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ED ने सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा को क्यों धरा? इन्हीं के ट्विन टावर गिराए गए थे

जब ट्विन टावर गिराए गए तो आरे अरोड़ा ने कहा था- 'बाकी प्रोजेक्ट्स पर फर्क नहीं पड़ेगा.'

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सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन RK अरोड़ा को ED ने गिरफ्तार कर लिया है. दाईं तस्वीर ट्विन टावर्स को गिराए जाने की है. (सोर्स- आजतक-PTI)

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार, 27 जून को कंस्ट्रक्शन कंपनी ‘सुपरटेक’ के चेयरमैन आरके अरोड़ा (Supertech Group Chairman RK Arora ) को मनी लॉन्डरिंग के मामले में गिरफ्तार कर लिया. तीन दिन पहले ED ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था जो लगातार जारी रही. इसके बाद ED ने अरोड़ा की गिरफ्तारी हुई.

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सुपरटेक ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ हरियाणा, दिल्ली और यूपी में दर्ज कई FIR के आधार पर ED ने प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत जांच शुरू की थी. FIR में सुपरटेक और उसके निदेशकों पर आरोप था कि उन्होंने फ्लैट खरीदने वालों से एडवांस में पैसे ले लिए लेकिन उन्हें वायदे के मुताबिक वक़्त पर फ्लैट का कब्जा नहीं दिया. इसके बाद 11 अप्रैल को ED ने सुपरटेक कंपनी और इसके डायरेक्टर्स की 40 करोड़ 39 लाख रुपए की संपत्ति जब्त कर ली थी. यूपी के मेरठ में कंपनी के 'मेरठ मॉल' सहित उत्तराखंड में कुल 25 प्रॉपर्टीज जब्त की गई थीं. नोएडा में सुपरटेक का मेन ऑफिस भी सील कर दिया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस अख़बार से बात करते हुए ED के एक अधिकारी ने बताया कि ED की जांच में सुपरटेक लिमिटेड का ‘खेल’ सामने आया. सुपरटेक और उसके समूह की कंपनियों ने घर खरीदने वालों से पैसे इकठ्ठा किए और बैंकों/वित्तीय संस्थानों से फ्लैट्स के प्रोजेक्ट के लिए टर्म लोन लिया. लेकिन इस पैसे का कथित रूप से गलत इस्तेमाल करते हुए ग्रुप की दूसरी कंपनियों के नाम जमीन खरीदी गई और उस जमीन को फिर से लोन चुकाने के लिए गिरवी रख दिया गया.

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कौन हैं आरके अरोड़ा?

आरके अरोड़ा ने रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री ली थी. 7 दिसंबर 1995 को उन्होंने अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी सुपरटेक लिमिटेड की नींव रखी. सुपरटेक लिमिटेड की वेबसाइट के मुताबिक आरके अरोड़ा को सबसे पहला प्रोजेक्ट गाजियाबाद में मिला. उन्होंने वैशाली इलाके में एक रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स बनाया. बाद में इस कंपनी ने मेरठ, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली-NCR इलाके सहित देश भर के 10 से ज्यादा शहरों में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट शुरू किए. धीरे-धीरे अरोड़ा ने अलग-अलग कामों के लिए 30 से ज्यादा कंपनियां बना डालीं.

आरके अरोड़ा की पत्नी संगीता अरोड़ा भी जमीन से जुड़े कारोबार में उनकी हिस्सेदार रही हैं. जबकि बेटे मोहित अरोड़ा सुपरटेक लिमिटेड के बोर्ड मेंबर हैं. साल 1999 में संगीता अरोड़ा ने सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक और कंपनी खड़ी की. बाद में आरके अरोड़ा भी इस कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में शामिल हो गए. संगीता भी, ग्रुप की कई कंपनियों में अलग-अलग पदों पर रहीं. 

अरोड़ा ने जमीन के अलावा कई और धंधों में भी हाथ आजमाया. साल 2013 में अरोड़ा और उनके कुछ सहयोगियों ने मिलकर सुपरटेक एविएशन प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की. लेकिन सुपरटेक का ये प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अरोड़ा ने फिल्म्स, प्रिंटिंग, पावर जैसे सेक्टर में भी कदम रखने की कोशिश की. यहां तक कि कब्रिस्तान विकसित करने के लिए भी एक कंपनी बनाई. इन कंपनियों में आरके अरोड़ा के बेटे मोहित भी ऊंचे पदों पर रहे.

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सुपरटेक के ट्विन टावर्स गिराए गए

आरके अरोड़ा का नाम सबसे ज्यादा तब चर्चा में आया जब साल 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नोएडा के सेक्टर-93ए में बने सुपरटेक के ट्विन टावर्स गिराने का आदेश दे दिया. सुपरटेक ने नोएडा की अपनी रेजिडेंशियल सोसायटी में 1000 फ्लैट्स वाले 40 मंजिला 2 टावर बनाए थे. निर्माण में अनियमितता बरते जाने की बात सामने आई. जांच हुई तो दोनों टावर्स का कंस्ट्रक्शन मानकों के मुताबिक़ नहीं था. 

हाई कोर्ट के इस ऑर्डर को नोएडा अथॉरिटी और सुपरटेक दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में भी चैलेंज किया था. इस दौरान तमाम जांचें और हुईं. सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत की बात सामने आई जिन पर कार्रवाई भी हुई. सोसायटी बनाने के लिए ग्रीन बेल्ट की जमीन पर अवैध कब्जे का खुलासा भी हुआ. इसके बाद साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए ट्विन टावर्स को गिराने का अंतिम आदेश जारी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोनों टावर्स गिराए जाएंगे, फ़्लैट मालिकों को उनका पैसा वापस दिया जाएगा और सुपरटेक कंपनी टावर्स के गिराने में आने वाला खर्च खुद उठाएगी. और आख़िरकार 28 अगस्त 2022 को ट्विन टावर्स को जमींदोज कर दिया गया.

अरोड़ा ने कहा, ‘कोई फर्क नहीं पड़ेगा’

देश में यह इस तरह का पहला मामला था कि बिल्डरों की मनमानी को रोकने के लिए इतनी बड़ी कार्रवाई की गई हो. इन टावरों के भरभराकर गिरने से सुपरटेक के अलावा मनमानी करने वाले दूसरे बिल्डर्स के बीच भी सख्त संदेश गया. ट्विन टावर्स ढहने के बाद बड़ा सवाल था कि सुपरटेक के निर्माणधीन दूसरे प्रोजेक्ट्स पर क्या असर होगा?

तब इंडिया टुडे ने अरोड़ा से बात की थी. इस बातचीत के दौरान अरोड़ा ने भरोसा जताया कि ट्विन टावर्स के गिराए जाने से ग्रुप के दूसरे प्रोजेक्ट्स पर कोई असर नहीं होगा. कहा कि इन इमारतों को ढहाए जाने से पहले भी कंपनी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा था कि हम 70 हजार से ज्यादा फ्लैट्स की डिलीवरी कर चुके हैं. करीब 20 हजार फ्लैट्स बनाए जा रहे हैं. 952 फ्लैट्स वाले इन दोनों टावर्स के गिराए जाने से कंपनी के बाकी प्रोजेक्ट्स को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

अरोडा ने कहा था कि सुपरटेक ग्रुप के पास 10 हजार करोड़ का नेटवर्थ है. हालांकि, ट्विन टावर्स मामले में कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ. बताया गया फ्लैट बनाने और रिफंड करने में सुपरटेक के 500 करोड़ डूब गए. अब अरोड़ा कंपनी के पास पैसे की कमी (कैश क्रंच) की बात कहने लगे. बोले कि बाकी बचे फ्लैट्स, जो 60 से 80 फीसदी तक बन चुके थे, उन्हें पूरा करने के लिए पैसे का इंतजाम करने में जुटे हैं. अरोड़ा ने भरोसा जताया था कि वो अगले 2 साल में बाकी बचे अपार्टमेंट्स को भी पूरा कर देंगे. 

लेकिन इधर सुपरटेक ग्रुप का एक और प्रोजेक्ट दिवालिया प्रक्रिया में चला गया. यह प्रोजेक्ट ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित इकोविलेज-2 था. कंपनी के मुताबिक इकोविलेज-2 के 3009 फ्लैट्स और ट्विन टावर्स के 952 फ्लैट्स मिलाकर करीब 4000 फ्लैट ऐसे थे जो विवादों में फंस गए.

फ्लैट के लिए एडवांस में पैसा दे चुके लोगों ने पुलिस के अलावा रियल एस्टेट विनियमन और विकास अधिनियम (RERA) में भी शिकायतें की थीं. बिल्डर्स की मनमानी पर रोक लगाने और घर खरीदारों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए 2016 में RERA बनाया गया था. घर के अलॉटमेंट में देरी हो या अलॉटमेंट कैंसिल करने पर बिल्डर बुकिंग की रकम ना लौटा रहा हो, इन सब तरह की शिकायतों के लिए घर खरीदार RERA के पास जा सकते हैं. RERA एक्ट के तहत इन शिकायतों का निपटारा होता है. 

आजतक से जुड़े मुनीश पांडेय की खबर के मुताबिक, सुपरटेक ग्रुप की टाउनशिप प्रोजेक्ट लिमिटेड पर RERA का 33 करोड़ 56 लाख रुपए बाकाया था. इसे लेकर सुपरटेक को कई बार नोटिस भी जारी किए गए. लेकिन सुपरटेक ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. fसके बाद कंपनी का हेडऑफिस सील किया गया और फिर ED ने मामला अपने हाथ में लेकर जांच शुरू की. आख़िरकार आरके अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया गया.

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