भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी का 8 नवंबर को जन्मदिन था. शशि थरूर जो 'फिलहाल तो' कांग्रेस के सांसद हैं, उन्होंने भी आडवाणी को बधाई दी. उनकी इस बधाई पर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई. यहां तक तो फिर भी ठीक था, थरूर ने इसके बाद जो जवाब दिया, वो शायद ही किसी कांग्रेसी को पसंद आए.
आडवाणी को जन्मदिन की बधाई देने पर टोका तो शशि थरूर नेहरू और इंदिरा को घसीट लाए!
LK Advani 98 साल के हो गए हैं. Shashi Tharoor ने उन्हें जन्मदिन पर बधाई की. इस पर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई. इसके बाद जो हुआ उसे ही राजनीति कहते हैं.


BJP के संस्थापक सदस्य देश के उप-प्रधानमंत्री रहे आडवाणी 98 साल के हो गए. इस मौके पर उन्हें शुभकामनाएं देते हुए शशि थरूर ने X पर उनके साथ अपनी युवावस्था की एक तस्वीर शेयर की. और लिखा,
आडवाणी को 98वें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं! जनसेवा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता, उनकी विनम्रता और शालीनता, और आधुनिक भारत की दिशा तय करने में उनकी भूमिका अमिट है. एक सच्चे नेता, जिनका सेवामय जीवन फॉलो करने लायक है.
थरूर की इस बधाई पर अबतक किसी कांग्रेसी ने तो कुछ नहीं बोला था पर वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने उनसे असहमति जता दी. उन्होंने लिखा,
माफ कीजिए मिस्टर थरूर, इस देश में ‘नफरत के बीज’ (खुशवंत सिंह के शब्दों में) फैलाना जनसेवा नहीं है.
हेगड़े यहां बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए आडवाणी पर लगने वाले आरोपों का परोक्ष रूप से जिक्र कर रहे थे. लेखक और पत्रकार रहे खुशवंत सिंह ने एक जनसभा में आडवाणी की आलोचना करने के लिए इस मुहावरे (नफरत के बीज) का इस्तेमाल किया था. इसका जिक्र उनकी किताब 'द एंड ऑफ इंडिया' में भी मिलता है. जब खुशवंद सिंह ने आडवाणी की आलोचना की, तब आडवाणी भी उस बैठक में मौजूद थे.
बहरहाल, शशि थरूर भी संजय हेगड़े की इस बात से सहमत नहीं थे. उन्होंने तर्क दिया कि नेताओं की लंबी सेवा को सिर्फ एक घटना तक सीमित नहीं किया जा सकता. तिरुवनंतपुरम के सांसद ने जवाब में लिखा,
उनकी लंबी सार्वजनिक सेवा को एक घटना तक सीमित करना, चाहे वो कितनी भी अहम क्यों न हो, गलत है. नेहरू के संपूर्ण करियर का आकलन चीन की विफलता से नहीं किया जा सकता. न ही इंदिरा गांधी के करियर का आकलन सिर्फ इमरजेंसी से किया जा सकता है. मेरा मानना है कि हमें आडवाणी के प्रति भी यही शिष्टाचार दिखाना चाहिए.
बीते कुछ महीनों से थरूर की चाल कांग्रेस से अलग दिखाई देती है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार को पुरजोर समर्थन दिया था, जबकि कांग्रेस सरकार पर सवाल उठा रही थी. यहां तक कि ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर संसद में चर्चा के दौरान थरूर ने कांग्रेस की तरफ से पक्ष रखने से भी इनकार कर दिया था. इसके अलावा भी थरूर कई मसलों पर कांग्रेस से इतर नज़र आए.
कुछ दिन पहले थरूर के ‘भारतीय राजनीति में परिवारवाद’ पर लिखे एक आर्टिकल की भी खूब चर्चा हुई थी. तब उन्होंने परिवारवाद के चलन पर सवाल उठाए थे. इस पर BJP ने उनकी जमकर तारीफ की थी. बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने तो यहां तक कह दिया था कि थरूर खतरों के खिलाड़ी बन गए हैं.
अब आडवाणी को जन्मदिन पर नेहरू और इंदिरा को घसीटने पर कांग्रेस का आधिकारिक पक्ष भी आ गया. पार्टी के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने सीधे-सीधे तो आडवाणी वाले मामले का जिक्र नहीं किया. लेकिन इशारे-इशारे में उन्होंने कांग्रेस का स्टैंड क्लियर कर दिया. पवन खेड़ा ने X पर लिखा
हमेशा की तरह शशि थरूर अपनी बात कह रहे हैं और कांग्रेस उनके हालिया बयान से पूरी तरह अलग है. कांग्रेस सांसद और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य के रूप में उनका ऐसा कहना, कांग्रेस की लोकतांत्रिक और उदारवादी भावना को दर्शाता है.
राजनीति में कहकर भी बहुत कुछ छिपा लिया जाता है और बिना जिक्र किए भी बहुत कुछ कह दिया जाता है. पवन खेड़ा का कहना कि थरूर का बयान कांग्रेस के उदारवाद को दर्शाता है, यह बताने के लिए काफी कि पार्टी आलाकमान थरूर के बयान से खुश तो नहीं ही है.
वीडियो: कहानी उस माफिया की जिसने लालकृष्ण आडवाणी के रिश्तेदार का हेलीकॉप्टर तोड़ दिया था














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