बिहार (Bihar) में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के पहले ड्राफ्ट पर आपत्ति जताने का आखिरी दिन 1 सितंबर है. यानी डेडलाइन लगभग खत्म होने को है. इसको लेकर अररिया जिले के जोकीहाट विधानसभा से विधायक शाहनवाज आलम (Shahnawaz Alam) परेशान हैं, क्योंकि उनके विधानसभा में अब तक डॉक्यूमेंट जमा करने वालों का आंकड़ा 85 प्रतिशत को भी पार नहीं कर पाया है.
SIR ड्राफ्ट में नाम जुड़वाने की डेडलाइन खत्म होने को है, सीमांचल में अब भी आवास प्रमाण पत्र बनवाने की होड़
SIR की प्रक्रिया के दौरान Seemanchal के चार जिलों में Residential Certificate के लिए आवेदन करने वालों की भारी भीड़ देखी गई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई के पहले दो हफ्तों में Purnia में 98 हजार 200, Katihar में 1.32 लाख, Kishanganj में 3.23 लाख और Araria में 53 हजार 556 आवेदन मिले है.
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अररिया बिहार के सीमांचल क्षेत्र का हिस्सा है. इस क्षेत्र के चार जिलों में मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है. किशनगंज में 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी अल्पसंख्यक समुदाय की है, जबकि पूर्णिया, अररिया और कटिहार में ये आंकड़ा 40 से 45 फीसदी है. पूरे बिहार की बात करें तो राज्य में मुस्लिम आबादी 17 फीसदी है.
SIR की प्रक्रिया के दौरान सीमांचल के चार जिलों में आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने वालों की भारी भीड़ देखी गई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई के पहले दो हफ्तों में पूर्णिया में 98 हजार 200, कटिहार में 1.32 लाख, किशनगंज में 3.23 लाख और अररिया में 53 हजार 556 आवेदन मिले है. (आवासीय प्रमाण पत्र चुनाव आयोग द्वारा वोटर के पहचान के अनिवार्य किए गए 11 दस्तावेजों में से एक है.)
बिहार के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने दावा किया था कि इस क्षेत्र में आवास प्रमाण पत्र के आवेदनों में आई तेजी से पता चलता है कि कई आवेदक दूसरे देशों से आए प्रवासी हैं. उन्होंने कहा कि,
हमें शक है कि किशनगंज में रहने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से हो सकता है.
जोकीहाट के विधायक शाहनवाज आलम इस बात से असहमति जताते हैं. उनका कहना है कि आवास प्रमाण पत्र के लिए इतनी भीड़ इसलिए है कि क्योंकि ये इलाका राज्य के सबसे पिछड़े क्षेत्र में से एक है. यहां के लोगों के पास आधार और राशन कार्ड के अलावा मुश्किल से कोई दस्तावेज होगा और ये दोनों दस्तावेज चुनाव आयोग की 11 दस्तावेजों की लिस्ट में नहीं है.
सीमांचल की राजनीति की कद्दावर शख्सियत रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के बेटे शाहनवाज आलम ने बताया कि अकेले जोकीहाट प्रखंड में आवासीय प्रमाण पत्र के लिए 50 हजार से ज्यादा आवेदन लोक सेवा अधिकार केंद्र में लंबित हैं. उन्होंने आगे बताया,
प्रतिदिन 1 हजार से ज्यादा आवेदन नहीं आते. ऐसे में हम तय डेडलाइन में सबका नाम कैसे जुड़ पाएगा. हमें आशंका है कि बहुत से लोग अंतिम मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं.
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राज्य में सर्विस डिलीवरी करने वाली नोडल एजेंसी बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन के एक अधिकारी ने बताया कि निवास प्रमाण पत्र के लिए बहुत ज्यादा आवेदन आ रहे हैं. SIR शुरू होने के बाद से 80 लाख से ज्यादा आवेदन मिले हैं. उन्होंने बताया कि सीमांचल के जिलों से बड़ी संख्या में आवेदन आ रहे हैं. इसलिए इस प्रक्रिया में समय लग रहा है.
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