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ऑपरेशन सिंदूर पर संसद सत्र की मांग, कांग्रेस के साथ नहीं शरद पवार? सुप्रिया बोलीं- 'ये राजनीति का समय नहीं'

सुप्रिया सुले ने कहा कि संसद के स्पेशल सेशन की मांग को लेकर कांग्रेस ने उनसे संपर्क किया था लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि यह सही समय नहीं है.

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सुप्रिया सुले ने स्पेशल सेशन की कांग्रेस की मांग को ठुकरा दिया है (India Today)

NCP (शरद पवार गुट) नेता सुप्रिया सुले ने शुक्रवार 6 जून को बताया कि कांग्रेस ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की अपनी मांग को लेकर उनसे संपर्क किया था. पर सुले ने कांग्रेस को ये कहते हुए मना कर दिया कि यह समय सरकार से कठिन सवाल पूछे जाने का नहीं हैं बल्कि ये दुनिया में देश की एकजुटता दिखाने का वक्त है. ऐसे में संसद के विशेष सत्र के लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए. सुले ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में ये बातें ऐसे वक्त पर कही हैं, जब विपक्षी दलों के स्पेशल पार्लियामेंट्री सेशन के मांगपत्र पर शरद पवार गुट के किसी भी नेता ने हस्ताक्षर नहीं किए थे.  

इसी हफ्ते कांग्रेस के नेतृत्व में 16 विपक्षी दलों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी. इसमें कहा गया था कि आतंकवादी हमले, पुंछ, उरी और राजौरी में नागरिकों की हत्या, सीजफायर के एलान और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर देश के सामने गंभीर सवाल हैं. सरकार ने इस संबंध में दूसरे देशों और मीडिया को जानकारी दी है, लेकिन संसद को नहीं.  

विपक्षी दलों की ओर से भेजी गई इस चिट्ठी पर एनसीपी (शरद पवार) ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. सुप्रिया सुले ने इस पर इंडियन एक्सप्रेस से कहा,

जब मैं प्रतिनिधिमंडल के साथ विदेश में थी, तब कांग्रेस ने मुझसे संपर्क किया. मैंने कहा कि मैं उनके साथ नहीं जा सकती. मैंने उनसे कहा कि वे प्रतिनिधिमंडलों के लौटने तक प्रतीक्षा करें.

सुले ने कहा कि कांग्रेस ने उनके लौटने से पहले ही विपक्षी दलों की चिट्ठी प्रधानमंत्री को सौंप दी. यही वजह है कि वह प्रधानमंत्री को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर नहीं कर सकीं.

सुले ने कहा,  

आपको तथ्यात्मक स्थिति को समझना होगा. मैं बाहर थी. पवार साहब ने पहले ही बयान दिया था कि जब तक पूरा ऑपरेशन खत्म नहीं हो जाता, एनसीपी सरकार के साथ खड़ी रहेगी. हम सरकार के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहेंगे. यह तुच्छ राजनीति का समय नहीं है. यह भारत के व्यापक हित का मुद्दा है. इसलिए देश पहले आता है, फिर राज्य, फिर पार्टी और फिर परिवार. 

सुप्रिया ने कहा, 

‘हम उम्मीद कर रहे थे कि जब जुलाई का सत्र आएगा, तब तक सब कुछ सुलझ जाएगा. फिर हम निश्चित रूप से इस पर बहस कर सकते हैं क्योंकि लोकतंत्र में हर मुद्दे पर बहस होनी चाहिए, लेकिन इसके लिए सही समय होना चाहिए.’

सुप्रिया सुले ने कहा कि शरद पवार ने यह साफ कर दिया था कि ऑपरेशन सिंदूर जारी है और इसके खत्म होने तक किसी विशेष सत्र की आवश्यकता नहीं है. उनकी पार्टी संवेदनशील मुद्दों पर सरकार के साथ है.

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