उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार, 5 अगस्त को बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन पर सुप्रीम कोर्ट का सुझाव मान लिया है. सर्वोच्च अदालत ने एक रिटायर्ड हाई कोर्ट जज को बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए एक अंतरिम समिति का प्रमुख बनाने का सुझाव दिया था. यह व्यवस्था तब तक रहेगी जब तक इलाहाबाद हाई कोर्ट यह तय नहीं करता कि मंदिर कॉरिडोर बनाने और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देने के लिए सरकार को मंदिर पर नियंत्रण देने वाला अध्यादेश सही है या नहीं.
रिटायर्ड जज होंगे बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन के प्रमुख, लेकिन 'सनातनी हिंदू' वाली शर्त लगा दी गई
UP सरकार ने सुझाव दिया कि Banke Bihari Mandir की इस समिति में मथुरा के DM, SSP, मथुरा के मुनसिफ, नगर निगम कमिश्नर मथुरा, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव और ASI के एक अधिकारी को भी शामिल किया जाए.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार का पक्ष रखा. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा,
"यूपी को एक रिटायर्ड हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता में एक अंतरिम प्रबंधन समिति के गठन पर कोई आपत्ति नहीं है, जिसकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाएगी. यह समिति मंदिर के प्रशासन का प्रबंधन करेगी, मंदिर के फंड का इस्तेमाल कर सकेगी और कॉरिडोर का निर्माण शुरू करेगी. राज्य मंदिर प्रशासन के साथ साझेदारी में इस काम के लिए वित्तीय मदद देगी, जैसा कि काशी विश्वनाथ मंदिर के मामले में किया गया था."
हालांकि सरकार ने एक शर्त भी रखी. उसने कोर्ट से कहा,
"जो रिटायर्ड जज होंगे, वे सनातनी हिंदू और वैष्णव संप्रदाय के होने चाहिए, ताकि श्री बांके बिहारी जी महाराज के श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं बनी रहें."
सरकार ने सुझाव दिया कि इस समिति में मथुरा के डीएम, एसएसपी, मथुरा के मुनसिफ (जो 2016 से हाई कोर्ट के आदेश पर मंदिर प्रबंधन के मामले देख रहे हैं), नगर निगम कमिश्नर मथुरा, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव और ASI (भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण) के एक अधिकारी को भी शामिल किया जाए.
गोस्वामी परिवार, जो खुद को मंदिर का पारंपरिक प्रबंधक मानता है, इस समिति में नहीं होगा. गोस्वामी परिवार ने योगी सरकार के अध्यादेश की वैैधता को चुनौती भी दी है. उनके वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि वे इस मामले में आपत्ति दर्ज कराएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शुक्रवार तक का समय दिया है.
वहीं, सरकार ने गोसाईं परिवार के दावे को खारिज करते हुए कहा, "जिस जमीन पर मंदिर है, वो राजस्व रिकॉर्ड में गोविंद देव मंदिर की है... मंदिर की स्थिति ऐसी है कि तुरंत कार्रवाई करके विकास कार्य शुरू करना जरूरी है."
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