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दिवाली के दिन सूरन की सब्ज़ी क्यों बनाई जाती है? क्या है इस मशहूर मूवी से सूरन का कनेक्शन?

सूरन का बनारस से क्या कनेक्शन है?

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ये फोटो प्रयागराज के कालिंदिपुरम की साप्ताहिक मंडी में ली गई है (हमही ने खींची है)

'दिवाली के दिन सूरन खाते हैं'. ऐसा कहा गया है. किसने कहा? नहीं मालूम. लेकिन सुना सबने. या कुछ ने. वो 'कुछ', जो इतिहास और राजनीति की धारा के साथ ऐसे मुड़े कि 'सब' बन गए. 
जॉर्ज ऑर्वेल की नीति, 'सब जानवर बराबर हैं, लेकिन कुछ जानवर बाक़ी जानवरों से ज़्यादा बराबर हैं' की स्कीम के तहत. संख्या बल के आधार पर. तो उन कुछ लोगों की, जो सब बन चुके हैं, उनकी साझी समृति में ये बात बसी हुई है कि दिवाली में सूरन खाते हैं.

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सबसे पहले तो यही बता देते हैं कि सूरन सब्ज़ी नहीं, तरकारी है. सब्ज़ी मतलब जो हरी हो. सब्ज़ मतलब ही 'हरा'. मसलन, करेला और तोरी सब्ज़ी है. आलू, प्याज़, अदरक, लहसुन तरकारी है. सूरन भी तरकारी है. एक जड़ है. एक कंद के रूप में होती है और आमतौर पर अपने आप ही उगती है. सुनाई देती है चूरन जैसी, दिखाई देती है सूरन जैसी. ठेलों पर रंग-बिरंगी सब्ज़ी-तरकारी के बीच बेरंग, मटमैला, बेढंगा गुच्छे जैसा कुछ. कटहल जैसा सख़्त, आकार कोहड़े जैसा. न काटना आसान, न पकाना. काटो तो हाथ में खुजली हो और पकाओ तो जल्दी गले न. क़ायदे से न बने, तो खाने पर गले में काटता है. तेज़ ख़राश होती है. इसीलिए शायद ‘मदर इंडिया’ में बाढ़ में सबकुछ डूब जाने के बाद नरगिस ज़मीन से सूरन निकालती है. और, बच्चों की भूख के बावजूद पूरी तरह से पकाना चाहती है. उसे मालूम है कि अधपका सूरन कितना तकलीफ़देह है. हालांकि, कुछ जानकारों को उस जड़ के सूरन होने पर संदेह भी होता है. अब इससे पहले कि आपको लगने लगे कि सूरन को लेकर हमें कोई निजी खुन्नस है (जिसकी संभावना काफ़ी है), कीवर्ड के लिए ही सही, आपको बता देते हैं कि दिवाली में सूरन क्यों बनाते हैं? (क्यों ही बनाते हैं!?)

सूरन हाथी के पांव जैसा दिखता है, इसीलिए इसे ‘एलिफ़ेंट-फ़ुट याम’ भी कहते हैं. 

सूरन को जिमीकंद भी कहते हैं. ओल भी कहते हैं. अंग्रेज़ी में याम (Yam) कहते हैं. वैज्ञानिक नाम - Amorphophallus Paeoniifolius.

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कई प्रकार का होता है सूरन, या जिमीकंद, या याम, या ओल. जैसे, वाइल्ड याम, पर्पल याम, चाइनीज़ याम, वाइट याम, येल्लो याम, वग़ैरह.

जानकारों का कहना है - “लोग भले न पढ़ें, लेकिन जानकारी से लैस लेख लिखना भी सूरन पकाने सरीखी ज़िम्मेदारी है.”

अब आते हैं सूरन के फ़ायदों पर

कोई ख़ास रोग में या किसी तंत्र को फ़ायदा नहीं होता, मगर इसे पोषक तत्वों की खिचड़ी कह सकते हैं. सब थोड़ा-थोड़ा. डायबीटीज़ कंट्रोल करने में, वज़न कम करने में, पाचन में, स्किन-केयर में कारगर हो सकता है. एंटी-इनफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं, जिससे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है. कुछ-एक जगहों पर ये भी लिखा मिलता है कि सूरन में मौजूद एलेंटॉइन कंपाउंड कैंसर से बचाव में भी मददगार हो सकता है. सब जगह 'हो सकता है' कि शक्ल में ही लिखा था, गोया पक्की रिसर्च उपलब्ध न हो.

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दिवाली और सूरन

मान्यता है कि दिवाली के दिन सूरन खाने से 'पीस और प्रॉस्पेरिटी' आती है. हिंदी अनुवाद - शांति और संपदा. सूरन और संपदा. ये शब्दसंजाल उतना ही रोचक है, जिनका इनका आपस में संबंध. सूरन तो है जड़. तो जब जड़ को खोदकर निकाल दिया जाता है, तो वहीं दूसरी जड़ उग आती है. एक सूरन की जगह दूसरा सूरन. सूरन की जड़ को काट दें (अलग न करें), तो वहीं पर फिर से सूरन. इस निकलने और बार-बार उग आने को 'संपदा के फ़्लो' से जोड़कर देखा गया. फिर घरों में एक कहानी चली. दिवाली के दिन सूरन की सब्ज़ी नहीं खाई, तो अगले जन्म में छछूंदर पैदा होगे. कहानी बन गई मान्यता. फिर कुछ मान्यताओं में छछूंदर नेवला हो गया. कहीं-कहीं लोगों ने बताया कि शायद अगले जन्म में कुछ नहीं होता है. लोगों को इंटरनेट से जितना सीमित ज्ञान रिसता हुआ मिला, उसमें पता चलता है की मान्यताओं में दिवाली पर सूरन बनाने और खाने की परंपरा काशी, यानी बनारस से आई है. खाओ तो संपदा बढ़ेगी - ऐसा सुना गया.

सूरन को उबाल कर भी बना सकते हैं. और, बिना उबाले भी. चोखा भी बनाते हैं और सब्ज़ियों के साथ तरी भी. अचार भी. दम की तरह भी. आपके यहां बनता है, तो मुबारक़ आपको. नहीं बनता तो मिस-आउट मत करिए. बना डालिए. पटाखे जलाने पर बैन है. सूरन बनाने पर नहीं.

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