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पिछले कई दिनों से प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं DTU के 700 से अधिक छात्र?

यूनिवर्सिटी के खिलाफ हाई कोर्ट तक पहुंच गए हैं छात्र.

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दिल्ली टेक्नीकल यूनिवर्सिटी में सैकड़ों छात्र पिछले कई साल से प्रदर्शन कर रहे हैं.
दिल्ली टेक्नीकल यूनिवर्सिटी के सैकड़ों छात्र पिछले कई दिनों से यूनिवर्सिटी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इन छात्रों का आरोप है कि दिल्ली टेक्नीकल यूनिवर्सिटी ने उनके साथ धोखाधड़ी की है. ये सभी छात्र बीटेक कोर्स के हैं और इवनिंग शिफ्ट में पढ़ते हैं. इन छात्रों की मांग है कि इन्हें रेगुलर कोर्स की डिग्री दी जाए.
क्या है मामला?

डीटीयू के 700 से अधिक छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं.

2009 में दिल्ली टेक्नीकल यूनिवर्सिटी को यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला था. इससे पहले ये सिर्फ एक कॉलेज भर था. 2009 में यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने के बाद इस यूनिवर्सिटी ने बीटेक, एमटेक, पीएचडी और एमबीए का कोर्स शुरू किया. ये सभी कोर्स सुबह की शिफ्ट के थे और इन्हें रेग्युलर कोर्स कहा जाता था. इसकी क्लास सुबह 8 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक होती थी. इसके साथ ही यूनिवर्सिटी ने शाम की शिफ्ट में चार साल का बीटेक कोर्स शुरू कर दिया. इस कोर्स का मकसद ऐसे लोगों को बीटेक की डिग्री देना था, जो सिर्फ डिप्लोमा होल्डर थे और एक साल या उससे ज्यादा वक्त से कहीं नौकरी कर रहे थे. मकसद ये था कि नौकरी कर रहे लोगों को भी हायर एजुकेशन मिल सके. इसे पार्ट टाइम कोर्स कहा गया और इसकी क्लास शाम के 6 बजे से लेकर रात के 9 बजे तक चलती थी. डीटीयू की इवनिंग शिफ्ट में एडमिशन लेने के लिए किसी छात्र के पास डिप्लोमा और कम से कम एक साल के अनुभव की ज़रूरत थी. लेकिन 2017 में डीटीयू ने इस ज़रूरत को खत्म कर दिया. अब कोई भी छात्र इवनिंग शिफ्ट में एडमिशन ले सकता था. 2017-18 और 2018-19 के सेशन में करीब 700 छात्रों ने एडमिशन ले लिया. और अब जब छात्रों को पता चला है कि उन्हें जो डिग्री मिलने वाली है, वो रेग्युलर नहीं बल्कि पार्ट टाइम है तो अब वो अपनी डिग्री को रेग्युलर करने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.
क्या कहते हैं नियम?

यूनिवर्सिटी ने आरटीआई में बताया कि डीटीयू का इवनिंग कोर्स रेग्युलर कोर्स है.

ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्नीकल एजुकेशन और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन का कहना है कि बिना डिप्लोमा और बिना एक साल के अनुभव के छात्रों का एडमिशन सिर्फ रेगुलर बैच में ही हो सकता है. 2017 में जब डीटीयू ने डिप्लोमा और अनुभव की ज़रूरत को खत्म कर दिया तो छात्रों को लगा कि ये एक रेग्युवर कोर्स है, जो शाम के वक्त में चलेगा. डीटीयू ने इसके लिए बाकायदा एक ऑर्डिनेंस भी जारी किया. इस ऑर्डिनेंस के सेक्शन C- 5A में लिखा गया था कि इवनिंग शिफ्ट में एडमिशन लेने वाला हर स्टूडेंट रेग्युलर कोर्स का है. और इस कोर्स का वक्त शाम के छह बजे से लेकर रात के 9 बजे तक होगा. इसकी फीस करीब 5.50 लाख रुपये है. इस ऑर्डिनेंस को देखते हुए छात्रों ने एडमिशन ले लिया. इसके अलावा छात्रों ने यूनिवर्सिटी से एक आरटीआई के तहत जानकारी मांगी और इस कोर्स के बारे में पूछा कि ये रेग्युलर है या नहीं. 20 जुलाई, 2018 को यूनिवर्सिटी की ओर से जो जवाब आया, उसमें साफ तौर पर कहा गया था कि ये एक रेग्युलर कोर्स है.
कैसे खुला मामला?
यूनिवर्सिटी ने दूसरी आरटीआई के जवाब में कहा था कि इवनिंग कोर्स पार्ट टाइम कोर्स है.
यूनिवर्सिटी ने दूसरी आरटीआई के जवाब में कहा था कि इवनिंग कोर्स पार्ट टाइम कोर्स है.

2017-18 और 2018-19 के छात्रों ने सितंबर 2018 में दिल्ली सरकार की छात्रवृत्ति के लिए फॉर्म भरा. इस फॉर्म में जब उन्होंने अपने कोर्स और यूनिवर्सिटी का जिक्र किया तो उन्हें ऑप्शन में भरने के लिए कहा गया कि वो बताएं कि वो रेग्युलर छात्र हैं या फिर पार्ट टाइम. इसके बाद छात्रों को पता चला कि उन्होंने जिस कोर्स में एडमिशन ले रखा है, वो पार्ट टाइम है. इसके बाद छात्रों ने यूनिवर्सिटी में एक आरटीआई और लगाई और कोर्स के बारे में पूछा. यूनिवर्सिटी ने जवाब दिया कि ये एक पार्ट टाइम कोर्स है. इसके बाद छात्रों का गुस्सा भड़क गया और वो प्रदर्शन करने लगे. छात्रों का कहना है कि उनकी ये पार्ट टाइम डिग्री किसी भी पीएसयू (पब्लिक सेक्टर यूनिट) में मान्य नहीं है. अगर वो किसी पीएसयू में नौकरी के लिए अप्लाई ही नहीं कर सकते हैं तो फिर उनकी डिग्री का मतलब ही क्या है.
शिक्षा मंत्री तक पहुंचा मामला
इवनिंग कोर्स के छात्रों ने ये मामला दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के सामने भी उठाया था.
इवनिंग कोर्स के छात्रों ने ये मामला दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के सामने भी उठाया था.

13 दिसंबर को दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया यूनिवर्सिटी में थे. उन्हें छात्रों को डिग्री बांटनी थी. रेग्युलर कोर्स के छात्रों को तो मनीष सिसोदिया ने डिग्री दे दी, लेकिन पार्ट टाइम वाले छात्र प्रदर्शन करने लगे. इसके बाद शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने छात्रों को आश्वासन दिया कि वो इस मामले को देखेंगे, लेकिन अभी तक इस मुद्दे पर फैसला नहीं हुआ है.
क्या कह रही है यूनिवर्सिटी?
रेग्युलर कोर्स के छात्र कह रहे है कि अगर इवनिंग वालों को रेग्युलर की डिग्री दी जाएगी, तो वो भी आंदोलन करेंगे.
रेग्युलर कोर्स के छात्र कह रहे है कि अगर इवनिंग वालों को रेग्युलर की डिग्री दी जाएगी, तो वो भी आंदोलन करेंगे.

दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर हैं योगेश सिंह. उनका कहना है कि इस कोर्स को लेकर छात्रों में कुछ कन्फ्यूजन है, जिसे जल्दी ही दूर कर लिया जाएगा. योगेश सिंह के मुताबिक रेग्युलर कोर्स और पार्ट टाइम कोर्स की पढ़ाई के घंटों में अंतर होता है. पार्ट टाइम कोर्स में सिर्फ तीन घंटे की क्लास होती है. ऐसे में अगर सिर्फ तीन घंटे पढ़ाकर ही छात्रों को रेग्युलर की डिग्री दे दी जाएगी, तो ये रेग्युलर वाले छात्रों के साथ अन्नाय होगा. ठीक यही बात रेग्युलर वाले छात्र भी कह रहे हैं. उनका कहना है कि वो पार्ट टाइम की तुलना में पढ़ाई में ज्यादा वक्त देते हैं तो उनकी डिग्री और पार्ट टाइम वालों की डिग्री एक जैसी कैसे हो सकती है. रेग्युलर छात्रों का कहना है कि अगर पार्ट टाइम वाले छात्रों को रेग्युलर की डिग्री दी जाएगी, तो वो कोर्ट जाएंगे.
नहीं मिल रहा है प्लेसमेंट

इवनिंग कोर्स वाले छात्रों का कहना है कि उन्हें रेग्युलर कोर्स वालों की तरह प्लेसमेंट नहीं मिल पा रहा है.

एक ही यूनिवर्सिटी दिल्ली टेक्नीकल यूनिवर्सिटी से छात्रों को दो तरह की डिग्री मिल रही है. एक है फुल टाइम और दूसरी है पार्ट टाइम. फिलहाल दिल्ली टेक्नीकल यूनिवर्सिटी में कैंपस प्लेसमेंट चल रहा है. दोनों ही तरह के छात्र कैंपस प्लेसमेंट में शामिल हो रहे हैं. लेकिन पार्ट टाइम छात्रों को ये कहकर रिजेक्ट कर दिया जा रहा है कि उनकी डिग्री पार्ट टाइम है. इसके बाद छात्रों ने आंदोलन का फैसला किया है और साथ ही उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है. डीटीयू के छात्र अमरेंद्रु त्रिपाठी का कहना है कि

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