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क्या आप एक 'कॉल गर्ल' के साथ चाय पीने जाएंगे?

'दिखने में तो कॉलगर्ल जैसी ही लगती है. लेकिन इस तरह दिन में...'

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फोटो - thelallantop
हम सब इस सोच के साथ बड़े हुए हैं कि कुछ लोग बुरे लोग होते हैं. क्या होता है जब उन बुरे लोगों में से एक से हम मिलते हैं?
रेड लेबल चाय वालों ने मुंबई के चर्चगेट स्टेशन पर एक स्टॉल लगाया. वहां पिलानी शुरू की फ्री चाय. जैसा कि बहुत सारी कंपनियां अपने प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए करती हैं. लेकिन इनके प्रमोशन में एक ट्विस्ट है. इन्होंने दो में से एक कुर्सी रिजर्व कर ली एक 'कॉल गर्ल' के लिए. ऐड में क्या हुआ, खुद देखिये.
https://www.youtube.com/watch?v=AEqL-kZUxwY&feature=youtu.be

'मैंने सोचा के कॉल गर्ल लोग से कौन बात करेगा'

जिस्म और सेक्स के साथ हमने इतना मॉरल वजन जोड़ा हुआ है, कि सेक्स वर्कर को हम 'जिस्म बेचने वाली बोलकर उनके काम को छोटा कर देते हैं. सिर्फ उनके काम को ही नहीं, इंसान के तौर पर उनके मान को भी. कई लोग तो ये भी मानते हैं कि एक सेक्स वर्कर का रेप, रेप नहीं होता. अपमान सहते-सहते सेक्स वर्कर्स मानो इस चीज को अपना चुकी हैं, कि कोई भी उनसे बात नहीं करना चाहेगा.

'जब मैंने उनको बोला मैं कमाठीपुरा से हूं, वो ये सुनकर थोड़ा हिल गए'

इंशोरेंस कंपनी में काम करने वाली औरत कहती है कि वो उठ के जाने वाली थी. रुकने वाली नहीं थी. लेकिन रूड लगता. जिस तरह की औरतों को हमने सिर्फ फिल्मों के किरदारों के माध्यम से समझा है, वो असल में जब हमारे सामने बैठते हैं, हम उनके साथ सहज नहीं हो पाते. फिल्मों में 'चमेली' और 'पारो' के किरदारों से हम प्यार कर बैठते हैं. पर रियल लाइफ में सेक्स वर्कर को सामने देख चुप हो जाते हैं. घिना जाते हैं. दूर हो जाते हैं. हम अपनी फिल्मों और रियल लाइफ में कितने अलग-अलग हैं. अपने आदर्शों और सच्चाई में कितने दूर-दूर हैं, न?

'देखकर लगा था कि वो कॉल गर्ल होगी, लेकिन इस तरह दिन में?'

कॉल गर्ल देखने में कॉल गर्ल सी ही लगती हैं. चमकते कपड़े, लाउड मेकअप. हिजड़ा समुदाय की एक दोस्त से बात करते हुए उनसे पूछा था कि आप लोग ताली क्यों बजाते हैं. उन्होंने कहा, क्योंकि हम चाहते हैं आप हमें सुनें. इसीलिए हम बड़े, चमकते झुमके और चमकती लिपस्टिक भी लगाती हैं. जिससे आप हमें देख सकें. समाज के वो लोग, जिनके काम को आप बुरा समझते हैं, चाहते हैं आप उन्हें नोटिस करें. वो ध्यान चाहते हैं. इज्जत चाहते हैं.

'उसकी भी बेटी है, मेरी बेटी जैसी'

लेकिन अगर आप उनसे बैठकर इस तरह बात नहीं करतीं, तो उसकी बेटी को कभी 'प्यारी' नहीं कहतीं. क्योंकि आपको उस बच्ची के बाप का पता नहीं होगा.

'वो भी मेरी ही जैसी वर्किंग वुमन है'

लेकिन आप इसे तब कैसे समझेंगे, जबतक आप सेक्स वर्कर को 'वर्कर' नहीं मानते. जबतक आप उनसे बैठकर, बातें कर, ये नहीं समझेंगे कि उनका काम भी काम है. चूंकि बिना शादी, या शादी के बाहर सेक्स करना हमारे लिए इतना अनैतिक है कि हम सेक्स वर्क को लीगल करने के बारे में सोचते ही नहीं. हम सेक्स वर्क को लीगल नहीं करते. इसलिए अगर किसी सेक्स वर्कर का रेप होता है, वो न्याय मांगने पुलिस या कोर्ट में भी नहीं जा सकती. न उसको प्रॉपर्टी का अधिकार मिलता है, न समाज में इज्जत.
ये चाय का प्रचार है. इसका लक्ष्य अपने प्रोडक्ट को मार्केट में ज्यादा से ज्यादा बेचना है. लेकिन ऐसे दौर में जब हम ऐड में लड़कियों को लड़के के आफ्टर-शेव लोशन की महक से बहकता दिखाया जा रहा है. वहीं इस तरह का ऐड बनाना एक अच्छी कोशिश है.
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