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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 की सबसे बड़ी लड़ाई की वजह बने विजय बघेल कौन हैं?

विजय बघेल का चुनावी ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है? क्या भूपेश बघेल के खिलाफ उतारने के लिए बीजेपी के पास उनसे बेहतर कोई उम्मीदवार नहीं था?

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CM भूपेश बघेल (बाएं) और विजय बघेल (दाएं). (फोटोसोर्स- आजतक)

छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव (Chattisgarh Election 2023) के लिए बीजेपी ने 17 अगस्त को 21 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी. इनमें 5 महिलाओं के अलावा 10 आदिवासी और 1 दलित समुदाय के व्यक्ति को टिकट दिया गया है. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा है विजय बघेल की. वो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भतीजे हैं. उन्हें टिकट मिलना इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि बीजेपी ने उन्हें पाटन विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. सीएम भूपेश बघेल पाटन से ही कांग्रेस के विधायक हैं. चाचा-भतीजा पहले भी इस सीट पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. विजय एक बार भूपेश बघेल से जीते भी. अब फिर से पाटन सीट पर रोमाचंक चुनावी मुकाबला दिख सकता है.

विजय बघेल की सियासी पारी

साल 2000 में विजय बघेल ने सियासी शुरुआत की. भिलाई नगर परिषद् का निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते. इसके बाद साल 2003 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के टिकट पर पाटन विधानसभा से चुनाव लड़ा. लेकिन कांग्रेस से प्रत्याशी रहे भूपेश बघेल की जीत हुई. वोटों का अंतर करीब 7 हजार रहा. इस हार के बाद विजय बघेल BJP में शामिल हो गए. 2008 में फिर पाटन से टिकट मिला और प्रत्याशी भी वही, भूपेश बघेल. इस बार भतीजे ने चाचा को करीब 8 हजार वोटों से मात दे दी. और विधानसभा में कदम रखा. 

इसलिए साल 2013 में भी BJP ने फिर विजय पर भरोसा जताते हुए उन्हें पाटन विधानसभा से उम्मीदवार बनाया. इस बार भी सामने कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल थे. लेकिन करीब 10 हजार वोटों से विजय की हार हुई. इसके बाद बीजेपी ने उन पर से भरोसा तो नहीं खोया, लेकिन साल 2018 के चुनाव में टिकट पाटन से नहीं दिया. इस चुनाव में मोतीलाल साहू को भूपेश बघेल की टक्कर में उतारा गया. हालांकि वो भी हारे और ज्यादा बड़े अंतर से हारे. करीब 27 हजार वोट.

किसी दूसरे उम्मीदवार की इतनी बड़ी हार और विजय बघेल का अतीत में एक बार भूपेश बघेल को मात देना बड़े कारण हो सकते हैं कि बीजेपी ने एक बार फिर सीएम के भतीजे पर भरोसा जताया है. यहां ये भी गौरतलब है कि विजय बघेल को 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने दुर्ग लोकसभा से टिकट दी थी. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा चंद्राकर को तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराया था.

पाटन में कौन जीतेगा?

इस सीट पर सबसे ज्यादा बार कांग्रेस को जीत मिली है. विजय इस सीट पर चौथी बार दावेदारी करेंगे. इससे पहले विजय बघेल ने कुल तीन चुनावों में से एक में जीत हासिल की है. दोनों बार वो भूपेश बघेल से हारे हैं. वहीं भूपेश बघेल पाटन से कुल चार चुनाव लड़ चुके हैं, तीन में जीते हैं, और एक बार उन्हें विजय ने ही हराया है. लेकिन इन सभी चुनावों में जीत का अंतर बहुत बड़ा नहीं रहा है.

विजय बघेल बीजेपी की घोषणा-पत्र समिति के संयोजक भी हैं. पाटन से टिकट मिलने के बाद वो पार्टी के नेताओं को धन्यवाद दे रहे हैं. न्यूज़ एजेंसी ANI से बात करते हुए विजय कहते हैं,

"एक बेईमान, धोखेबाज, झूटे, भ्रष्टाचारी मुख्यमंत्री के खिलाफ लड़ना बहुत रोचक होने वाला है. हम ये चुनाव जीतेंगे. मैं पार्टी के नेताओं का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे मुख्यमंत्री के खिलाफ पाटन से लड़ने का मौका दिया. जो मेरे दूर के रिश्तेदार भी हैं."

वहीं विरोधी कहते हैं कि बीजेपी ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए विजय को पाटन सीट से टिकट दिया है. दी प्रिंट से बात करते हुए, कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्ला कहते हैं,

“BJP अपने फायदे के लिए विजय का इस्तेमाल कर रही है. पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलने का निर्देश दिया है. वो वही काम कर रहे हैं. वो CM बघेल को अपशब्द कहकर अपना सियासी अभियान खड़ा करना चाहते हैं. पाटन के लोग जानते हैं कि BJP के सांसद (विजय) को CM भूपेश को हराने की ताब नहीं है. लोग जानते हैं कि वो भूपेश बघेल की लोकप्रियता को टक्कर नहीं दे सकते. इसलिए वो बस अपनी चुनावी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.”

सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि बीजेपी ने भूपेश के दूर के रिश्तेदार (विजय) को सिर्फ इसलिए टिकट दिया है कि बीजेपी ख़बरों में बनी रहे. 

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