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अगर आप छींक रोकते हैं, तो खैर मनाइए अभी तक जिंदा हैं

एक आदमी ने छींक रोकी थी.

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छींक रोकने की कोशिश जानलेवा साबित हो सकती है.
छींक आने पर आपके शरीर के अंदर हवा की रफ्तार कितनी होती है, पता है? 100 मील प्रति घंटा. बल्कि इससे भी ज्यादा. कभी सोचा है कि इतनी तेज रफ्तार हवा को रोकने की कोशिश आपको कितनी भारी पड़ सकती है?
सर्दी-खांसी होना बहुत आम है. मौसम बदला नहीं कि नाक पनीली महसूस होने लगती है. फिर छींकते-छींकते जान आफत में आ जाती है. कई बार आप जब लोगों के बीच होते हैं, तो नाक दबाकर और मुंह बंद करके छींक रोक लेते हैं. ज्यादा तमीजदार बनने के चक्कर में. अगर आपको भी ऐसा करने की आदत है, तो छोड़ दीजिए. ये आदत आपको बहुत भारी पड़ सकती है. जैसे एक 34 साल के आदमी के साथ हुआ. उसे छींक आ रही थी. इसे रोकने के लिए उसने नाक पकड़ी और मुंह बंद कर लिया. छींक को बाहर निकलने की जगह नहीं मिली. इससे गले के पीछे की ओर जोर पड़ा और वहां छेद हो गया. छींक के फोर्स के कारण गले की नाजुक मांसपेशियों में छेद हो गया. जाहिर है, उसे बहुत दर्द हुआ. न कुछ बोल पा रहा था और न कुछ निगल पा रहा था. उसे अस्पताल ले जाया गया. वहां करीब एक हफ्ते तक उसका इलाज हुआ. डॉक्टर ट्यूब की मदद से उसके अंदर लिक्विड डाल रहे थे. मरीज की जांच से पता चला कि छींक रोकने के कारण उसके गले का पिछला हिस्सा, जिसे डॉक्टर फारनक्स कहते हैं, टूट गया था.
ये उस शख्स की एक्स-रे रिपोर्ट है. जहां काला तीर है, वहां गले का पिछला हिस्सा है. जहां छींक रोकने के कारण हवा घुस गई. जहां सफेद तीर है, वहां के हिस्से में सूजन साफ नजर आ रही है (फोटो: BMJ)
ये उस शख्स की एक्स-रे रिपोर्ट है. जहां काला तीर है, वहां गले का पिछला हिस्सा है. जहां छींक रोकने के कारण हवा घुस गई. जहां सफेद तीर है, वहां के हिस्से में सूजन साफ नजर आ रही है (फोटो: BMJ)

एक मेडिकल पत्रिका में छपा है ये केस डॉक्टरों की एक पत्रिका है. बीएमजे केस रिपोर्ट्स. इसमें नए मामले, रिसर्च वगैरह की जानकारियां छपती हैं. वहीं इस केस का भी जिक्र है. लिखने वाले डॉक्टरों ने लिखा है कि उस शख्स के साथ और बुरा हो सकता है. नाक बंद करके छींक रोकने की कोशिश में उसकी जान भी जा सकती थी. जिन डॉक्टरों ने ये लिखा है, वो यूनिवर्सिटी हॉस्पीटल ऑफ लेसेस्टर NHS ट्रस्ट में काम करते हैं. उन्होंने लोगों को हिदायत देते हुए लिखा:
नाक के छेद ढककर और मुंह बंद करके छींक रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. इससे बहुत गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं. फेफड़े के पास की जगह में हवा फंस सकती है. यहां तक कि दिमाग में खून ले जाने वाली नसें भी फट सकती हैं.
हवा के जोर के कारण गले की मांसपेशियों में छेद हो सकता है. यहां तक कि इंसान की जान भी जा सकती है (फोटो: विकीपीडिया)
हवा के जोर के कारण गले की मांसपेशियों में छेद हो सकता है. यहां तक कि इंसान की जान भी जा सकती है (फोटो: विकीपीडिया)

छींकते समय शरीर के अंदर हवा का बहुत तेज प्रेशर होता है डॉक्टरों के मुताबिक, छींक के समय हमारी सांस की नली और सीने में हवा का बहुत तेज दबाव होता है. फिर जब कोई नाक और मुंह बंद करके छींक रोकने की कोशिश करे, तो एकाएक प्रेशर और ज्यादा बढ़ जाता है. शरीर के इस हिस्से में मांसपेशियां वन-वे टाइप होती हैं. क्योंकि इनका काम बस हमारे खाये-पीये को निगलने में मदद करना होता है. ऐसे में जब हवा का दबाव बढ़ता है और उसे बाहर निकलने की जगह नहीं मिलती, तो मांसपेशियों में छेद होने का खतरा पैदा हो जाता है. डॉक्टरों की ये चेतावनी आप भी याद रखिएगा. अगली बार नाक-मुंह बंद करके छींक रोकने की कोशिश कतई मत कीजिएगा.


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