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क्या बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स मामले के पीछे एक ही लोग हैं?

बुल्ली बाई के मास्टरमाइंड के बारे में ये पता चला.

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बुल्ली बाई के मास्टरमाइंड के बारे में ये पता चला.
मुंबई पुलिस बुल्ली बाई प्रकरण की जितनी परतें खोलती जा रही है, इस सवाल का वज़न बढ़ता जा रहा है कि वो कौन लोग हैं, जो युवाओं को नफरत के इस रास्ते पर धकेलते जा रहे हैं. फिर सुल्ली डील्स और बुल्ली बाई के समानांतर उन सोशल मीडिया पोस्ट्स और पेजेस को खड़ा किया जा रहा है, जिनमें हिंदू महिलाओं को लेकर बेहद आपत्तिजनक बातें हैं. आज हम सवाल ये पूछेंगे कि अगर ट्विटर पर शोर न मचता, तो क्या हमारे मुल्क का निज़ाम कभी जाग भी पाता? क्या उसे ये ज़रूरी लगता, कि कभी हिंदू, तो कभी मुस्लिम तो कभी किसी और पहचान पर चोट करने के लिए महिलाओं की टार्गेटिंग रोकी जाए? बुल्ली बाई मामले में गिरफ्तारियों का सिलसिला अब आगे बढ़ रहा है. दी लल्लनटॉप लगातार दो दिनों से आपको इस मामले से जुड़ी सारी जानकारियां दे रहा है. हमने आपको बताया था कि किस तरह ऐसी मुस्लिम महिलाओं को निशाने पर लिया गया, जो सार्वजनिक जीवन में सक्रिय थीं और मुखर होकर मुद्दों पर अपनी राय रखती थीं. हमने आपको ये भी बताया था कि इस मामले में मुंबई पुलिस ने बेंगलुरू से विशाल कुमार झा नाम के एक लड़के को गिरफ्तार किया था. लेकिन विकास मामले में सहआरोपी था. मुख्य आरोपी थी उत्तराखंड की एक लड़की. अब इस लड़की की पहचान भी ज़ाहिर हो चुकी है. इस लड़की का नाम है श्वेता सिंह. इस तक पुलिस कैसे पहुंची, ये हमें इंडिया टुडे पर प्रकाशित दिव्येश सिंह की रिपोर्ट से मालूम चलता है. बकौल दिव्येश, विशाल झा का काम था बुल्ली बाई एप के लिए महिलाओं की तस्वीरों को एडिट करना और एप पर अपलोड करना. विशाल झा ने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि वो उत्तराखंड से एक महिला के संपर्क में है. और ये महिला कुछ दूसरे लोगों के संपर्क में है, जो बुल्ली बाई पर पोस्ट डालते थे. इसी निशानदेही पर मुंबई पुलिस ने श्वेता सिंह को उत्तराखंड के शहीद उधम सिंह नगर से पहले हिरासत में लिया. फिर गिरफ्तार कर लिया. श्वेता 18 साल की है. मूलतः उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से है. कैंसर से उसकी मां का देहांत हो गया था. 2021 में कोरोना महामारी के दौरान पिता की जान भी चली गई. श्वेता के तीन भाई बहन हैं और वो खुद इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए तैयारी कर रही है. बुल्ली बाई एप में श्वेता की भागीदारी को लेकर ये जानकारी है कि उसने जट खालसा 07 नाम से एक फर्ज़ी ट्विटर हैंडल बनाया था. इस हैंडल से नफरती पोस्ट और आपत्तिजनक तस्वीरों के साथ कॉमेंट किए जा रहे थे. ये जानकारी भी आई है कि श्वेता कथित रूप से नेपाल में रहने वाले अपने एक दोस्त के इशारों पर ये काम कर रही थी. पुलिस अब गीयू नाम के इस नेपाली नागरिक के बारे में जानकारी एकत्रित कर रही है. मुंबई पुलिस अब दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जांच करने वाली है. पहला बिंदू तो ये कि विशाल और श्वेता का समूह क्या जुलाई 2021 में सामने आए मामले में भी शामिल था? दूसरा बिंदू ये कि श्वेता ने अकेले इस एप को डेवलप किया, या फिर कुछ और लोग उसकी मदद कर रहे थे. अब आते हैं इस मामले में हुई तीसरी गिरफ्तारी पर. तीसरा नाम है मयंक रावल का. ये भी श्वेता की ही तरह उत्तराखंड का रहने वाला है और विशाल झा की तरह इसकी उम्र 21 साल है. पुलिस का मानना है कि मयंक रावल, श्वेता सिंह और विशाल झा से संपर्क में था और कथित रूप से मुस्लिम महिलाओं को लेकर अश्लील सामग्री पोस्ट करने वाले हैंडल्स को चला रहा था. श्वेता और विशाल की तरह मयंक ने भी अपने हैंडल्स का नाम सिख नामों पर रख दिया था. मुंबई पुलिस का मानना है कि ये तीनों एक बड़े समूह का हिस्सा हैं. जब उत्तराखंड से दो गिरफ्तारियों का ज़िक्र हुआ, तो प्रेस पहुंची उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशक अशोक कुमार के पास. अशोक कुमार ने कहा कि मामले में गिरफ्तार लड़की के पिता इस दुनिया में नहीं हैं. ऐसा लगता है कि वो पैसे के लिए इस काम में शामिल हुई. इतना था कि सोशल मीडिया पर इस बयान को रीट्वीट करते हुए पूछा जाने लगा कि उत्तराखंड पुलिस हरिद्वार में हेट स्पीच के मामले में एक भी गिरफ्तारी करने में नाकामयाब क्यों रही? खैर, इस विषयांतर को छोड़कर DGP अशोक कुमार की बात पर गौर करते हैं. वो आशंका जता रहे हैं कि श्वेता पैसों की ज़रूरत के चलते इस काम से जुड़ी होगी. अगर इस बात में वाकई दम है, तो ये मालूम करना बहुत ज़रूरी हो जाता है कि इस पूरी कवायद को कौन फंड कर रहा था. ये पैसा कैसे इकट्ठा किया गया. और किस मकसद से श्वेता के समूह तक पहुंचाया गया. कि इन लोगों को ये मालूम था, कि वो कितनी बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं? इस सवाल का सही वज़न समझने के लिए हम आपको इंडिया टुडे पर प्रकाशित दिव्येश सिंह की रिपोर्ट तक एक बार फिर लेकर चलते हैं. दिव्येश अपनी रिपोर्ट में बताते हैं कि श्वेता से जुड़े लोग एक ही विचारधारा से जुड़े हुए थे. ये सवाल बहुत बड़ा है कि वो कौनसी विचारधारा है जो 18 और 21 साल के नौजवानों को नफरत के इस वीभत्स भंवर में धकेल रही है. इन तीनों पर लगे आरोपों का फैसला अब न्यायालय को करना है. लेकिन उनका फैसला कौन करेगा, जिन्होंने इन लोगों को इस भद्दे काम में लगाया. इनके करियर को बरबाद किया. अब आपको इसी कड़ी में एक और परेशान करने वाली बात बताते हैं. सुल्ली डील्स में पुलिस की कार्रवाई का असर कितना हुआ, ये हम जानते हैं. जबकि इस एप का प्रचार करने वाले लोग खुलेआम घूम रहे हैं. फिर बुल्ली बाई प्रकरण सामने आया. अब टेलिग्राम, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ऐसे चैनल्स और पेज की जानकारी सामने आ रही हैं, जिनमें हिंदू महिलाओं को लेकर बेहद आपत्तिजनक बातें लिखी गईं. इनमें से एक को ब्लॉक करने की जानकारी स्वयं केंद्रीय सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज दी. महिलाओं को लेकर अश्लील बातें करने का, उन्हें आपस में सरक्यूलेट करने का चलन हमारे यहां बहुत पुराना है. इस बारे में बात करने पर बहस की एक अलग दिशा मिलती है. लेकिन इतना साफ है कि किसी भी कारण से किसी खास पहचान की महिलाओं के बारे में खुलेआम ऐसी सामग्री का प्रचार यही बताता है कि हमारे यहां कानून का खौफ कितना कम है. हम एक बार फिर याद दिलाना चाहते हैं वो वादे, जो IT RULES 2021 लाते वक्त किए गए थे. कि सोशल मीडिया पर होने वाले शोषण पर लगाम लगाई जाएगी. खासकर महिला यूज़र्स की गरिमा का ध्यान रखा जाएगा. क्या सरकार इन दावों पर खरी उतर पाई, जवाब हमारे सामने है. पहचान और नफरत की बात चली है, तो आपको कुछ अपडेट और देते चलें. हमने आपको बताया था कि 30 दिसंबर 2021 को छत्तीसगढ़ पुलिस ने कालीचरण दास को गिरफ्तार किया था. कालीचरण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वो गांधी जी को गाली देते सुनाई दे रहे थे. उन्होंने मुस्लिम समुदाय को लेकर बेहद आपत्तिजनक बातें भी कही थीं. इसके बाद विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज हुआ और कालीचरण धर लिए गए. अब एक नई जानकारी सामने आई है. कालीचरण को अब महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. ये एक दूसरा मामला है. 19 दिसंबर को पुणे के शुक्रवार पेठ में शिवप्रताप दिन के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम हुआ था. इस दौरान भी कालीचरण पर आपत्तिजनक और भड़काऊ भाषण देने का आरोप है. इस मामले में कालीचरण के साथ हिंदुत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे, नंदकिशोर एकबोटे, मोहनराव शेटे, दीपक नागपुरे और कैप्टन दिगेंद्र कुमार (से.नि.) पर मामला दर्ज हुआ है. कैप्टन दिगेंद्र कारगिल की लड़ाई के हीरो हैं और उन्हें महावीर चक्र से अलंकृत किया गया था. इन सभी पर कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम और ईसाई समुदाय के खिलाफ भावनाएं भड़काने का आरोप है. मामले दर्ज होते हैं तो लगता है कि जैसे कुछ हो रहा है. आप अधिक उत्साह में न आ जाएं कि भारत में अब वाकई कानून का राज है, इसीलिए आपको एक अपडेट और देते हैं. अमर उजाला की इस खबर पर गौर कीजिए. महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक, और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के लिए जाने जाने वाले नरसिंहानंद गिरी 5 जनवरी को यूपी के अलीगढ़ में टप्पल आए हुए थे. मौका था नवनिर्मित हनुमान मंदिर के उद्घाटन का. हनुमान, कर्तव्यपरायणता की मूर्ति. शक्ति के साथ संयम और भोलेपन का अनूठा मेल. ऐसे ईष्ट के मंदिर के उद्घाटन में अब आप नरसिंहानंद के बोल सुनिए. बकौल अमर उजाला, नरसिंहानंद ने कहा कि जिहादियों से हिंदू बेटियों को बचाना है तो अधिक बच्चे पैदा करें. जिन हिंदुओं ने एक-एक बच्चा पैदा करने का चलन चला रखा है उनको वह नाग-नागिन ही कहेंगे. इसी के साथ मंच पर तलवार लहराते हुए कहा कि अब यही हमारी रक्षा करेगी. ये बोलने के बाद नरसिंहानंद गिरी गिरफ्तार क्यों और कैसे नहीं हुए, ये जानकारी अभी हमारे पास नहीं आई है.