'मैं चाहे ये करूं, मैं चाहे वो करूं, मेरी मर्ज़ी'. हमें इस गाने की मेमरी देने वाले देवांग पटेल की लाइफ कितनी बिंदास थी, जानने के लिए पढिए.
मैं एक स्मॉल टाउन में पला बढ़ा. जहां नई राज कॉमिक्स छपने के तीन महीने बाद आती. हॉलीवुड फिल्म रिलीज़ के छह महीनों बाद देखने को नसीब होती. वो भी ‘हॉल प्रिंट’. उस ज़माने में एक दोस्त था. जो अक्सर तोते की तरह एक गाना गाता. ‘जीजा को मैं बोलूं साला, चाबी बिना खोलूं ताला, मेरी मर्ज़ी’. नाइंटीज़ किंग गोविंदा पर फिल्माए गए इस गाने को आवाज़ दी थी देवांग पटेल ने. खैर मेरे दोस्त ने देवांग के इस गाने को गाया ही नहीं. जी भी लिया. मतलब लिटरली. आगे चलकर उन्होंने ‘चाबी बिना खोलूं ताला’ टाइप हरकत की और आज जेल में हैं. काश वो देवांग का एक और गाना सुन लेते. ‘ऐश तू कर यार ऐश तू कर’. वो वाला पार्ट नहीं जहां देवांग कहते हैं कि ‘पड़ोसी की खिड़की पे खड़ा हो के नाच’, या ‘बॉस को बुलाके बोल चाय लेके आ’. बल्कि वो पार्ट जहां वो कहते हैं कि ‘ये सब बातों को देखों ना मानना, मेरी तो ये आदत है मज़ाक करना’.
आज हम ये नहीं जानेंगे कि मेरा वो भूला-बिसरा दोस्त आज कल कहां हैं. बल्कि बात करेंगे देवांग पटेल की. हनी सिंह, बादशाह से पहले मेनस्ट्रीम हिंदी सिनेमा में रैप करने वाले देवांग पटेल की. जानेंगे कि ‘मेरी मर्जी’ और ‘स्टॉप दैट’ जैसे गाने गाकर बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर चढ़ने वाले देवांग को बॉलीवुड एक्साइट क्यों नहीं करता? बताएंगे आपको कि देवांग आज कल कहां हैं और क्या कमाल कर रहे हैं.
