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'वो अब हम में से एक नहीं', कांग्रेस ने शशि थरूर से बनाई दूरी और चेताया भी

Congress और Shashi Tharoor के रास्ते अब अलग होते दिख रहे हैं. थरूर भले ही अब तक कांग्रेेस वर्किंग कमेटी के मेंबर हैं, लेकिन पार्टी ने उनसे दूरी बनाना शुरू कर दिया है. केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के मुरलीधरन का ताजा बयान तो कम से कम इसी ओर इशारा करता है.

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शशि थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है. (इंडिया टुडे)

शशि थरूर (Shashi Tharoor) बीते कुछ समय से पार्टी लाइन से अलग चलते नजर आए हैं. इसके चलते कई मौकों पर कांग्रेस को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है. और कांग्रेस भी अब उनसे दूरी बनाती दिख रही है. 20 जुलाई को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के मुरलीधरन (K Muraleedharan) ने उनको पार्टी से अलग थलग किए जाने का इशारा किया है. उन्होंने कहा कि थरूर जब तक राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर अपना रुख नहीं बदलते तब तक उन्हें तिरुवनंतपुरम (केरल) में पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाएगा.

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के मुरलीधरन ने कहा कि शशि थरूर को अब 'हम में से एक' नहीं माना जाता. उन्होंने कहा,

 थरूर कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के सदस्य जरूर हैं, लेकिन उनके हालिया बयानों और रुख ने पार्टी की आंतरिक एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हम उन्हें तिरुवनंतपुरम में आयोजित होने वाले किसी भी पार्टी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं करेंगे. अब वह हमारे साथ नहीं हैं, इसलिए उनके किसी कार्यक्रम का बहिष्कार करने का सवाल ही नहीं उठता.

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शशि थरूर ने क्या कहा था?

के मुरलीधर की ये प्रतिक्रिया शशि थरूर के उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राष्ट्र सर्वोपरि है और पार्टियां देश को बेहतर बनाने का माध्यम हैं. कोच्चि में आयोजित एक कार्यक्रम में शशि थरूर ने कहा कि कई लोग उनकी आलोचना इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने हाल ही में देश और सीमाओं से जुड़े घटनाक्रम पर सशस्त्र बलों और केंद्र सरकार का समर्थन किया. थरूर ने कहा,

 मैं अपने रुख पर कायम रहूंगा, क्योंकि मुझे लगता है कि यह देशहित में सही है. जब कोई राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में दूसरी पार्टियों के साथ सहयोग की बात करता है तो अपनी ही पार्टी को यह बात विश्वासघात जैसी लगती है, जो एक बड़ी समस्या बन जाती है.

के मुरलीधरन पहले भी हमलावर रहे हैं

25 जून को इमरजेंसी लगाए जाने की 50वीं वर्षगांठ थी. इस अवसर एक अखबार में लेख लिखकर शशि थरूर ने इसकी निंदा की थी. के मुरलीधरन ने आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी की आलोचना वाले लेख को लेकर भी थरूर पर हमला बोला था. उन्होंने थरूर से आग्रह किया था कि अगर वे कांग्रेस के भीतर खुद को विवश महसूस करते हैं, तो एक स्पष्ट रास्ता चुनें.

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कब से शुरू हुआ टकराव?

पहलगाम हमले के बाद से शशि थरूर केंद्र सरकार के साथ खड़े दिखे हैं. वहीं नरेंद्र मोदी सरकार ने भी कांग्रेस की मुखालफत के बावजूद उनको 'ऑपरेशन सिंदूर' की जानकारी देने के लिए विदेशों में भेजे जाने वाले एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपा. इसके बाद से कांग्रेस नेतृत्व और शशि थरूर के बीच टकराव की स्थिति बन गई, जिसे थरूर के हालिया बयानों ने और ज्यादा हवा दे दी.

वीडियो: शशि थरूर के पत्रकार बेटे ने अमेरिका में उनसे क्या सवाल पूछ लिया?

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