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जितने मिनट अलका याग्निक गातीं, हम दूसरी दुनिया में होते

अलका, जिन्होंने एक, दो, तीन से शुरू किया और हजारों गाने गा डाले. आज बड्डे है.

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Source- Singer Alka Yagnik Facebook Page
अब आप सुनेंगे अगला गाना. अलका याग्निक और उदित नारायण की आवाज में, फिल्म है दिल दे चुके सनम, संगीत दिया है इस्माइल दरबार ने. और रेडियो पर गाना बज उठता.
चांद छुपा बादल में, शरमा के मेरी जानां. सीने से लग जा तू, बल खाके मेरी जानां.
गाने में ऐसी कशिश थी कि बस हम फैंटेसी में चले जाते थे. गाने की लाइनें खुद पर ही फिल्माने लगते थे. पिघलती हुई एक लाइन आती है गाने में. नज़दीकियां मिट जाने दे. और इसके बाद आती है अलका याग्निक की आवाज. अरे नहीं बाबा नहीं अभी नहीं नहीं नहीं. आहा! ऐसा लगता था कि मेरी और रेडियो पर बज रही अलका की आवाज एकाकार हो गई है. लगता था कि ये मेरी ही आवाज है जो अलका याग्निक बनकर गा रही है. ये जादू है  उनकी आवाज का. वो बस अपना बना लेती थीं. वो झुमा देती थीं, सब भुलवा देती थीं. जितने मिनट गाना चलता उनका, हम उसी दुनिया में पहुंच जाते जहां अलका हमें बहा ले जाना चाहती हैं. 
‘ताल’ के टाइटल ट्रैक में अलका याग्निक रहमान के जादुई संगीत में गा रही है. गाने के बीच में उदित आते हैं, ‘माना अंजान है तू मेरे वास्ते’. और वहां से गाना एक और ही ऊंचाई पर चला जाता है. सिम्पली अमेजिंग !
एक वो समय था, जब न मालूम कितने घरों में ऐसी कितनी औरतें थीं, कुमार सानू जिनके अकेलेपन के सबसे अच्छे साथी थे. अकेलेपन के साथी की आवाज को अपना साथ कौन देता था? अलका याग्निक. अलका की आवाज के सुरूर में फिर से डूब जाइए, वही वाला गाना यहां सुनिए. https://youtu.be/RcODRM8J_L0
अलका के पास सबसे ज्यादा फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड है. 7 बार बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड मिला है उन्हें. 36 बार नॉमिनेशन मिल चुके हैं. (आशा भोसले को भी 7 बार फिल्मफेयर मिला है लेकिन ज्यादा बार नामांकन होने की वजह से ये रिकॉर्ड अलका की झोली में है). अलका 2 बार की नेशनल अवॉर्ड विनर हैं.
20 मार्च 1966 में कोलकाता की एक गुजराती फैमिली में अलका पैदा हुई थीं. उनकी मां शुभा क्लासिकल सिंगर थीं. अलका ने 6 साल की उम्र में ही ऑल इंडिया रेडियो, कोलकाता के लिए गाना शुरू कर दिया था. जब वो 10 साल की हुईं तो उनकी मां लेकर मुंबई चली आईं. ताकि उनके करियर को जमाया जा सके. अलका को लेकर उनकी मां प्रोड्यूसर्स के पास जाने लगीं. एक दिन राजकपूर साहब ने कहीं पर छोटी सी अलका को गाते हुए सुना. उन्हें बड़ी पसंद आई ये नई आवाज. उन्होंने अलका को सीधे म्यूजिक डायरेक्टर लक्ष्मीकांत के पास भेज दिया. लक्ष्मीकांत ने अलका को सुना और उनकी मां से कहा कि या तो ये बच्ची अभी से ही डबिंग आर्टिस्ट के तौर पर काम शुरू कर सकती है या फिर इसकी आवाज मैच्योर हो जाने दीजिए क्योंकि ये एक बहुत बड़ी सिंगर बनने वाली है. अलका की मां ने दूसरा वाला विकल्प चुना. इस वाकये के कुछ ही सालों बाद अलका ने बॉलीवुड में अपना पहला कदम रखा. 1980 में फिल्म आई थी 'पायल की झंकार'. उसमें अलका ने गाना गाया, 'थिरकत अंग'. https://youtu.be/KXxvPp51MtM अगले साल 1981 में लावारिस का सुपरहिट गाना गाया 'मेरे अंगने में'. फिर 1988 में फिल्म आई 'तेजाब'. वही माधुरी दीक्षित वाली. इसके 'एक दो तीन' वाले गाने ने तो अलका की आवाज की धूम मचा दी. और इसी गाने के लिए उनको पहला फिल्म फेयर भी मिल गया. अलका ने कन्नड़ छोड़कर तकरीबन हर भारतीय भाषा में गाना गाया है. अलका ने अब तक हजार से ज्यादा हिंदी फिल्मों में लगभग ढाई हजार गाने गाए हैं. और इसी के साथ वो आशा भोसले, लता मंगेश्कर, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार के बाद सबसे ज्यादा गाना गाने वाले सिंगर्स की लिस्ट में 5वें नंबर पर हैं. Alka Yagnik जाते-जाते बात उनके पिछले साल आए गाने 'अगर तुम साथ हो' पर. इरशाद कामिल के लिखे इस गाने को रहमान ने जिस रूमानियत से कंपोज किया था, उसमें अलका याग्निक की आवाज ने 18 चांद लगा दिए थे. अलका ने मानो हर टूटे दिल से निकले दर्द को अपनी आवाज में पिरो दिया था. बैठी-बैठी भागी फिरूं. इसको इस अंदाज में अलका ही गा सकती थीं. ये गाना वैसे तो आपकी प्लेलिस्ट में चल ही रहा होगा. नहीं चल रहा है तो यहां सुनते जाओ. https://youtu.be/sK7riqg2mr4
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