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आरुषि मर्डर केस: मां-बाप ने नहीं, नौकर ने नहीं, इस तीसरे व्यक्ति ने की थी हत्या!

आरुषि की हत्या किसने की थी, इस पर डॉक्टर ने क्या दावा किया?

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(फोटो - आजतक)

इस बार हमारे गेस्ट बने डॉ. तीरथ दास डोगरा. डॉ डोगरा टॉप के फ़ॉरेंसिक पैथोलॉजिस्ट हैं. अपने करियर में उन्होंने देश के सबसे बड़े केस डील किए. इंदिरा गांधी हत्या, निठारी हत्याकांड, गोधरा हिंसा, बाटला हाउस एनकाउंटर, हरेन पांड्या मर्डर केस. जो केस राष्ट्रीय लेवल की बहस बने, लगभग सभी की जांच में डॉ. डोगरा शामिल थे. ऐसा ही एक केस है आरुषि मर्डर केस. केस अभी भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा हैं.

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किसने मारा था?

मई, 2008. 15 और 16 तारीख़ की दरमियानी रात का डबल-मर्डर केस. नोएडा के जलवायु विहार इलाक़े के एक घर में 13 साल की एक लड़की मृत पाई गई. लड़की का नाम, आरुषि तलवार था. सबसे पहले शक गया घर के सहायक हेमराज पर. लेकिन, अगली सुबह उसकी लाश भी मिली. घर की छत से. गला कटा हुआ और सिर में चोटें. छत का दरवाज़ा बाहर से बंद था. 

गुत्थी सुलझे, इससे पहले ही मीडिया में चल गई. टीवी पर पूरे दिन चर्चाएं, पूरे दिन इन्वेस्टिगेशन. मौत के छह दिन बाद पुलिस को शक गया मां-बाप पर. इस पर भी भरपूर ख़बरें बनीं. 23 मई 2008 को लड़की के पिता राजेश तलवार को डबल मर्डर के आरोप में गिरफ़्तार किया गया. लगभग दो महीने जेल में काटे, फिर पिता को ज़मानत मिल गई. दिसंबर 2010 में, CBI ने अपर्याप्त सबूत के आधार पर क्लोज़र रिपोर्ट पेश की. नौकर को क्लीन चिट दे दी और मृतका के पिता राजेश तलवार को मुख्य संदिग्ध बताया. हालांकि, अदालत ने सबूत के अभाव में मां-बाप को बरी कर दिया. गुत्थी तो अभी भी उलझी है.

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अपनी जांच के आधार पर डॉ. डोगरा ने जो हमें बताया, वो सुन लीजिए.

"आरुषि के केस में सबूतों के साथ छेड़छाड़ हुई. कुछ ऐसे सबूत थे, जो केस को और पुख़्ता कर सकते, वो मीडिया और अन्य कारणों की वजह से ख़त्म हो गए. जैसे आरुषि के कमरे के बाहर कुछ निशान थे. हम जब तक क्राइम सीन पर पहुंचे तब तक वो बिल्कुल ख़त्म हो चुका था. बस एक छोटा खून का धब्बा बचा हुआ था. इसके अलावा जिस बोतल से उसने शराब पी, उस बोतल और गिलास पर भी निशान होने चाहिए थे.

अगर आप मेरी कहानी जानना चाहो, तो मेरा मानना है कि जिसने आरुषि को मारा, वो हेमराज का कोई परिचित था.

सबसे पहले तो आप ये समझिए कि ये जो लड़की थी, वो IVF के ज़रिए. यानी वो अपने मां-बाप को बहुत प्रिय रही होगी. उनका कोई और बच्चा नहीं है.

तो यह जो व्यक्ति जिसने मारा, वो हेमराज से मिलने आया था. उसका हेमराज लेना-देना तो हेमराज से है, लेकिन ये आदमी आरुषि को भी जानता था और आरुषि भी उसको जानती थी. कैसे? कुछ दिन पहले तक आरुषि ने अपने मां-बाप से कहा था कि वो अलग कमरे में सोना चाहती है. तो उन्होंने उसे अलग कमरा दे दिया. वो कमरा इनके कमरे के पास ही था. इधर हेमराज आरुषि के सोने के बाद घर के काम करता था. लेट तक जागता था. मां-बाप सो जाते थे. तो मां-बाप के सोने के बाद, हेमराज से मिलने जो भी आता था, आरुषि उसको जानती थी. ऐसे ही किलर को भी जानती थी.

जिस दिन ये घटना हुई, अगली सुबह उसका बर्थडे था. बर्थडे के लिए उसके मां-बाप ने कैमरा मंगवाया था. उनसे रहा नहीं गया, तो उन्होंने बर्थडे से पहले ही उसे कैमरा दे दिया. लड़की ख़ुश. उसने अपने मां-बाप से कहा कि आप सो जाओ. वो सो गए. इसी बीच किलर आया. जिसे ये लड़की जानती है. अब हम ये न जान सके कि हेमराज और इस आदमी के बीच क्या झगड़ा हुआ? कुछ तो हुआ. फिर दोनों लोग छत पर गए और छत पर दोनों की कहासुनी होती है. वो व्यक्ति हेमराज को मार देता है. अब ये किलर जानता है कि आरुषि ने उसे देख लिया है. पूछने पर वो पहली गवाह हो सकती है. मेरे अनुभव में ऐसे जो भी केसेज़ होते हैं, उसमें हत्यारा प्राइम-विटनेस को मारता ही है. इसने भी ऐसा ही किया."

ये व्यक्ति कौन था, इसके बारे में भी डॉ. डोगरा ने कुछ जानकारी दी. कहा कि हेमराज ने अपना घर बनवाने के लिए क़र्ज़ लिया था और ये व्यक्ति संभवतः वही था, जिससे हेमराज ने क़र्ज़ लिया था.

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वीडियो: इंदिरा की हत्या से लेकर आरुषी मर्डर केस में डॉ. डोगरा ने क्या खुलासे किए?

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