उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने डीएलएड (Diploma in Elementary Education) परीक्षा का पेपर लीक करने वाले गैंग को पकड़ा है. यह गैंग दो भाई मिलकर चला रहे थे. दोनों एक तीसरे शख्स से जुड़े थे, जो उन्हें पेपर देता था. दोनों भाई टेलीग्राम और व्हाट्सएप के जरिए परीक्षा के पेपर और उसके उत्तर लीक करते थे. यूपी एसटीएफ की साइबर टीम ने सोमवार, 3 नवंबर की रात 11:30 बजे अलीगढ़ के इगलास थाना क्षेत्र के मुरसान रोड तिराहे से दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया.
यूपी में डीएलएड का पेपर 3500 रुपये में बिका, आधे घंटे पहले फोन पर आते थे सवाल और जवाब
UP DElEd Paper Leak: आरोपी फेक प्रोफाइल बनाकर सोशल मीडिया पर अभ्यर्थियों से संपर्क करते थे और उन्हें डीएलएड परीक्षा का पेपर ऑफर करते थे. इसके लिए उन्होंने एक ग्रुप बनाया हुआ था, जहां वह परीक्षा शुरू होने से 30 मिनट पहले पेपर और उसके उत्तर भेज देते थे.


पकड़े गए दोनों भाइयों का नाम पुष्पेंद्र और धर्मेंद्र है. पूछताछ में उन्होंने बताया कि वह फेक प्रोफाइल बनाकर सोशल मीडिया पर अभ्यर्थियों से संपर्क करते थे और उन्हें डीएलएड परीक्षा का पेपर ऑफर करते थे. आरोपियों ने पेपर लीक का एक ग्रुप बनाया हुआ था, जिसमें वह परीक्षा शुरू होने से 30 मिनट पहले पेपर और उसके उत्तर भेज देते थे. इसके बदले हर अभ्यर्थी से UPI के जरिए 3500 रुपये लिए जाते थे.
पुलिस के मुताबिक पुष्पेंद्र सोशल मीडिया पर पेपर डालने से पहले अपने भाई धर्मेंद्र से उसे सॉल्व कराता था. धर्मेंद्र एक प्राइवेट कॉलेज में डीएलएड का टीचर है. उसे पेपर सॉल्व करने के बदले ₹50,000 दिए गए थे. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वो नितेश पांडे नाम के व्यक्ति से जुड़े थे, जो उन्हें डीएलएड परीक्षा के पेपर पहले से उपलब्ध कराता था. पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान आरोपियों के पास से 2 मोबाइल फोन, 1 लैपटॉप, एटीएम कार्ड, पैन कार्ड और 03 आधार कार्ड (एक फर्जी) भी बरामद किए.
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पुलिस को उनके फोन में 201 डिजिटल स्क्रीनशॉट्स भी मिले हैं, जिनमें डीएलएड परीक्षा के पेपर और पेमेंट डिटेल दर्ज हैं. इसके अलावा आरोपियों के मोबाइल में सैकड़ों परीक्षार्थियों से बातचीत और पेमेंट डिटेल्स मिली हैं. एसटीएफ अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है. साथ ही बरामद इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की फॉरेंसिक जांच भी कराई जा रही है. आरोपियों के खिलाफ थाना इगलास में धारा 112 बीएनएस 2023, यूपी सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का निवारण अधिनियम 2024 और आईटी एक्ट की धारा 66(डी) के तहत केस दर्ज किया गया है.
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