सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आरक्षण से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान देश में रिज़र्वेशन सिस्टम की तुलना ट्रेन यात्रा से की. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, “इस देश में आरक्षण व्यवस्था एक ट्रेन की बोगी जैसी हो गई है. जो लोग पहले से बोगी में बैठ चुके हैं, वे नहीं चाहते कि और लोग उसमें चढ़ें. यही असली खेल है.”
'आरक्षण व्यवस्था ट्रेन की बोगी जैसी', सुप्रीम कोर्ट के जज ने बताया 'असली खेल'
जस्टिस सूर्यकांत ने यह टिप्पणी महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) को दिए गए आरक्षण पर सुनवाई के दौरान की.

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) को दिए गए आरक्षण को लेकर हुई सुनवाई के दौरान की. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एनके सिंह की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. जस्टिस सूर्यकांत 13 मई को CJI की शपथ लेने जा रहे जस्टिस बीआर गवई के रिटायर होने के बाद देश के मुख्य न्यायाधीश होंगे.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया कि राज्य सरकार के बनठिया आयोग ने यह जांच किए बिना OBC को आरक्षण दे दिया कि वे राजनीतिक रूप से पिछड़े हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक पिछड़ापन, सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन से अलग होता है, और OBC को खुद ही राजनीतिक रूप से पिछड़ा मान लेना ठीक नहीं है.
इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा,
“जब समावेशिता के सिद्धांत का पालन किया जाता है, तो राज्य सरकारों का दायित्व है कि वे और वर्गों की पहचान करें — जैसे सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग. फिर सिर्फ कुछ विशेष समूहों या परिवारों तक ही इसका लाभ क्यों सीमित रहे?”
शंकरनारायणन ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि याचिकाकर्ता भी यही बात कह रहे हैं. उन्होंने मजाकिया लहजे में कहका कि "बोगियां पीछे भी जोड़ी जा रही हैं."
इस मामले पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव लंबे समय से रुके हुए हैं और OBC आरक्षण के मुद्दे के कारण इन्हें और टालना ठीक नहीं होगा.
गौरतलब है कि अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था, जिसके बाद से चुनाव रुके हुए हैं.
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