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ऑस्कर में इंडिया की आखिरी उम्मीद 'राइटिंग विद फायर' की असली कहानी ये है

Writing With Fire को ऑस्कर 2022 में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया है.

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'राइटिंग विद फायर' के एक सीन में मर्दों की भीड़ के बीच खबर लहरिया की रिपोर्टर.
8 फरवरी को ऑस्कर नॉमिनेशंस अनाउंस हुए. इसमें 'राइटिंग विद फायर' को बेस्ट 'डॉक्यूमेंट्री फीचर' कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया है. इस डॉक्यूमेंट्री को बनाया है रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष ने. ये पहला मौका है, जब किसी इंडियन डॉक्यूमेंट्री को ऑस्कर में नॉमिनेशन मिला है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने पर रिंटू और सुष्मित खुशियां मना रहे हैं. वो वीडियो आप नीचे देख सकते हैं-
# किस बारे में है Writing With Fire?
'राइटिंग विद फायर' एक डॉक्यूमेंट्री है, जो 'खबर लहरिया' नाम के अखबार/पोर्टल चलाने वालों की कहानी दिखाती है. 'खबर लहरिया' की खास बात ये है कि ये इंडिया का इकलौता न्यूज़पेपर है, जिसे दलित महिलाओं ने शुरू किया था. 2002 में इस अखबर को 'निरंतर' नाम के दिल्ली बेस्ड NGO ने चित्रकूट में शुरू किया था. पहले इसे महिलाओं द्वारा, महिलाओं से जुड़े विषय पर बात करने वाला अखबार माना जाता था. मगर समय के साथ खबर लहरिया की पत्रकारों ने लोकल लेवल पर हर तरह की खबरों को कवर करना शुरू कर दिया. इसमें पॉलिटिक्स से लेकर सोशल और क्राइम न्यूज़ भी शामिल है. बेस्ट चीज़ ये कि दर्शकों को हर खबर महिलाओं के नज़रिए से देखने को मिलती है.
हालांकि बीतते समय के साथ अखबार पढ़ने वालों की संख्या कम होने लगी. इंटरनेट क्रांति के बाद सारा मामला ऑनलाइन शिफ्ट हो गया. ऐसे में 'खबर लहरिया' ने भी ऑनलाइन जाने का फैसला किया. ये डॉक्यूमेंट्री 'खबर लहरिया' के इसी ट्रांज़िशन वाले फेज़ की कहानी दिखाती है. जिन महिलाओं ने अपने जीवन में कभी स्मार्टफोन या कैमरा इस्तेमाल नहीं किया था, उन्होंने कैसे टेक्नॉलोजी को लोगों तक पहुंचने का ज़रिया बनाया. इस डॉक्यूमेंट्री का ट्रेलर आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं-

# Khabar Lahariya को लेकर इतना हल्ला क्यों?
खबर लहरिया का होना अपने आप में क्रांति का सूचक है. ये अखबार/पोर्टल इंडिया के उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ऑपरेट करता है. ये देश के वो हिस्से हैं, जहां जाति प्रथा एक बड़ा मसला है. महिलाओं से जुड़े सबसे ज़्यादा क्राइम भी इन्हीं इलाकों में रिपोर्ट किए जाते हैं. ऐसे में कुछ महिलाएं आती हैं, जो लोकल मुद्दों पर बात करने के लिए अखबार शुरू करती हैं. मर्द, कथित ऊंची जाति के लोग, पुलिस और प्रशासन से सवाल पूछती हैं. दलित और ऊपर से महिलाएं. ये लिटरली डेडली कॉम्बिनेशन है.
जब आप 'राइटिंग विद फायर' डॉक्यूमेंट्री या उसका ट्रेलर देखेंगे, तो एक बात आपको खबर लहरिया की पत्रकारों से कई बार सुनने को मिलेगी- 'मुझे डर लग रहा है'. वो महिलाएं वाकई अपने जान की बाजी लगाकर पत्रकारिता कर रही हैं. वो पुलिस से सवाल कर रही हैं कि गांव के उस व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज क्यों नहीं की गई, जिस पर एक लड़की के साथ रेप करने का आरोप है. वो दलितों की बेहतरी की बात करने वाले नेताओं से उनके वादे पर फॉलो-अप लेती हैं. खनन माफियाओं की लापरवाही से मरने वाले मजदूरों पर बात कर रही हैं.
इस पोर्टल की एडिटर इन-चीफ हैं मीरा देवी. 14 साल की उम्र में मीरा की शादी हो गई थी. बच्चों को बड़ा करने के साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई भी जारी रखी. उनके पास तीन डिग्रियां. मगर उनके पति नहीं चाहते कि वो ये काम करें. 'राइटिंग विद फायर' के एक सीन में उन्हें मीरा के सफल नहीं होने की बात कहते सुना जा सकता है. दूसरी रिपोर्टर हैं सुनीता. सुनीता की शादी इसलिए नहीं हो पा रही क्योंकि उनकी फैमिली दहेज देने की हालत में नहीं है. हालांकि उनका परिवार भी चाहता है कि वो पत्रकारिता वगैरह छोड़ अपनी गृहस्थी बसाने पर ध्यान दें. मगर सुनीता इन बातों को अनसुना करते हुए अपने काम में लगी हुई हैं.
डॉक्यूमेंट्री के एक सीन में महिलाओं से बात करतीं खबर लहरिया की रिपोर्टर.
डॉक्यूमेंट्री के एक सीन में महिलाओं से बात करतीं खबर लहरिया की रिपोर्टर.


# कहां से आया 'खबर लहरिया' पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का आइडिया?
Writing With Fire को रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष ने मिलकर डायरेक्ट और प्रोड्यूस किया है. डेडलाइन को दिए एक इंटरव्यू में दोनों लोग बताते हैं कि खबर लहरिया पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का आइडिया उन्हें कैसे आया. वो बताते हैं-
''राइटिंग विद फायर की कहानी एक सिंपल फोटो के साथ शुरू हुई थी. हमने ऑनलाइन एक दलित महिला की फोटो देखी, जो मर्दों की भीड़ के बीच खड़े होकर उनसे सवाल पूछ रही थी. वो बड़ी पावरफुल तस्वीर थी. इसी फोटो ने हमें खुद से सवाल करने को मजबूर किया कि आखिर जर्नलिज़्म होता क्या है? कौन सी चीज़ न्यूज़ होती है? हमें किन खबरों या कहानियों को लोगों तक पहुंचाना चाहिए? उन्हीं सवालों का जवाब है ये डॉक्यूमेंट्री.''
Writing With Fire को सबसे पहले प्रतिष्ठित सनडांस फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर किया गया. यहां इस डॉक्यूमेंट्री ने दो अवॉर्ड्स जीते. तब से लेकर अब तक इस डॉक्यूमेंट्री को दुनिया के 100 से ज़्यादा फिल्म फेस्टिवल्स में प्रदर्शित किया जा चुका है. जहां से इसने कुल 28 अवॉर्ड्स जीते.
'राइटिंग विद फायर' को डायरेक्ट करने वाले सुष्मित घोष और रिंटू थॉमस.
'राइटिंग विद फायर' को डायरेक्ट करने वाले सुष्मित घोष और रिंटू थॉमस.


# ऑस्कर में Writing With Fire को मिलेगी कड़ी टक्कर
Writing With Fire को ऑस्कर 2022 में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया है. इस कैटेगरी में 'असेन्शन', 'एटिका', 'फ्ली' और 'समर ऑफ सोल' जैसी डॉक्यूमेंट्रीज़ भी नॉमिनेटेड हैं. इन सभी डॉक्यूमेंट्रीज़ को दुनियाभर में खूब सराहा गया है. अब देखना होगा कि अवॉर्ड कौन जीतता है. अगर 'राइटिंग विद फायर' ऑस्कर नहीं भी जीतती, तो इससे उस डॉक्यूमेंट्री के प्रभाव पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. ज़ाहिर तौर पर थोड़ी निराशा होगी. मगर उस डॉक्यूमेंट्री का मक़सद ऑस्कर जीतना नहीं, खबर लहरिया और उसे चलाने वालों की कहानी को दुनिया तक पहुंचाना था. जो उसने कर दिया है. ऑस्कर अवॉर्ड्स 27 मार्च को लॉस एंजेलिस में होने हैं.

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