देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत को उनकी दोनों बेटियों ने आज एक ही चिता पर मुखाग्नि दे दी. कौन होगा, जो इस दृष्य को देखकर पसीजा नहीं. पूरे देश ने आज देखा कि जनरल रावत के पार्थिव शरीर को उनके कामराज मार्ग निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. गृह मंत्री अमित शाह समेत मंत्रिमंडल के सारे बड़े मंत्रियों और सैनिक अधिकारियों ने वहां जाकर जनरल रावत को श्रद्धांजलि दी. जब ये सब हो रहा था, दिल्ली कैंट के बरार स्क्वेयर क्रिमिटोरियम में ब्रिगेडियर एल एस लिड्डर का अंतिम संस्कार किया जा रहा था. ब्रिगेडियर लिड्डर को जब पूरे सैनिक सम्मान के साथ विदा किया गया तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी वहां मौजूद थे. इस दौरान जनरल लिड्डर की पत्नी ने कहा
मैं उन्हें अच्छी बिदाई देना चाहती हूं. मैं एक सैनिक की पत्नी हूं. गर्व से ज़्यादा दुःख है. ज़िंदगी बहुत लंबी है. अब अगर भगवान को यही मंज़ूर है तो हम इसी तरह जिएंगे. वहीं उनकी बेटी ने कहा
मैं 17 साल की होने वाली हूं. इन 17 साल जब तक वो मेरे साथ थे बस उनकी यादों को साथ लेकर चलूंगी. यह पूरे देश का लॉस है. मेरे पापा हीरो थे.
इसके बाद पूरे देश की निगाहें वापस जनरल रावत के निवास की तरफ लग गईं. दोपहर बाद उनकी अंतिम यात्रा उनके निवास स्थान से दिल्ली कैंट तक निकाली गई. सैनिक परंपराओं के मुताबिक जनरल रावत के पार्थिव शरीर को कन कैरिज पर रखकर ले जाया गया. पूरे रास्ते लोग काफिले पर फूल बरसाते रहे. जयकारे लगाते रहे. कई लोगों को काफिले के साथ साथ तिरंगा लेकर दौड़ते हुए देखा गया. जब जनरल रावत का पार्थिव शरीर दिल्ली कैंट स्थित श्मशान भूमि पहुंचा, तो वहां आगवानी के लिए तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित 800 अफसर और जवान तैनात थे. तीनों सेनाओं के बैंड इस अंतिम यात्रा का हिस्सा बने. केंद्रीय कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों के अलावा राज्यों के मुख्यमंत्रियों, लोकसभा स्पीकर, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने जनरल के पार्थिव शरीर पर रीथ रखी. जनरल रावत को अंतिम सलामी देने के लिए श्रीलंका, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश से वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी पहुंचे. इसके बाद शाम साढ़े चार बजे जनरल रावत और मधुलिका रावत के पार्थिव शरीर एक ही चिता पर रखे गए और दोनों बेटियों कृतिका और तारिणी ने मुखाग्नि दी. इस दौरान लास्ट पोस्ट बजाया गया और जनरल को 17 तोपों की सलामी दी गई. एक तरफ पूरा देश जनरल रावत के असमय निधन पर शोक मना रहा है. दूसरी तरफ उनके हेलिकॉप्टर क्रैश को लेकर कयासों को सिलसिला है कि थम नहीं रहा है. दो गुट बन गए हैं - एक जो इस बात पर अड़ गया है कि ये हादसा है. और दूसरा, जो इसे साज़िश बता रहा है. दोनों के पास अपने अपने तर्क हैं. और इनमें सिर्फ सोशल मीडिया के ट्रोल्स या चौराहे के चिंतक ही नहीं हैं. कई राजनेता और सेना से जुड़े रहे लोग साजिश का शक जता रहे हैं. इसलिए ज़रूरी है कि इन साजिशों पर भी बात की जाए. संजय राउट ने कहा
हम बोलते हैं हमारे डिफ़ेंस का आधुनिकिकरण हो गया है वहीं हमारे सेना ऐसे हेलीकाप्टर में मारे जाते हैं. हम सदन में सरकार से सवाल पूछेंगे.
बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी लिखा कि सीडीएस रावत, उनकी पत्नी और बाकी अफसरों की मौत कैसे हो गई, इस पर शंका होना लाज़मी है. इसलिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट के जज जैसे किसी सरकार के बाहर के आदमी की अध्यक्षता में जांच करवानी चाहिए. सेना से रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुधीर सांवत का बयान भी सोशल मीडिया पर शेयर किया रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल अखबार की कटिंग के मुताबिक ब्रिगेडर सांवत ने शक जताया है कि ये हादसा नहीं साजिश है. उन्होंने कहा है कि जनरल रावत बिपिन रावत जिस हेलिकॉप्टर में थे वो काफी एडवांस है, जो आसानी से क्रैश नहीं हो सकता. ब्रिगेडियर सुधीर सांवत ने इस मामले में NIA जांच की मांग की है. तो इस तरह से कई ओर से इस क्रैश पर अब सवाल उठाए जाने लगे हैं. और किस तरह की थ्योरीज़ दी जा रही हैं. कुछ तीन चार बड़ी थ्योरिज़ पर बात करते हैं. 1. एक थ्योरी ये है कि LTTE यानी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम का इस हादसे में हाथ हो सकता है. आपको मालूम होगा ये श्रीलंका का चरमपंथी संगठन है. ये वही संगठन है जिसने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या करवाई थी. उनकी हत्या भी तमिलनाडु में ही हुई थी. इस थ्योरी पर रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुधीर सांवत कहते हैं कि जहां ये हादसा हुआ है, उस इलाके में LTTE का प्रभाव रहा है. आज भी वहां स्लीपर सेल सक्रिय हैं.
कई ट्विटर अकाउंट्स से भी ये बात लिखी गई कि पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम से जनरल रावत का हेलिकॉप्टर गिराया गया था. और ये LTTE के चरमपंथियों ने किया था. 2. दूसरी थ्योरी हैकिंग को लेकर दी जा रही है. शक जताया जा रहा है कि जनरल रावत का हेलिकॉप्टर किसी तकनीकी दिक्कत की वजह से नहीं बल्कि हैक करके क्रैश कराया गया होगा. किसी हवाई जहाज़ को हैक करना कोई असंभव बात भी नहीं है. दुनियाभर पहले से हैंकिंग और हेलिकॉप्टर के क्रैशिंग की चिंताएं जताई जा रही हैं. 2017 में यूएस की एटलांटिक सिटी में बोइंग 757 एयरक्राफ्ट को हैक कर लिया गया था. बिना प्लेन में चढ़े, बिना किसी अंदरूनी मदद के एयरक्राफ्ट का सिस्टम कंट्रोल कर लिया गया. हालांकि तब यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने हैक कराया था. डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी माने वहां का गृह विभाग समझिए जिसके जिम्मे इंटरनल सिक्योरिटी का जिम्मा होता है. तो डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने एयरक्राफ्ट को ये देखने के लिए हैक कराया था कि हैक करना संभव है कि नहीं.
2019 में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने छोटे एयरक्राफ्ट्स और हेलिकॉप्टर्स पायलट्स के लिए अलर्ट जारी किया था. कहा था कि फ्लाइट्स का सिस्टम हैक करके हैकर्स बड़ा नुकसान कर सकते हैं. सिस्टम की सिक्योरिटी बेहतर करने के सुझाव दिए थे. इस तरह के अलर्ट्स को लेकर अमेरिकी साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स ने भी कहा था कि साइबर अटैक के ज़रिए हेलिकॉप्टर एयरक्राफ्ट पर हैकर्स पूरा कंट्रोल कर सकते हैं. इंजन की रीडिंग, कम्पास डेटा या एल्टीट्यूट इन सब में छेड़छाड़ हो सकती है. पायलट को गलत रीडिंग्स दिखाई जा सकती है. और हेलिकॉप्टर हैकिंग वाली चिंता अकेला अमेरिका ही नहीं डूबा है. फ्रांस की एयरोस्पेस कंपनी है Thales. ये कंपनी एयरक्राफ्ट्स के लिए इलेक्ट्रिकल सिस्टम तैयार करती है. तो इसने भी जनवरी 2020 में साइबरथ्रेट हैंडबुक पब्लिश की थी. इसमें ज़ोर दिया था कि कैसे साइबर अटैक करने वालों के निशाने पर एयरोस्पेस है. आशंका जताई थी कि अपराधी फ्लाइट हैक कर जानमाल का बड़ा नुकसान कर सकते हैं. तो दुनियाभर में हेलिकॉप्टर पर हाईजैक पर बात पहले से होती रही है. लेकिन क्या किसी देश की सेना से जुड़ा हेलिकॉप्टर हैक करना मुमकिन है, हमने नीदरलैंड्स में साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में काम कर रहे विकास सिंह से बात की. विकास सिंह ने कहा
यह मुमकिन है. हम जो भी सिस्टम इस्तेमाल करते हैं. वो सॉफ़्टवेयर से चलते हैं. और सॉफ़्टवेयर हैक किए जा सकते हैं. लेकिन जो डिफेंस में इस्तेमाल किए जाने वाले सॉफ़्टवेयर होते हैं, उन्हें अच्छे से जांचा जाता है. यह असंभव तो नहीं है लेकिन आसान भी नहीं है.
तो एयरफोर्स के किसी हेलिकॉप्टर को हैक करना नामुमकिन नहीं है लेकिन आसान भी नहीं है. पिछले दिनों में मुंबई में पावर कटऑफ हुआ था और उसके बाद ये जानकारी आई थी कि शायद चीन ने भारत के पावरग्रिड सिस्टम को हैक किया था. इसलिए साजिश वाली थ्योरी में ये शक जताया जा रहा है कि शायद चीन ने हेलिकॉप्टर को हैक करके क्रैश कराया हो. इस घटना को हेलिकॉप्टर क्रैश की एक और घटना के साथ जोड़कर देखा जा रहा है. जनवरी 2020 में ताइवान में ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ था. इसमें ताइवान के आर्मी चीफ जनरल शेन यी मिंग समेत 8 कई बड़े अफसर मार गए थे. वो हेलिकॉप्टर भी पहाड़ी इलाके में ही क्रैश हुआ. और ये क्रैश तब हुआ जब चीन और ताइवान में काफी तनाव चल रहा था. चीन मिलिट्री इंटरवेंशन के ज़रिए ताइवान का कब्जे में लेने की लगातार धमकियां देता रहा है. इसलिए वहां भी शक जताया गया कि चीन ने हेलिकॉप्टर क्रैश कराया होगा. हालांकि ताइवान ने आधिकारिक रूप से ऐसा कभी नहीं कहा. और जो लोग जनरल रावत के प्लेन क्रैश में साजिश मान रहे हैं, वो भी इसमें चीन का हाथ मान रहे हैं. कह रहे हैं कि जनरल रावत चीन को लेकर, LAC पर भारत की पोजिशन को लेकर काफी अग्रेसिव थे, इसके अलावा वो चीन के खिलाफ भारत की मिलिट्री माइट में तब्दीलियों पर काम कर रहे थे. इसलिए वो चीन को चुभ रहे थे. ऐसा कहना है साजिश वाली थ्योरी देने वालों का. 3. एक थ्योरी चीन का सरकारी मीडिया भी फैला रहा है. ग्लोबल टाइम्स ने भारत के सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी के ट्वीट को गलत तरीके से कोट किया. और लिखा कि चेलानी के ट्वीट से ऐसा लगता है कि भारतीयों को क्रैश में अमेरिका का हाथ होने का शक है. भारत ने अभी अभी रूस के साथ S-400 की डील की है. इस वजह से अमेरिका नाराज़ था. और ये क्रैश करवा दिया. हालांकि ब्रह्म चेलानी ने लिखा कि ग्लोबल टाइम्स ने उनके ट्वीट को गलत क्वोट किया है, चीन अपना प्रोपगेंडा चला रहा है. तो इस तरह की साजिश वाली थ्योरी खूब फैलाई जा रही हैं. कोई नेता हो या आम आदमी, जो भी क्रैश पर शक जता रहे हैं, वो ये भी कह रहे हैं इतना मजबूत हेलिकॉप्टर क्रैश कैसे हो सकता है. ये सही बात है कि Mi-17 V5 बहुत ही सुरक्षित और भरोसमंद हेलिकॉप्टर माना जाता है. इसकी वजह है, सुरक्षा से जुड़े खास इंतजाम. इसमें दो इंजन लगे होते हैं. उड़ान के दौरान अगर एक इंजन पूरी तरह बंद भी हो जाए, तब भी चिंता की बात नहीं. क्योंकि अपने दूसरे इंजन के सहारे यह हेलिकॉप्टर ना केवल सुरक्षित रूप से उड़ सकता है, बल्कि लैंड भी हो सकता है. अगर कोई जमीन से इसपर मिसाइल दागे, तब भी इसमें लगा सेफ्टी सिस्टम इसे बचाने में मदद करेगा. यही वजह है कि भारतीय वायु सेना कई मौकों पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे अति-विशिष्ट लोगों को लाने-ले जाने में यही हेलिकॉप्टर इस्तेमाल करती है. हालांकि Mi17v5 भी एक मशीन ही है. और मशीन में खराबी हो ही सकती है. भारत में कम से कम पांच और मौकों पर Mi17v5 क्रैश हुए हैं. इनमें से दो बड़े चर्चित हैं. केदारनाथ त्रासदी के बाद बचाव कार्य में लगे हेलिकॉप्टर का क्रैश और 2019 में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक्स के बाद बडगाम में हुआ क्रैश. लेकिन इन पांच हादसों में भी हेलिकॉप्टर की तकनीकी दक्षता पर गंभीर सवाल नहीं उठे. जैसे 2019 वाला क्रैश इसलिए हुआ था, क्योंकि उसपर ज़मीन से एक मिसाइल चला दी गई थी. 2013 में केदारनाथ वाला क्रैश हिमालय में ऐसे वक्त हुआ था, जब वहां भारी बारिश हो रही थी और मौसम पल पल बदल रहा था. ये परिस्थितियां किसी भी हेलिकॉप्टर या पायलट के लिए चुनौती बन सकती हैं. दर्शक ये समझें कि हेलिकॉप्टर अमूमन ज़मीन से बहुत ऊंचाई पर नहीं उड़ते. इसीलिए पायलट के पास किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए बहुत ज़्यादा वक्त नहीं होता. फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट उड़ाने वालों से माफी के साथ हम ये बात भी यहां दर्ज कराना चाहते हैं कि हेलिकॉप्टर उड़ाना एक जेट उड़ाने से कहीं ज़्यादा कठिन होता है. क्योंकि उसमें पायलट लगभग हर वक्त एयरक्राफ्ट को कंट्रोल कर रहा होता है. तो हेलिकॉप्टर हादसे में साजिश का एंगल मिलाने वालों को अभी जांच तक रुकना चाहिए. आज एयरफोर्स ने भी कहा है कि हमने ट्राइ सर्विसेज़ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी शुरू कर दी है. इंक्वायरी पूरी होगी तो तथ्य सामने आएंगे. तब तक दिवांगतों के सम्मान के खातिर बिना तथ्यों के कयास मत लगााइए. बस इतना ध्यान रखें कि अति हर चीज़ की बुरी है. जो कहता है कि हादसा नहीं है. उससे भी दूर रहिए. जो इस बात पर ज़ोर देता है कि हादसा ही है, उससे भी दूर रहिए. जांच का इंतज़ार कीजिए. सवाल पूछिए. दुरुस्त तरीके से पूछिए. और संयम रखिए, सही उत्तर मिलने का.