The Lallantop

कर्नाटक के जंगल में मिली रूसी महिला की बेटियों का 'पिता' सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तगड़ी क्लास लग गई

Gokarna Cave Case: Supreme Court ने इस इजरायली नागरिक से पूछा कि क्या कोई आधिकारिक दस्तावेज है जो साबित करता हो कि वो सच में बच्चियों का पिता है. इससे पहले इजरायली शख्स ने Karnataka High Court का रुख किया था.

Advertisement
post-main-image
डॉर शालोम गोल्डस्टीन (दाएं) ने गुफा में मिली रूसी महिला की बेटियों का पिता होने का दावा किया. (PTI)

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 6 अक्टूबर को एक इजरायली नागरिक की याचिका खारिज कर दी. ये इजरायली खुद को एक रूसी महिला की दो बच्चियों का पिता बता रहा था. ये महिला और उसकी दो बेटियां कर्नाटक के गोकर्णा इलाके की एक गुफा में मिली थीं. कोर्ट ने साफ कहा कि यह याचिका 'पब्लिसिटी के लिए' दाखिल की गई लगती है.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है. हाई कोर्ट ने महिला और बच्चों को वापस रूस भेजने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, क्योंकि महिला खुद रूसी दूतावास को चिट्ठी लिखकर अपने देश लौटने की बात कह चुकी थी.

गोवा में रह रहा इजरायली नागरिक डॉर शालोम गोल्डस्टीन ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि वही बच्चियों का पिता है. वो हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया. हाई कोर्ट में उसने कहा था कि मां और बच्चियों को डिपोर्ट करना बच्चों के अधिकारों के खिलाफ है. लेकिन हाई कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी. गोल्डस्टीन हाई कोर्ट को ये बताने में नाकाम रहा कि अगर वो महिला और बच्चों का भरण-पोषण कर रहा था, तो वे गुफा में क्यों रह रहे थे.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट में भी यही सवाल दोहराया गया. जस्टिस बागची ने पूछा,

"जब आपका बच्चा गुफा में था तो आपने क्या किया?"

कोर्ट ने गोल्डस्टीन की मंशा पर भी सवाल उठाए. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,

Advertisement

"आप इजरायली हैं. भारत में आपकी क्या दिलचस्पी है? आप नेपाल जाते हैं, वीजा रिन्यू कराते हैं और फिर गोवा वापस आते हैं. आपकी कमाई का जरिया क्या है?"

कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या कोई आधिकारिक दस्तावेज है जो साबित करता हो कि वो सच में बच्चियों का पिता है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,

"कृपया दिखाइए कि आपको आधिकारिक रूप से पिता घोषित किया गया है. हम क्यों ना आपको भी डिपोर्ट करने का आदेश दें? आप इसी देश में बैठे हैं."

आखिर में कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा,

"हमें यह याचिका पूरी तरह फिजूल लगती है. जाहिर है, याचिकाकर्ता ने पब्लिसिटी या किसी और मकसद से हाई कोर्ट के साथ-साथ इस कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया. खारिज."

इसके बाद गोल्डस्टीन ने याचिका वापस लेने की गुहार लगाई, जिसे कोर्ट ने मान लिया. जाते-जाते जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की,

"यह देश सबके लिए स्वर्ग बन गया है. जो भी आता है, यहीं का होकर रह जाता है."

जुलाई, 2025 में महिला और उसकी दो बेटियो को गोकर्णा के रामतीर्थ हिल्स में एक गुफा में रहते हुए पाया गया था. उनके पास कोई वैध ट्रैवल डॉक्युमेंट नहीं था. पुलिस ने उन्हें रेस्क्यू करके फॉरेनर्स रेस्ट्रिक्शंस सेंटर की निगरानी में तुमकुरु के फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) भेज दिया था. इसके बाद रूस दूतावास ने रूस लौटने के लिए उन्हें इमरजेंसी ट्रैवल डॉक्युमेंट जारी कर दिए.

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट में किसने किया CJI बीआर गवई पर हमला?

Advertisement