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सरकार गूगल-एप्पल को अपने ऐप्स प्ले स्टोर में डालने को कह रही? रिपोर्ट में वजह भी बताई गई

MeitY से जुड़े अधिकारियों ने एप्पल और गूगल के एग्जीक्यूटिव से पिछले महीने मुलाकात की है. इस मुलाकात में भारतीय यूजर्स को सरकार के कई ऐप का सीधा एक्सेस देने की ‘गुजारिश’ की गई है.

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क्या एप्पल और गूगल जैसी टेक कंपनियां भारत सरकार के फैसले को मानेंगी? (तस्वीर:इंडिया टुडे)

भारत सरकार ने कथित तौर पर Google और एप्पल जैसी टेक कंपनियों को कहा है कि वे उसके सरकारी ऐप्स को अपने-अपने ‘प्ले स्टोर’ पर कायदे से जगह दें. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले को लेकर सूचना एवं प्रोद्योगिक मंत्रालय (MeitY) ने पिछले महीने स्मार्टफोन ऐप कंपनियों के साथ एक बैठक की है. बैठक में सरकार समर्थित ऐप बनाने के आईडिया पर काम करने की बात कही गई है.

अमेरिकी मीडिया संस्थान ‘ब्लूमबर्ग’ की रिपोर्ट के मुताबिक, MeitY से जुड़े अधिकारियों ने एप्पल और गूगल के एग्जीक्यूटिव से पिछले महीने मुलाकात की है. इस मुलाकात में भारतीय यूजर्स को सरकार के कई ऐप का सीधा एक्सेस देने की ‘गुजारिश’ की गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार का लक्ष्य टेक्नॉलजी के माध्यम से अपनी लोक कल्याणी सेवाओं की डिलीवरी को बढ़ाना है. सरकार यह भी चाहती है कि सरकारी ऐप मार्केट में पहुंचने से पहले लोगों के डिवास में इंस्टॉल हों और इन ऐप को इंस्टॉल करने के लिए थर्ड पार्टी सोर्सेज से डाउनलोड करने का झंझट भी न रहे. अधिकारियों ने टेक कंपनियों से सरकार से जुड़े .GOV.in वाले ऐप को एप्पल और गूगल के प्ले स्टोर पर उपलब्ध कराने की मांग की है.  

मीटिंग में सरकार के अधिकारियों ने उन संभावनाओं पर भी चर्चा की कि अगर Google और एप्पल नीतिगत फैसलों को नहीं मानते हैं तो इसके लिए क्या कानूनी रास्ता अपनाया जाए. 

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लेकिन क्या टेक कंपनियां मानेंगी?

फिलहाल सरकार से जुड़े ऐप भारत में Apple और Google के प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं. हालांकि, अधिकारी चाहते हैं कि इन ऐप्स को प्ले स्टोर में ‘GOV.in’ के बैनर तले एक जगह कंपाइल करके उपलब्ध कराया जाए. यानी डिवाइस खरीदने के वक्त ही सभी सरकारी ऐप नज़र आएं.

हालांकि Google और Apple दोनों के सरकार की मांग को मानने की संभावना कम दिखाई दे रही है. देश के लगभग 70 करोड़ यूजर्स में से 90% के स्मार्टफोन में Google का एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद है. लिहाजा वो इस पहल को लेकर उत्सुक नहीं है. Apple के भी सहमत होने की संभावना नहीं है. हालांकि कंपनी 2021 में रूस ऐसा कर चुकी है. देखना होगा कि भारत में सरकार और कंपनियों में इसको लेकर कब सहमति बनती है.

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