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बनियापुर सीट: विधायक के कातिल का भाई वर्सेस मृत विधायक का भाई, जीता कौन?

हत्या के मामले में पूर्व विधायक और सांसद को उम्रकैद हुई है.

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बाएं से दाएं: केदार नाथ सिंह, जो RJD के टिकट पर लड़ रहे हैं. तारकेश्वर सिंह, जिन्होंने पिछले साल BJP के टिकट पर चुनाव लड़ा था. VIP के वीरेंद्र कुमार ओझा. (फोटो- फेसबुक)

सीट का नाम- बनियापुर

ज़िला- सारण

कौन जीता-

नाम- केदार नाथ सिंह पार्टी- RJD कुल वोट- 65194 वोटों का अंतर- 27789

हार किसे मिली-

नाम- तारकेश्वर सिंह पार्टी- LJP कुल वोट- 33082

नाम- वीरेंद्र कुमार ओझा पार्टी- VIP (NDA के खेमे से) कुल वोट-  37405


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बनियापुर सीट में केदार नाथ को 38.74 फीसद वोट मिले.

पिछले चुनाव के नतीजे:

2015 चुनाव में केदार नाथ सिंह RJD के टिकट पर उतरे थे. तारकेश्वर सिंह BJP के टिकट पर और वीरेंद्र कुमार ओझा निर्दलीय उतरे थे. केदार नाथ को 69659 वोट मिले थे, तारकेश्वर को 53825 और वीरेंद्र कुमार ने 13518 वोट हासिल किए थे. केदार नाथ ने 15834 वोटों के अंतर से जीत पाई थी.

2010 में RJD के टिकट पर केदार नाथ, JD(U) के टिकट पर वीरेंद्र कुमार ओझा और कांग्रेस के टिकट पर शैलेश कुमार सिंह उतरे थे. केदार नाथ को 45000, वीरेंद्र कुमार को 41473 और शैलेश कुमार को 4108 वोट मिले थे. केदार नाथ ने 3527 वोटों के अंतर से जीत पाई थी.

सीट ट्रिविया-

- 2008 में हुए परिसीमन के पहले तक ये मसरख विधानसभा सीट कहलाती थी. - इस सीट से बाहुबली कहलाने वाले प्रभुनाथ सिंह 1985 और 1990 में विधायक चुने गए. - 1995 में अशोक सिंह विधायक बने, लेकिन कुछ ही दिन बाद उनकी हत्या हो गई. आरोप लगे प्रभुनाथ सिंह पर. - इधर प्रभुनाथ सिंह ने संसदीय राजनीति में कदम रखा, JD(U) के टिकट पर लोकसभा पहुंच गए. - मसरख सीट पर अब आए अशोक सिंह के भाई तारकेश्वर सिंह. 2000 में RJD के टिकट पर विधायक बने. - 2005 में दो चुनाव हुए थे, इसमें केदार नाथ ने भी हिस्सा लिया था. केदार नाथ प्रभुनाथ के भाई हैं. फरवरी में आए नतीजों में तारकेश्वर ने केदार नाथ को हरा दिया था, लेकिन अक्टूबर में केदार नाथ को जीत मिल गई. - 2010 में नाम हुआ बनियापुर विधानसभा सीट. परिसीमन के बाद. केदार नाथ RJD के टिकट पर लड़े, जीत मिली, 2015 में भी जीत मिली. केदार नाथ को अपने भाई प्रभुनाथ के नाम का फायदा मिलता रहा. - प्रभुनाथ को अशोक सिंह के मर्डर केस में 2017 में उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई. - अब एक बार फिर प्रभुनाथ के भाई केदार नाथ और अशोक सिंह के भाई तारकेश्वर आमने-सामने थे.