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6 की उम्र में रेप हुआ, 17 में दिलाया देश को गोल्ड मेडल

इस खिलाड़ी का जीवन हमें बहुत कुछ सिखाता है.

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फोटो - thelallantop
नाम क्लैरेसा शील्ड्स. उम्र 21 साल. 17 साल की उम्र में अमेरिका के लिए बॉक्सिंग में गोल्ड मेडल लानी वाली पहली औरत बनीं. क्लैरेसा जब पैदा हुईं, पापा जेल में थे. जब छोटी थीं, कोई 6 साल की, उनका रेप कर दिया गया था. जिस आदमी ने रेप किया, वो उनकी ही मां का बॉयफ्रेंड था. और ये उनकी जिंदगी में रेप का पहला वाकया नहीं था. कुछ समय बाद फिर उनका रेप हुआ. जब मां को बताया, उन्हें अपनी बेटी पर विश्वास नहीं हुआ. 6 साल बहुत ही नाजुक उम्र होती है. ऐसी उम्र में हुई कोई भी दुर्घटना किसी को भी जिंदगी भर के लिए परेशान कर सकती है. रेप के बाद क्लैरेसा उदास रहती थीं. हमेशा डरी हुई. सेल्फ-कॉन्फिडेंस इतना टूट गया था कि लगता था लाइफ में कुछ कर ही नहीं पाएंगीं. कोई भी फैसला नहीं ले पा रही थीं. कभी गुस्सा आता, तो कभी जोर से रोना आता. लेकिन उनके पास ऐसा कोई नहीं था, जिससे वो ये सब डिस्कस कर सकें. इसलिए उन्होंने हमेशा अकेले रहना शुरू कर दिया. किसी से बात न करतीं. बस लिखती रहतीं. लिखने से ही राहत मिलती. claressa 1 क्लैरेसा के पापा अंडरग्राउंड बॉक्सर थे. उन्हें देख-देख कर क्लैरेसा का इंटरेस्ट बॉक्सिंग में जागा. वो पापा के साथ जिम जाने लगीं. और बॉक्सिंग में हाथ आजमाना शुरू किया. लेकिन पापा को यही लगता था कि ये खेल लड़कों के लिए है. लेकिन क्लैरेसा को बॉक्सिंग में मजा आने लगा था. वो अपना सारा गुस्सा, दुख, सारे डर बॉक्सिंग में निकालतीं. छोटी ही उम्र में भारी मुक्के जड़ने आ गए थे उन्हें. क्लैरेसा की दादी उन्हें सपोर्ट करती थीं. उन्हीं के साथ क्लैरेसा शिफ्ट हो गईं. परिवार में कभी अपना परिवार नहीं मिला था क्लैरेसा को. बॉक्सिंग के दौरान बने दोस्त और कोच उन्हें अब परिवार से लगने लगे थे. जैसे-जैसे पंचिंग बैग पर मुक्के बरसातीं, ऐसा लगता अपने डरों, कमियों पर वार कर रही हैं. और 9 साल की उम्र में जो उन्होंने उन चीजों को चोट देनी शुरू कीं, जो उन्हें चोट देते थे, तो फिर वो रुकी नहीं. क्लैरेसा ने रियो ओलिंपिक 2016 के पहले तक 75 में से 74 दफे जीत हासिल की. 2012 में ओलिंपिक में एंट्री पाई. और गोल्ड जीतकर वापस लौटीं. इस बार भी क्लैरेसा क्वॉर्टर फाइनल में हैं. हम उम्मीद करेंगे कि वो मेडल लेकर वापस जाएं. क्लैरेसा अपनी कमियों को हरा चुकी हैं. प्रतिद्वंदियों को हराना कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए.
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