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बिहार SIR: 'चुनाव आयोग सही है,' आधार और नागरिकता पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

Bihar SIR के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए Supreme Court ने Aadhaar पर बड़ी टिप्पणी की. वहीं, सीनियर एडवोकेट Kapil Sibal ने चिंता जताई कि ECI की प्रक्रिया से बड़े पैमाने पर मतदाता बाहर हो सकते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट में बिहार SIR की प्रक्रिया को चुनौती दी गई है. (India Today/BiharCEO)

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान 2025 (Bihar SIR) पर चल रही सुनवाई के दौरान आधार (Aadhaar) पर बड़ी टिप्पणी की है. सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के इस रुख का समर्थन किया कि आधार को नागरिकता के निर्णायक प्रमाण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. बिहार SIR के तहत वोटर लिस्ट में संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की सुप्रीम कोर्ट बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. याचिकाकर्ताओं ने चिंता जताई है कि SIR प्रक्रिया में नाकाफी सुरक्षा उपायों के बिना मतदाताओं के नाम मनमाने ढंग से हटाने की इजाजत देती है. इनका दावा है कि इससे लाखों नागरिकों को मताधिकार से वंचित होना पड़ सकता है और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रभावित हो सकते हैं.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंच का नेतृत्व कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,

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"चुनाव आयोग का यह कहना सही है कि आधार को नागरिकता के निर्णायक प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता. इसे सत्यापित किया जाना चाहिए."

कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में आधार एक्ट के सेक्शन 9 का भी जिक्र किया, जिसमें लिखा है,

“आधार संख्या नागरिकता या निवास आदि का प्रमाण नहीं है- आधार संख्या या उसका प्रमाणीकरण, अपने आप में, किसी आधार संख्या धारक के संबंध में नागरिकता या निवास का कोई अधिकार प्रदान नहीं करेगा या उसका प्रमाण नहीं होगा.”

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Aadhaar Act
आधार एक्ट, 2016 का सेक्शन 9. (uidai.gov.in)

जस्टिस सूर्यकांत ने ECI की सत्यापन प्रक्रिया के कानूनी अधिकार को लेकर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा,

“हमें देखना होगा कि चुनाव आयोग के पास यह शक्ति है या नहीं... लेकिन अगर है तो...”

वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने चिंता जताते हुए कहा,

"अगर आप 2003 के रोल में हैं तो आपको फॉर्म भरना होगा और दस्तावेज भी देने होंगे. अगर आप फॉर्म नहीं भरते हैं तो आप बाहर हो जाएंगे."

उन्होंने तर्क दिया कि आयोग की प्रक्रिया से बड़े पैमाने पर मतदाता बाहर हो सकते हैं, यहां तक कि 2003 की मतदाता सूची में दर्ज लोग भी.

10 जुलाई को शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से आग्रह किया था कि वो इस सत्यापन प्रक्रिया के लिए आधार, राशन कार्ड और मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC कार्ड) को स्वीकार्य दस्तावेज माने. हालांकि, आयोग ने बाद में एक हलफनामा दायर कर कहा कि ना तो आधार कार्ड और ना ही राशन कार्ड को मतदान की पात्रता के सबूत के तौर पर माना जा सकता है.

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