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BSP की पूर्व विधायक पूजा पाल की कहानी, जिन्हें CBI ने हत्या के मामले में क्लीन चिट दी है?

शादी के 10 दिन बाद ही पति की हत्या कर दी गई थी.

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पूजा पाल दो बार बीएसपी के टिकट पर विधायकी का चुनाव जीत चुकी हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने सपा का दामन थामा. अखिलेश ने टिकट भी दिया था लेकिन बाद में उनकी जगह दूसरे प्रत्याशी को उन्नाव से टिकट दे दिया. (फाइल फोटो)
पूजा पाल. बहुजन समाज पार्टी की पूर्व विधायक. ललित वर्मा हत्याकांड में CBI ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है. इसके साथ ही पूजा पाल के भाई और 5 अन्य लोगों को भी क्लीन चिट मिल गई है. 2016 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुए इस हत्याकांड की जांच CBI ने हाई कोर्ट के कहने पर शुरू की थी. इस रिपोर्ट में बताएंगे कि पूजा पाल कौन हैं, इस केस में उनका नाम कैसे आया और उन्हें लेकर यूपी में क्या राजनीति हुई है. ललित वर्मा हत्याकांड में नाम कैसे आया? प्रयागराज के धूमनगंज कोतवाली का जयंतीपुर मोहल्ला. 3 फरवरी 2016 को यहां के एक 28 वर्षीय युवक ललित कुमार वर्मा की हत्या कर दी गई. सिविल लाइंस में बिशप जॉनसन स्कूल के पीछे पंचशील कॉलोनी वाली गली में.
ललित वर्मा के पिता विनोद वर्मा ने बताया था कि पूर्व विधायक पूजा पाल और उनके बेटे के बीच धूमनगंज के साकेत नगर में एक मार्केट को लेकर विवाद चल रहा था. उनका आरोप था कि उसी विवाद में ललित वर्मा की हत्या कराई गई. शिकायत के बाद पूजा पाल और उनके सहयोगी राजेश त्रिपाठी, संदीप यादव, राहुल पाल, दिलीप पाल, मुकेश केशरवानी और पृथ्वीपाल के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई. जांच के बाद सिविल लाइंस पुलिस ने आरोपियों को क्लीन चिट दे दी. साथ ही ललित वर्मा के साथ रहे उसके चचेरे भाई और घटना के दौरान घायल हुए विक्रम वर्मा को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया. हाई कोर्ट पहुंचा केस इस बीच पुलिस की जांच से असंतुष्ट ललित का परिवार इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गया. वहां 2017 में इस प्रकरण की जांच CBI को सौंप दी गई. प्रारंभिक जांच पूरी करने के बाद CBI ने 3 सितंबर 2019 को पूर्व विधायक पूजा पाल समेत 7 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू की.
घटना के समय ललित वर्मा के पिता विनोद वर्मा ने कहा था कि उनका बेटा ललित और भतीजा विक्रम एक वकील से मिलने जा रहे थे. उसी दौरान एक SUV में जा रहे आरोपी ने विक्रम की बाइक को रोका और ललित को गोली मार दी. CBI ने क्या बताया है? CBI का कहना है कि उसकी जांच टीम ने CCTV फुटेज स्कैन किया है. इसमें पता चला कि हत्या के समय कोई SUV उस क्षेत्र से नहीं गुजरी थी. सीबीआई ने कहा है कि मामले में नामित आरोपी एक पार्टी में थे और इसे साबित करने के लिए वीडियो भी मौजूद था. जांच टीम ने ये भी पाया कि विक्रम उस दिन वहां मौजूद नहीं था.
CBI के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी में पाया गया कि हत्या के समय शिकायतकर्ता विनोद वर्मा के दूर के रिश्तेदार संतोष सोनी और विक्रम सोनी दोनों घटनास्थल पर मौजूद थे. संतोष और विक्रम ने पूछताछ के दौरान कबूल किया कि उन्होंने ही ललित की हत्या की. संतोष और विक्रम, ललित के चचेरे भाई हैं. CBI का कहना है कि दोनों परिवारों के बीच संपत्ति का विवाद था और ललित वर्मा के संतोष की पत्नी से अवैध संबंध थे. इस कारण संतोष और विक्रम ने एक अन्य आरोपी बृजेश के साथ मिलकर ललित की हत्या कर दी.
Cbi सांकेतिक तस्वीर
कौन हैं पूजा पाल? जब इस हत्याकांड में पूजा पाल का नाम आया, तो उनकी ओर से कहा गया था कि अतीक अहमद के इशारे पर ही उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ है. बीएसपी की दो बार की विधायक पूजा, राजू पाल की पत्नी. 25 जनवरी, 2005 को इलाहाबाद में राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. और इसका इल्जाम आया था बाहुबली सांसद अतीक अहमद और उनके छोटे भाई अशरफ पर.
Puja Pal 2017 के विधानसभा चुनाव में एक रैली के दौरान पूजा पाल.

2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को फूलपुर से लोकसभा का उम्मीदवार बना दिया. अतीक चुनाव लड़े और जीत गए. इससे इलाहाबाद शहर पश्चिमी की विधायकी सीट खाली हो गई. अब वहां पर उपचुनाव होना था. अतीक अहमद ने अपने छोटे भाई अशरफ को इस सीट से उम्मीदवार बनाया. उधर, मायावती ने राजू पाल को बीएसपी उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया. राजू पाल का इतिहास भी कुछ पाक साफ नहीं था. चुनाव लड़ने के लिए जब राजू को टिकट मिला, तो उसपर हत्या, हत्या की कोशिश समेत कुल 25 केस दर्ज थे.
नतीजा आया तो 25 सालों के बाद अतीक अहमद का किला ध्वस्त हो चुका था. बीएसपी के राजू पाल ने सपा के उम्मीदवार और अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को करीब चार हजार वोटों से हरा दिया था. कहते हैं इस हार ने राजू पाल को अतीक अहमद के निशाने पर ला दिया. शादी के 10 दिन बाद ही पूजा के पति की हत्या हो गई राजू पाल ने पुलिस से कहा था कि सांसद अतीक अहमद से उसकी जान का खतरा है. उन्होंने दावा किया कि अतीक उन पर बार-बार हमला करवा रहे हैं. लेकिन पुलिस ने राजू को सुरक्षा नहीं दी. इसकी नतीजा, 25 जनवरी, 2005 को राजू पाल को घेरकर 19 गोलियां मारी गईं. हत्या के आरोप में पुलिस ने सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ के अलावा सात और लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया.
राजू की मौत के बाद उपचुनाव हुए. 10 दिन पहले ही उनके साथ शादी कर उनके घर आईं पूजा पाल को बीएसपी ने उम्मीदवार बनाया. कहा जाता है कि शादी से पहले पूजा हॉस्पिटल और लोगों के घरों में झाड़ू-पोंछा लगाती थीं. राजू से उनका परिचय हॉस्पिटल में हुआ था. पूजा के पिता पंक्चर लगाने का काम करते थे.
राजू पाल की हत्या के बाद उपचुनाव भले अशरफ ने जीत लिया हो. लेकिन इस हत्याकांड ने अतीक के राजनीतिक करियर को लगभग खत्म ही कर दिया. राजू पाल की हत्या के बाद उपचुनाव भले अशरफ ने जीत लिया हो. लेकिन इस हत्याकांड ने अतीक के राजनीतिक करियर को लगभग खत्म ही कर दिया.

चुनाव का नतीजा आया तो राजू पाल की हत्या के मुख्य आरोपी अशरफ जीत गए. पूजा पाल हार गईं. करीब 13 हजार वोटों से. फिर आए 2007 के विधानसभा चुनाव. बीएसपी ने पूजा पाल को फिर से उम्मीदवार बनाया. सपा के उम्मीदवार बने अशरफ. इस बार पूजा, अशरफ पर भारी पड़ीं. उन्होंने सपा प्रतिद्वंद्वी को करीब 10 हजार वोटों से मात दी थी. 2012 के विधानसभा चुनाव में भी पूजा पाल ने जीत हासिल की.
2017 में भी पूजा पाल बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ने उतरीं. लेकिन इस बार बाजी ना उनके हाथ लगी और ना अशरफ के. ये यूपी की राजनीति में बीजेपी की जबर्दस्त वापसी का समय था. सो बीजेपी के सिद्धार्थ नाथ सिंह चुनाव जीत गए. इस हार के बाद ही पूजा पाल ने क्षेत्र में अपनी सक्रियता खत्म कर दी. इसके करीब एक साल बाद 21 फरवरी, 2018 को बीएसपी की ओर से एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा गया,
2017 के चुनाव के बाद पूजा पाल अपने क्षेत्र में नहीं गईं. पार्टी कार्यकर्ताओं का फोन उठाना बंद कर दिया. पार्टी की बैठकों और सभाओं में शामिल नहीं हुईं. इसे गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए पार्टी अध्यक्ष मायावती के निर्देश पर पूजा पाल को पार्टी से बाहर किया जाता है.
बीएसपी की इस घोषणा के कुछ समय बाद सपा ने पूजा पाल को उन्नाव से प्रत्याशी बनाया. हालांकि बाद में पार्टी ने पूजा की उम्मीदवारी निरस्त कर दी. उस समय कहा गया कि सपा उन्हें कहीं और एडजस्ट करेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. पूजा पाल इस समय समाजवादी पार्टी में किसी पोस्ट पर नहीं हैं.

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