अहमदाबाद प्लेन क्रैश (Ahmedabad Plane Crash) को लेकर कई तरह की अटकलें चल रही हैं. सोशल मीडिया पर लोग अलग-अलग तरीके से अंदाजा लगा रहे हैं कि एयर इंडिया के फ्लाइट AI171 के साथ क्या गड़बड़ी हुई. हादसे के जो वीडियो सामने आए हैं, उसके आधार पर एविएशन एक्सपर्ट कैप्टन स्टीव ने कुछ संभावित कारणों पर चर्चा की है.
अहमदाबाद प्लेन क्रैश की वजह लैंडिंग गियर? पायलट की गलती बताने वालों पर एक्सपर्ट क्या बोले?
Air India के फ्लाइट AI171 के साथ क्या गड़बड़ी हुई? Ahmedabad में जब ये फ्लाइट क्रैश हुई तो इसमें 242 लोग सवार थे. सिर्फ 1 पैसेंजर जिंदा बच पाया. इतना बड़ा हादसा हुआ कैसे? एक्सपर्ट से समझिए.

आगे बढ़न से पहले ये बता दें कि AI171 का ब्लैकबॉक्स मिल गया है. ये ‘फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर’ होता है जिसमें विमान की सारी गतिविधियों की जानकारी होती है. ब्लैकबॉक्स की जांच के बाद जल्द ही इस हादसे के कारण सामने आ जाएंगे. जानकारी पुख्ता और आधिकारिक होगी. एक्सपर्ट्स के बताए सारे कारण संभावित हैं और उनके अपने विश्लेषण पर आधारित हैं.
अहमदाबाद प्लेन क्रैश का वीडियोजानकारों ने हादसे के विजुअल्स के हवाले से कहा है कि टेक ऑफ के बाद, प्लेन के लैंडिंग गियर को सामान्य स्थिति में नहीं देखा गया. सामान्य स्थिति में टेक ऑफ के कुछ ही सेकंड के बाद, लैंडिंग गियर वापस यानी ऊपर की ओर खींच लिया जाता है. ऐसा तब किया जाता है, जब प्लेन साकारात्मक गति से ऊपर की ओर बढ़ने लगता है.
बाहर निकला हुआ लैंडिंग गियर ईंधन की खपत को बढ़ाता है और विमान की गति को कम करता है. इसे वापस खींच लेने से विमान को ऊपर की ओर जाने में मदद मिलती है. कैप्टन स्टीव ने इस बारे में इंडिया टुडे ग्रुप से कहा,
वीडियो में देखा जा सकता है कि कम से कम शुरुआती टेकऑफ सामान्य था, दोनों इंजन उड़ान भरने के लिए पर्याप्त जोर दे रहे थे.
टेक ऑफ के बाद 50 से 100 फीट की ऊंचाई पर लैंडिंग गियर वापस खींच लिया जाता है. लेकिन वीडियोज में फ्लाइट AI171 के साथ ऐसा होता हुआ नहीं दिखा. इसके तुरंत बाद विमान लिफ्ट (ऊपर उठने की ताकत) खो देता है.
हालांकि, लिफ्ट खोने के कई और कारण भी हो सकते हैं. विमान के दोनों इंजन के फेल होने के कारण भी हो सकता है. लेकिन मुझे इसकी संभावन कम लगती है. क्योंकि हम (वीडियो में) देख सकते हैं कि टेक ऑफ के समय इंजन ठीक से काम कर रहे थे.

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फ्लैप्स एक तरह के एयरोडायनामिक डिवाइस होते हैं जो एयरप्लेन के पंखों के पीछे लगे होते हैं. जब इन्हें नीचे की ओर झुकाया जाता है, तो ये पंखों की लिफ्ट (यानी उठाने की ताकत) बढ़ा देते हैं. आमतौर पर टेक-ऑफ के समय फ्लैप्स को नीचे किया जाता है.
AI171 के फ्लैप्स को नीचे किया गया था या नहीं? इस पर जानकारों की मिलीजुली राय है. कुछ का कहना है कि ये सामान्य स्थिति में था जबकि कुछ इससे इनकार कर रहे हैं. कैप्टन स्टीव इस बारे में कहते हैं,
लिफ्ट खोने की दूसरी वजह विंग फ्लैप्स की स्थिति हो सकती है. फ्लैप्स उस स्थिती में नहीं थे कि अतिरिक्त लिफ्ट बन सके. लैंडिंग गियर बाहर हों और धीमी गति पर प्लेन लिफ्ट खो दे, तो वही होता है जो हम सबने देखा. विमान नीचे की और आने लगेगा, जब तक कि वो जमीन से न टकरा जाए.
स्टीव यहां एक जरूरी पहलू भी रेखांकित करते हैं. वो कहते हैं कि फ्लैप्स को उड़ान के लिए सेट किए बिना ही टेक ऑफ करना असंभव है. वो कहते हैं,
ऊपर की ओर जाते वक्त अगर फ्लैप टेक ऑफ के लिए सेट नहीं होते हैं, तो एक हॉर्न बजता है जो बहुत तेज होता है. फिर आपके सामने लाइटें चमकती हैं. ये सोच पाना भी मुश्किल है कि पायलट ऐसी स्थिति में टेक ऑफ करेगा.

कैप्टन स्टीव का इशारा इस तरफ है कि फ्लैप्स को टेक ऑफ के लिए सेट किया गया होगा. लेकिन संभवत: इसके बाद भ्रम की किसी स्थिति के कारण गड़बड़ी हुई हो. स्टीव कहते हैं,
एक और संभावना है जो दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसा हो सकता है, सब कुछ सामान्य रूप से चल रहा था. लेकिन जब पायलट ने लैंडिंग गियर खींचने के लिए कहा, तो संभवत: दूसरे पायलट ने गलती से फ्लैप्स हैंडल को पकड़ लिया. इस तरह लैंडिंग गियर हैंडल की जगह फ्लैप्स हैंडल ऊपर उठा दिया गया होगा. हो सकता है कि इसी कारण से लैंडिंग गियर नीचे रह गए और फ्लैप्स ऊपर आ गए. और इसके कारण पंखों ने अपनी सारी लिफ्ट खो दी.

उन्होंने कहा कि लैंडिंग गियर हैंडल की जगह, फ्लैप्स हैंडल खींचने के बाद प्लेन में कुछ ऐसे इवेंट्स होंगे कि उन्हें संभालना मुश्किल होगा. खासकर तब जब विमान की ऊंचाई बहुत कम हो. जैसा कि इस स्थिति में था. उन्होंने कहा,
विमान यदि अधिक ऊंचाई पर होता, तो नोज (प्लेन के आगे नुकीले हिस्से) को नीचे करके कुछ गति प्राप्त किया जा सकता था. ऐसा करने पर शायद इस संकट से बाहर निकला जा सकता था. लेकिन जब ये सब हो रहा था, तब वो लगभग 300 फीट की ऊंचाई पर थे.

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पावर फेल, ड्यूल इंजन फेल या पक्षी टकराया?कैप्टन ने आगे कहा कि इस हादसे के कुछ और कारण हो सकते हैं. मसलन कि पावर फेल होना, ड्यूल इंजन फेल होना, ईंधन कंटामिनेट होना या पक्षी टकराना. लेकिन अगर ऐसा कुछ होता तो उसके संकेत काफी पहले दिख जाते. चूंकि, शुरुआती टेक ऑफ सामान्य था, इसलिए पावर या ड्यूल इंजन को प्राथमिक कारण मानना मुश्किल प्रतीत होता है.
स्टीव कहते हैं कि पक्षियों का टकराना भी एक कारण हो सकता है. लेकिन इस नुकसान के लिए जरूरी है कि पक्षियों का झुंड टकराया हो. लेकिन वीडियो में ऐसा कुछ नहीं दिखता.
एक कारण ये भी हो सकता है कि प्लेन में डाले जाने वाला ईंधन कंटामिनेटड यानी प्रदूषित हो गया हो. ईंधन में किसी बाहरी चीज के मिले होने कारण भी हादसा हो सकता है. कैप्टन स्टीव इससे इनकार नहीं करते कि AI171 के साथ भी ऐसा हुआ हो. लेकिन वो इसे दुर्लभ बताते हैं. वो कहते हैं,
जिस मशीन से प्लेन में ईंधन डाला जाता है, वो बहुत ही ज्यादा एडवांस होती है. वो बहुत ही आसानी से ईंधन में किसी भी बाहरी चीज को पहचान लेती है. अगर ईंधन में एक बूंद पानी भी हो, तो मशीन प्लेन में ईंधन जाने ही नहीं देती.
स्टीव हादसे का मूल कारण लैंडिंग गियर और फ्लैप्स की स्थिति को ही मान रहे हैं. हालांकि, गियर और फ्लैप्स के असामान्य स्थिति में होने के कारण प्लेन के पावर और इंजन पर भी असर पड़ सकता है.
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इस हादसे में पायलट की गलती थी या नहीं? कैप्टन स्टीव कहते हैं कि ये जानने के लिए ब्लैकबॉक्स की जांच के बाद आने वाले रिपोर्ट का इंतजार करना होगा. अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी है. उन्होंने कहा कि अभी जिन-जिन कारणों की चर्चा हो रही है, वो सब अंदाजा मात्र हैं.
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