रेल मंत्रालय ने इतना फटाफट ट्वीट का जवाब दिया कि लोगों का मंत्री जी और मंत्रालय पर विश्वास फिर से पक्का हो गया. लेकिन बहुत सारे और मामले हैं जिन पर रेल मंत्रालय के विशेष ध्यान की ज़रूरत है. किसी एक सरकार की कमी गिनवाना हमारा मकसद नहीं है. सोशल मीडिया पर जब हमारे नेता लोग भी खासे एक्टिव हैं. हमको ये मौका मिला है कि हम सीधे अपनी बात उन तक पहुंचा सकें. इसलिए हम कह रहे हैं कि अगर इतना क्विक एक्शन लिया जा रहा है तो इन मामलों पर भी नज़रें इनायत की जानी ज़रूरी हैं. ये मामले अभी से लेकर पिछले कुछ सालों तक के हैं.
भीड़ इतनी कि लोग एक के ऊपर एक चढ़कर ट्रेन के भीतर घुसते हैं.
ना दरवाजों की ज़रूरत. ना जान की चिंता. क्योंकि खतरों के खिलाड़ी बनना ज़रूरत है चॉइस नहीं.
किराया बढ़ा जा रहा है. लोग चक्का जाम किये पड़े हैं. परेशान वो लोग हैं जो वक़्त पर घर नहीं पहुंच पा रहे हैं.
किसी और की नाक कुरेदें. किसी और की कांख खुजाएं. क्योंकि 72 लोगों की जगह में 200-300 लोग फिट हो ही जाते हैं.
रेल एक्सीडेंट.
बोडो का प्रदर्शन. क्योंकि जिसका जब मन करे ट्रेन चलना रुकवा सकता है
नए ट्रैक बनेंगे. नई रेल लाइनें बिछेंगी. लेकिन पहले साफ़ पानी की व्यवस्था हो जाए.
औरतों की सुरक्षा के लिए अलग डिब्बे लग गए. लेकिन सबको उन डिब्बों में जगह भी मिलना मुश्किल है.
प्लेटफॉर्म पर भगदड़ मची. लोग कचर गए. दबकर मर गए. कुंभ मेले में आए थे. भगदड़ की वजह, ट्रेन ने प्लेटफॉर्म बदल लिया था.
रेलवे ट्रैक. शायद सबसे सुरक्षित जगह.

























