यूज़ियम बनाने का भी सुझाव दिया था.

इसे खरीदने वाले श्रीराम ग्रुप का क्या कहना है?

गुजरात के अलंग स्थित श्रीराम ग्रुप ने 38.54 करोड़ रुपए की बोली लगाकर ​जहाज को अपने नाम कर लिया था. मंत्रालय का दावा है कि श्री राम ग्रुप म्यूजियम बनाने के प्रस्ताव के पक्ष में नहीं है. ग्रुप ने हाईकोर्ट में कहा कि वह INS विराट को तोड़कर स्क्रैप में तब्दील करने की योजना से अलग किसी और प्रस्ताव में शामिल होने का इच्छुक नहीं है.
इससे पहले सितंबर में श्रीराम ग्रुप के चेयरमैन और एमडी मुकेश पटेल ने कहा था कि वह सबसे बड़ी बोली लगाने वाले को युद्धपोत बेचना चाहते हैं. श्रीराम ग्रुप ने इसकी कीमत 100 करोड़ रुपए लगाई थी. मुकेश पटेल ने कहा था कि यह पोत नीलामी में कबाड़ के तौर पर खरीदा गया था. संभावित खरीदार को इसे खरीदने के लिए रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लेना होगा. उन्होंने कहा था कि मैंने यह पोत देश प्रेम की वजह से खरीदा, अब मुंबई की एक कंपनी पोत को संग्रहालय में बदलना चाहती है, चूंकि वे भी देशभक्ति की वजह से ऐसा कर रहे हैं, इसलिए मैं उन्हें पोत बेचने को राजी हो गया.
Mukesh Patel श्रीराम ग्रुप के चेयरमैन और एमडी मुकेश पटेल.

हालांकि पटेल ने यह भी कहा था कि यह पेशकश सीमित समय के लिए है. उन्होंने कहा था,
मुझे बताया गया है कि कंपनी NOC लेने के लिए काफी कोशिशें कर रही है, लेकिन मैं हमेशा के लिए प्रतीक्षा नहीं कर सकता. मैं एक और हफ्ते इंतजार करूंगा. इसके बाद मैं पोत को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दूंगा.
एनवीटेक्ट मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक निदेशक वीके शर्मा ने युद्धपोत खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी. उन्होंने पहले केंद्र सरकार से NOC हासिल करने का विश्वास व्यक्त किया था. जिससे INS विराट को संग्रहालय में बदला जा सके. लेकिन NOC मिली नहीं है.

महाराष्ट्र सरकार ने भी इच्छा जताई

इस बीच 14 दिसंबर को शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर INS विराट को संरक्षित करने के लिए रक्षा मंत्रालय से NOC मांगा. उन्होंने अपने लेटर में लिखा कि INS विराट देश और नौसेना का गौरव रहा है. नौसेना की विरासत को कबाड़ में बदलने से हमारी धरोहर नष्ट हो जाएगी. अगर रक्षा मंत्रालय का NOC मिलता है तो महाराष्ट्र सरकार को ऐतिहासिक युद्धपोत के पुनरोद्धार और संरक्षण करने में खुशी होगी. यह दुख की बात है कि युद्धपोत को संग्रहालय का प्रस्ताव पहले ही दिया जा चुका है, लेकिन रक्षा मंत्रालय इसके लिए NOC नहीं दे रहा है. पिछले साल जुलाई में, केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि INS विराट को स्क्रैप करने का फैसला भारतीय नौसेना के उचित परामर्श में लिया गया है.

क्या है INS विराट का इतिहास?

INS विराट 1944 में बनना शुरू हुआ. बीच में कुछ समय के लिए इस जहाज़ का प्रोडक्शन रोक दिया गया. मगर इसकी उम्र 1944 से ही गिनी जाती है. ये जहाज़ दुनिया का सबसे पुराना वर्किंग एयरक्राफ्ट कैरियर रहा. इस जहाज़ को ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी’ भी कहा जाता था. जब ये जहाज़ ब्रिटिश नौसेना का हिस्सा था तब इसका नाम ‘HMS हरमीज़’ था. भारतीय नौसेना ने इस जहाज़ को अपने बेड़े में 12 मई 1987 को शामिल किया था.
6 मार्च 2017 को रिटायर होने से पहले इसने भारतीय नौसेना में 30 वर्ष तक सेवा दी. इससे पहले ब्रिटेन के रॉयल नेवी में 25 वर्षों तक सेवा दी. इसका ध्येय वाक्य 'जलमेव यस्य, बलमेव तस्य' था. जिसका मतलब होता है, 'जिसका समंदर पर कब्जा है वही सबसे बलवान है. इस सूक्ति को सबसे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनाया था, जिन्होंने 17वीं शताब्दी में इसे अपनी सेना के लिए इस मार्गदर्शक सिद्धांत बनाया था.
226 मीटर लंबा और 49 मीटर चौड़े INS विराट ने भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद जुलाई 1989 में ऑपरेशन जूपिटर में पहली बार श्रीलंका में शांति स्थापना के लिए ऑपरेशन में हिस्सा लिया था. संसद हमले के बाद हुए 2001 के ऑपरेशन पराक्रम में हिस्सा लिया था.

क्या खासियत रही?

करीब 745 फुट लंबे इस जहाज़ में एक छोटा-मोटा शहर बसता था. इस पर लाइब्रेरी, जिम, ATM, टीवी, वीडियो स्टूडियो, अस्पताल, दांतों के इलाज का सेंटर और मीठे पानी का डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाएं थीं. फुल लोडेड होने पर विराट का वजन 28,700 टन होता था. जहाज़ पर 150 अफसर और 1500 नाविक रह सकते थे.
Ins Viraat2 INS विराट भारतीयन नौसेना में शामिल होने से पहले ब्रिटेन के रॉयल नेवी में 25 वर्षों तक सेवा दे चुका था. फाइल फोटो-PTI

INS विराट ने छह दशक से ज्यादा समय समुद्र में बिताए. इस दौरान इसने दुनिया के 27 चक्कर लगाने में 1,094,215 किलोमीटर का सफर किया. विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है. ये दुनिया का एकलौता ऐसा जहाज है जो इतना बूढ़ा होने के बाद भी इस्तेमाल किया जा रहा था और बेहतर हालत में था. पश्चिमी नौसेना कमान की तरफ से एक बार बताया गया था कि यह इतिहास में सबसे ज्यादा सेवा देने वाला पोत रहा.
यह दुनिया का पहला ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसके नाम पर सबसे ज्यादा नेवल ऑपरेशन्स में शामिल होने का रिकॉर्ड है. भारतीय नौसेना में विराट ने 2252 दिन बीच समंदर में बिताए. इस दौरान इसने 10 लाख 94 हजार 215 किलोमीटर की यात्रा की. इस युद्धपोत से लड़ाकू विमानों ने 22 हजार 622 घंटे की उड़ान भरी.

2014 में रिटायरमेंट पर फैसला हुआ

विराट के बड़े आकार और उसकी उम्र के चलते उसको मेंटेन करने की कीमत बढ़ती जा रही थी. साल 2014 में एक रिव्यू बोर्ड ने इसे रिटायर करने का फैसला लिया. और 6 मार्च 2017 को इसे रिटायर कर दिया गया.
Ins Viraat4 सवाल बरकरार है, क्या INS विराट को संग्रहाल में बदलने की अनुमति मिल पाएगी? फाइल फोटो-PTI

हालांकि INS विराट को पहले भी म्यूज़ियम बनाने के लिए कदम आगे बढ़ाने के बाद पीछे खींचना पड़ा था.. 2015 में इस जहाज़ को आंध्र प्रदेश की सरकार को दे दिया गया था. घोषणा की गई थी कि इसे म्यूज़ियम में बदल दिया जाएगा. 8 फरवरी 2016 को आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने भी इसकी पुष्टि की थी. उस समय बताया गया था कि इस जहाज़ की रीफिटिंग का खर्चा 20 करोड़ आएगा. लेकिन बाद में तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा कि इस पूरे प्रोजेक्ट में 1,000 करोड़ का खर्च आएगा. साथ ही इसे तूफान आदि में सुरक्षित रखने वाली जगह की भी ज़रूरत पड़ेगी. खर्च की बात को लेकर सरकार ने कदम वापस ले लिए.

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