सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 4 जनवरी को असम सरकार (Assam Govt) को फटकार लगाई है. असम सरकार को ये फटकार अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने के बजाय डिटेंशन कैंप में रखने के चलते मिली है. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने सरकार से पूछा कि क्या वो किसी मुहूर्त का इंतजार कर रही है?
'किसी मुहूर्त का इंतजार...?' अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट ना करने पर असम सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
US से अवैध भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट किये जाने के बीच Supreme Court of India ने Assam सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से उन 63 लोगों को डिपोर्ट करने का आदेश दिया है, जिन्हें विदेशी घोषित किया जा चुका है. कोर्ट ने कहा कि इन लोगों को अनिश्चित काल तक डिटेंशन सेंटर में नहीं रखा जा सकता.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने असम सरकार को निर्देश दिया कि जिन 63 घोषित विदेशियों की नेशनलिटी पता है तुरंत उनको डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू की जाए. साथ ही कोर्ट ने दो सप्ताह में इसकी स्टेट्स रिपोर्ट भी कोर्ट में फाइल करने को कहा है.
इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने असम के मुख्य सचिव डॉ. रिव कोटा को वर्चुअल तौर पर पेश होने का निर्देश दिया था. डॉ. रवि को संबोधित करते हुए जस्टिस ओका ने कहा,
आपने यह कहते हुए डिपोर्टेशन से इनकार कर दिया कि उनके पते ज्ञात नहीं है. यह हमारी चिंता क्यों होनी चाहिए? आप उन्हें उनके देश में डिपोर्ट कर दें. क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?
जस्टिस ओका ने आगे कहा कि पता नहीं होने पर भी उन्हें डिपोर्ट किया जा सकता है. इन लोगों को अनिश्चित काल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता. उन्होंने कहा,
जब एक बार उन्हें विदेशी घोषित कर दिया गया तो उन्हें तत्काल डिपोर्ट कर दिया जाना चाहिए. आप उनकी नागरिकता की स्थिति जानते हैं, फिर उनका पता मिलने तक इंतजार कैसे कर सकते हैं? क्या यह दूसरे देश को तय करना है कि उन्हें कहां जाना चाहिए.
असम राज्य की ओर से पेश वकील ने पूछा कि उनके एड्रेस के बिना इन लोगों को कैसे डिपोर्ट किया जा सकता है? इस पर न्यायमूर्ति ओका ने कहा,
आप उन्हें उनके देश की राजधानी में डिपोर्ट कीजिए. मान लीजिए कि वह व्यक्ति पाकिस्तान से है, तो आपको पाकिस्तान की राजधानी का पता है? आप यह कहकर उनको यहां हिरासत में कैसे रख सकते हैं कि उनके विदेशी पते के बारे में जानकारी नहीं है? आपको कभी उनका एड्रेस पता नहीं चलेगा.
जस्टिस उज्जल भुयान ने असम के वकील को संबोधित करते हुए कहा,
एक बार जब आप किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित कर देते हैं तो आपको अगला लॉजिकल स्टेप लेना होता है. आप उन्हें हमेशा के लिए हिरासत में नहीं रख सकते. अनुच्छेद 21 का अधिकार है. असम में कई फॉरेन डिटेंशन सेंटर हैं. आपने कितनों को डिपोर्ट किया है?
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राज्य सरकार के वकील ने प्रॉपर एफिडेविट फाइल करने के लिए कोर्ट से और समय मांगा. लेकिन बेंच ने बेहद सख्ती से इससे इनकार कर दिया. और उनको याद दिलाया कि आखिरी अवसर पहले ही दिया जा चुका है. याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सीनियर एडवोकेट कोलिन गोंसाल्वेस ने बताया कि उनकी जानकारी के मुताबिक बांग्लादेश इन लोगों को अपना नागरिक मानने से इनकार कर रहा है. इसलिए वे लोग अनिश्चित काल से भारत के डिटेंशन सेंटर्स में रह रहे हैं.
वीडियो: रोक लगाने के बाद भी असम सरकार के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कह दिया?