पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि अगर कोई विवाहित महिला शादी के झूठे वादे के आधार पर किसी के साथ संबंध बनाती है, तो उसे बलात्कार नहीं माना जा सकता. जस्टिस शालिनी सिंह नागपाल ने एक ऐसे व्यक्ति को बरी कर दिया, जिसे 2016 के एक मामले में पहले ही 9 साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी थी. अदालत ने कहा कि इस तरह के कृत्य अनैतिकता और व्यभिचार के दायरे में आते हैं, लेकिन आईपीसी की धारा 90 के तहत बलात्कार नहीं. पूरा मामला और अदालत के तर्क जानने के लिए देखें वीडियो.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला, ‘शादी का वादा करके Sex करना Rape नहीं’
जज ने एक ऐसे व्यक्ति को बरी कर दिया, जिसे 2016 के एक मामले में पहले ही 9 साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी थी.
Advertisement
Add Lallantop As A Trusted Source

Advertisement
Advertisement