पूर्व ट्रेनी IAS अफसर पूजा खेडकर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. बुधवार, 21 मई को कोर्ट ने पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) दे दी. उन पर आरोप है कि उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और विकलांग कोटे का गलत फायदा उठाया.
'पूजा खेडकर कोई ड्रग माफिया या आतंकी नहीं हैं', सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व IAS ट्रेनी को दी जमानत
Supreme Court ने Puja Khedkar को जमानत दे दी है. पूर्व ट्रेनी IAS अधिकारी खेडकर पर UPSC की परीक्षा में OBC और विकलांग कोटे का गलत फायदा उठाने का आरोप है. कोर्ट ने खेडकर को निर्देश दिया है कि वे जांच में सहयोग करें.

दी हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने पूजा खेडकर को निर्देश दिया है कि वे जांच में सहयोग करें. पूर्व ट्रेनी IAS अधिकारी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
"उन्होंने क्या बड़ा जुर्म किया है? वो ना कोई ड्रग्स माफिया हैं, ना आतंकवादी. उन पर हत्या का मामला (धारा 302) नहीं है. ना ही वो NDPS (नारकोटिक ड्रग्स) केस की अपराधी हैं. आपको सिस्टम या सॉफ्टवेयर बनाना चाहिए. आप जांच पूरी करें. वो सब कुछ खो चुकी हैं और अब कहीं नौकरी नहीं मिल पाएगी.”
कोर्ट ने कहा कि इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट को पहले ही जमानत दे देनी चाहिए थी. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में पूजा खेडकर को जमानत देने का विरोध किया. पुलिस के वकील ने कहा कि वो जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं और उन पर गंभीर आरोप हैं.
पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने 2022 की UPSC परीक्षा में गलत जानकारी देकर OBC और विकलांग आरक्षण का फायदा उठाया. UPSC ने इस मामले में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज की.
खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने अपने परिवार की आय और अन्य जानकारियां भी गलत तरीके से पेश करके UPSC परीक्षा दी थी. इसके बाद UPSC ने दस्तावेजों में जालसाजी करने का दोषी पाए जाने के बाद उनका चयन रद्द कर दिया था.
आयोग ने खेडकर पर UPSC की परीक्षा में बैठने के लिए आजीवन प्रतिबंधित लगा दिया. इसके एक महीने बाद केंद्र सरकार ने उनसे सारी जिम्मेदारी छीन ली. हालांकि, पूजा खेडकर ने अपने खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर दिया था.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट पर लगभग 4 घंटे की बहस, इन कानूनों का हवाला दिया गया