कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT), भुवनेश्वर में छात्राओं की आत्महत्या की घटनाओं की जांच कर रही कमेटी ने इन आत्महत्याओं के लिए यूनिवर्सिटी को दोषी ठहराया है. यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (UGC) की तरफ से गठित कमेटी ने कहा है कि विश्वविद्यालय में चल रही अवैध और गैर-कानूनी गतिविधियों के चलते एक छात्रा ने अपनी जान दे दी.
'नेपाली छात्राओं की मौत के लिए KIIT जिम्मेदार', UGC फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को और क्या पता चला?
ओडिशा के कलिंगा यूनिवर्सिटी में तीन महीने के अंदर दो छात्राओं की मौत हुई थी. 16 फरवरी को नेपाल की रहने वाले प्रकृति लामसाल का शव पाया गया था. प्रकृति KIIT में बीटेक थर्ड ईयर स्टूडेंट थी. इसके बाद 2 मई को नेपाल की ही एक और छात्रा अपने हॉस्टल रूम में मृत पाई गई थी.

रिपोर्ट कहती है कि, प्रशासन ने इन मामलों में जिस हिसाब से कार्रवाई की है, उस हिसाब से उस पर भी आपराधिक मामला बनता है. रिपोर्ट में दिए सुझावों के आधार पर UGC यूनिवर्सिटी के विस्तार पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है. इसके अलावा संबंधित डिपार्टमेंट के अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है.
रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी पर कई तरह की अनदेखी-लापरवाही के आरोप भी लगाए हैं. कहा गया है कि यौन शोषण की शिकायतों पर यूनिवर्सिटी ने कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की. हॉस्टल में खराब सुविधाएं, जरूरत से ज्यादा छात्रों की भर्ती की गई. छात्रों पर बल प्रयोग किया गया. छात्रों के आत्महत्या करने के पीछे मुख्यतः यही कारण हैं.
आपको बता दें कि यूनिवर्सिटी में हो रही आत्महत्याओं के कारणों का पता लगाने के लिए UGC ने 2 मई को एक कमेटी का गठन किया था. इसके चेयरमैन इग्नू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव थे. कमेटी ने कैंपस में जाकर, सभी पक्षों के साथ बातचीत करके रिपोर्ट तैयार की है. 20 मई, 2025 को कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी थी. आइए पॉइंट्स में जानते हैं कि इस रिपोर्ट में और क्या कहा गया हैः
- कमेटी की जांच में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी में बड़े स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर और गवर्नेंस में खामी पाई गई है.
- हॉस्टल सुविधाएं मानक स्तर से नीचे की थीं. एक छोटे कमरे में तीन स्टूडेंट्स रखे गए थे. विदेशी महिला छात्राओं को रूम देते वक्त उनके सांस्कृतिक जुड़ावों का ध्यान नहीं रखा गया.
- प्रशासन ने बिना किसी सपोर्ट के नेपाली छात्रों को हॉस्टल से जबरन निकाल दिया. पुलिस ने छात्रों पर शारिरीक बल का प्रयोग किया.
- यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यौन शोषण की शिकायतों को अनदेखा किया या गैर-कानूनी तरीके से समझौता करा दिया.
- यूनिवर्सिटी ने देश के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और नियम कानूनों से ज्यादा अपनी छवि को प्राथमिकता दी.
- मामले की जांच में पारदर्शिता नहीं रखी गई, जिससे ये साबित हो सके कि प्रोटोकॉल के हिसाब से जांच की गई.
- लड़की ने अपनी जान लेने से पहले प्रशासन के पास दो बार शिकायत की थी. दोनों ही शिकायतों में प्रशासन ने गैरकानूनी तरीका अपनाया. उचित कार्रवाई करने की बजाय बाहर ही समझौता करवा दिया.
- यूनिवर्सिटी चाहती तो पहली शिकायत के बाद ही लड़के को सजा दे सकती थी. मगर सजा देने की बजाय लड़के का साथ दिया और लड़की पर जबरन समझौते के लिए दबाव बनाया.
इसके बाद लड़की ने आत्महत्या कर ली. इसे रोका जा सकता था. - इंटरनल कंप्लेंट्स कमेटी (ICC) यौन शोषण की शिकायतों पर जरूरी कदम नहीं उठाए. ICC और यूनिवर्सिटी के सीनियर अधिकारियों पर आपराधिक कार्रवाई होनी चाहिए. नियमों के कानूनों का उल्लंघन करने वाले ICC सदस्यों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
मालूम हो कि कलिंगा यूनिवर्सिटी में तीन महीने के अंदर दो छात्राओं ने आत्महत्या कर ली थी. 16 फरवरी को नेपाल की रहने वाले प्रकृति लामसाल का शव पाया गया था. प्रकृति KIIT में बीटेक थर्ड ईयर स्टूडेंट थी. इसके बाद 2 मई को नेपाल की ही एक और छात्रा अपने हॉस्टल रूम में मृत पाई गई थी.
वीडियो: KIIT यूनिवर्सिटी में एक और छात्रा की मौत, पुलिस को सुसाइड का शक