पश्चिम बंगाल पुलिस के एक रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर (SI) को फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले रैकेट से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. यह रैकेट अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को भारत में प्रवेश कराने में मदद करता था. पुलिस ने रिटायर्ड SI को सबूतों के साथ कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने आरोपी को 14 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
सब-इंस्पेक्टर रहते पासपोर्ट ऑफिस में थी तैनाती, रिटायर होते ही फर्जी पासपोर्ट बना लाखों कमाए, अरेस्ट
पश्चिम बंगाल में रिटायर्ड SI को फर्जी पासपोर्ट बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. यह रैकेट अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को भारत में प्रवेश कराने में मदद कर रहा था. SI ने कैसे पासपोर्ट बनाना सीखा? कैसे इसके जरिए लाखों रुपये कमाए और फिर कैसे पकड़ा गया? जानिए पूरी कहानी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रिटायर्ड SI का नाम अब्दुल है. अब्दुल को शुक्रवार, 3 जनवरी को रात 11 बजे परगना जिले में स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के मुताबिक 61 साल के अब्दुल ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए अब तक 51 फर्जी पासपोर्ट बनाए हैं. उसे एक पासपोर्ट बनाने के लिए 25 हजार रुपये मिले.
पुलिस ने बताया कि रिटायर्ड SI लंबे समय तक पासपोर्ट डिपार्टमेंट में तैनात रहा. इसकी वजह से उसे पासपोर्ट से संबंधित काफी जानकारी थी. पुलिस ने आगे कहा कि रिटायर्ड SI के बैंक ट्रांजेक्शन भी चेक किये गए. इसके माध्यम से इस रैकेट से जुड़े अन्य आरोपियों की संलिप्तता के सबूत मिले. पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है. ताकि रैकेट में शामिल सभी आरोपियों की पहचान की जा सके.
रिपोर्ट के मुताबिक रिटायर्ड SI अब्दुल की गिरफ्तारी के साथ इस रैकेट से जुड़े 9 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पुलिस ने बताया कि यह रैकेट एक ट्रैवल एजेंसी के जरिए काम कर रहा था. पूरा गैंग अब तक 73 पासपोर्ट बना चुका है.
पुलिस ने मामले की जांच के लिए विशेष टीमों का गठन किया है. अधिकारियों का मानना है कि यह रैकेट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित हो सकता है. पुलिस जांच कर रही है कि इस रैकेट में और कितने लोग शामिल हैं. इस रैकेट का नेटवर्क कितना बड़ा है. इस तरह से फर्जी पासपोर्ट सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक गंभीर चुनौती पेश कर रहे हैं.
बता दें कि कोलकाता पुलिस ने 30 दिसंबर की रात नादिया जिले से 48 साल के धीरेन घोष को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने उसके पास से कई अहम दस्तावेज जब्त किए थे. इसके पहले मनोज गुप्ता नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया गया था. जो इस रैकेट का मास्टरमाइंड बताया गया था.
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