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लोकपाल ने हाई कोर्ट जजों पर ऐसा क्या कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान ले लिया

Lokpal ने हाल में एक फैसला दिया था. जिसमें कहा गया कि इस संस्था को High Court के जजों के खिलाफ सुनवाई का अधिकार है. अब Supreme Court ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई करने का फैसला किया है.

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सु्प्रीम कोर्ट ने लोकपाल के फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया है. (इंडिया टुडे)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लोकपाल (Lokpal) के दिए एक फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया है. इस फैसले में लोकपाल की ओर से कहा गया था कि वह हाई कोर्ट (High Court) के जजों के खिलाफ शिकायतों पर विचार कर सकता है. और इसके लिए ‘लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013’ का हवाला दिया था. 

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकपाल ने 27 जनवरी को हाई कोर्ट के एक जज के खिलाफ दो शिकायतों की सुनवाई के दौरान यह फैसला दिया था. जज पर एक केस में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज और हाई कोर्ट के एक दूसरे जज को प्रभावित करने का आरोप था. लोकपाल ने अपने आदेश में कहा, 

हम ये क्लियर कर देना चाहते हैं कि इस आदेश के तहत हमने केवल ये डिसाइड कर दिया है कि एक पार्लियामेंट एक्ट के तहत स्थापित हाई कोर्ट के जज 2013 के लोकपाल एक्ट की सेक्शन 14 के दायरे में आते हैं. इसमें हमने आरोपों के मेरिट या डिमेरिट पर विचार नहीं किया है.

लोकपाल के इस फैसले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने का फैसला किया है. जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अभय एस. ओका की बेंच 20 फरवरी को इस मामले की सुनवाई करेगी.

27 जनवरी को जस्टिस ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली लोकपाल पीठ ने ये फैसला दिया कि हाई कोर्ट के जज लोक सेवक की परिभाषा के दायरे में आते हैं. ‘लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013’ हाईकोर्ट के जजों को इससे छूट नहीं देता है. हालांकि लोकपाल ने इस मुद्दे पर गाइडेंस के लिए पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से संपर्क करने का निर्णय लिया. और फिर शिकायत पर आगे की कार्रवाई स्थगित कर दी.

लोकपाल ने अपने आदेश में कहा कि CJI के गाइडेंस के इंतजार में फिलहाल इस शिकायत पर सुनवाई को चार सप्ताह के लिए स्थगित किया जाता है. लोकपाल ने अपना डिसीजन पब्लिक करने से पहले जस्टिस और हाई कोर्ट का नाम हटा दिया था.

27 जनवरी के अपने आदेश में लोकपाल ने कहा कि उसने हाल ही में एक डिसीजन दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उसके अधिकार क्षेत्र के अंदर नहीं आते हैं. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट एक न्यायिक प्राधिकरण है जो भारत के संविधान की धारा 124 के तहत स्थापित की गई है न कि संसद के अधिनियम के तहत.

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लोकपाल ने आगे कहा कि दूसरी तरफ हाई कोर्ट की स्थापना संसद के बनाए कानूनों के तहत की गई है. इसलिए हाई कोर्ट उन संस्थाओं की परिभाषा के दायरे में आता है जो  2013 के एक्ट की सेक्शन 14 (1)(f) के तहत लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.

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