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मैंने सब कुछ हिंदी से कमाया है: प्रसून जोशी

अब अंग्रेज़ीदां लोगों की भवें तननी कम हो रही हैं.

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फोटो - thelallantop

वो शख्स ट्रक के पीछे लिखी लाइन को ‘वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा’ लिखकर ऐड बना देता है, गाना लिखते वक्त ‘धीमी आंच पर इश्क चढ़ा देता है’ और कविता लिखते वक्त ‘धूप के सिक्के’ ढूंढने लगता है. ऐडमैन, गीतकार, कवि प्रसून जोशी साहित्य आज तक में लल्लनटॉप अड्डे पर आए और ज़ुबान से लेकर किस्से, कविताओं और विज्ञापनों पर बात की.

उत्तराखंड़ के हिंदी माध्यम के स्कूलों में पढ़े प्रसून ने उस ज़माने में विज्ञापन उद्योग में काम करना शुरू किया जब विज्ञापन सिर्फ अंग्रेज़ी में बनते थे. इनके हिंदी में बनाए ऐड्स न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विज्ञापनों में गिने जाते हैं. तो कहां से आते हैं आइडिया? प्रसून बताते हैं, ‘जो-जो आम लोगों में मुझे दिखाई दिया, उन्हें ही मैंने विज्ञापनों में बदल दिया.’

हिंदी बोलने वाला तो फटेहाल, गरीब और बेरोज़गार होता है, इस पूर्वग्रह पर चोट करते हुए प्रसून ने कहा, ’सबसे पहले हिंदी में आत्मविश्वास आना चाहिए, जब तक आत्मविश्वास नहीं आएगा, आप उसे दरिद्रता से जोड़ते जाएंगे.’

अपने देश के अंग्रेजीदां लोगों पर टिप्पणी करते हुए प्रसून ने कहा कि विदेशों में कोई गलत अंग्रेजी बोले तो भी लोग समझते हैं, इसकी भाषा अंग्रेज़ी नहीं है, नई भाषा बोलने की उसकी कोशिशों को सराहते हैं लेकिन हमारे यहां भवें तन जाती हैं. पर लोकतंत्र बहुत मज़बूत है ऐसे लोगों की भवें तननी कम हो रही हैं.

अगर आप भी अपने अंदर छुपे रचनात्मक इंसान से भेंट करना चाहते हैं तो प्रसून जोशी की लल्लनटॉप अड्डे पर कही बातें शायद मददगार साबित हों. ये रही पूरी बातें प्रसून की ज़ुबानी...

https://www.youtube.com/watch?v=c4dIzyWTiNk