सुप्रीम कोर्ट में श्रीलंकाई तमिल नागरिक की कस्टडी के मामले में हस्तक्षेप करने से मना करते हुए कहा, ‘भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जो दुनियाभर के शरणार्थियों को शरण दे’. बेंच के अध्यक्ष जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि क्या भारत को पूरी दुनिया के शरणार्थियों की मेजबानी करनी चाहिए? क्या कहा उन्होंने? क्या है पूरा मामला? देखिए पूरा वीडियो.