मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) का कहना है कि अगर एक महिला चाहे तो वह पहले से शादीशुदा पुरुष के साथ रह सकती है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो किसी महिला को पहले से शादीशुदा पुरुष के साथ रहने से रोकता हो. कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह बात कही.
पहले से शादीशुदा पुरुष के साथ महिला को रहने से कानून नहीं रोक सकता, HC ने महिला को दी 'आजादी'
MP High Court ने कहा कि महिला बालिग है और उसे अपने पसंदीदा पुरुष के साथ संबंध में रहना है या नहीं, यह फैसला लेने का अधिकार उसे है. कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह बात कही. कोर्ट ने महिला को रिहा करने का निर्देश दिया. जानिए क्या है ये पूरा मामला.


बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत 18 साल से ज्यादा उम्र की एक महिला की हिरासत के लिए दायर ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) याचिका पर सुनवाई कर रही थी. आरोप था कि वह एक शादीशुदा पुरुष के साथ चली गई थी, जबकि उसे अपने माता-पिता के साथ रहना चाहिए था. राज्य की तरफ से पेश वकील ने दलील दी कि जिस शख्स के साथ वह रहना चाहती है, उसने अपनी पहली पत्नी को छोड़ दिया है और वह उससे तलाक लेना चाहता है.
18 अगस्त के फैसले में जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की खंडपीठ ने कहा कि महिला बालिग है और उसे उस पुरुष के साथ संबंध में रहना है या नहीं, यह फैसला लेने का उसे अधिकार है. कोर्ट ने आगे कहा,
जहां तक उस शख्स का सवाल है जिसके साथ वह शादी करके रहना चाहती है, ऐसा कोई कानून नहीं है जो उसे उसके साथ रहने से रोकता हो.
कोर्ट ने कहा कि अगर महिला, पुरुष से शादी कर लेती है, तो शख्स की केवल पहली पत्नी ही अपने पति के खिलाफ द्विविवाह (दूसरी शादी) का मामला दर्ज करा सकती है. इसके बाद कोर्ट ने महिला को रिहा करने का निर्देश दिया.
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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि महिला ने अपने माता-पिता के साथ रहने से इनकार कर दिया है. इसलिए पुलिस से अनुरोध है कि वह उससे यह वचन लेने के बाद रिहा कर दे कि वह अपनी पसंद के पुरुष के साथ रहने जा रही है. साथ ही जिस शख्स के साथ वह रह रही है, उससे भी यह समर्थन ले ले कि उसने महिला का साथ स्वीकार कर लिया है.
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