असम के मंत्री अशोक सिंघल के ‘बिहार ने गोभी की खेती को मंजूरी दी’ वाले कॉमेंट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. विपक्षी नेताओं का आरोप है कि ये टिप्पणी 1989 में भागलपुर में मुसलमानों की हत्या का 'महिमामंडन' करती है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इसकी निंदा की है. उन्होंने कहा कि न तो हिंदू धर्म और न ही राष्ट्रवाद, ऐसे नरसंहारों को उचित ठहराता है या उनका समर्थन करता है. उनकी सराहना करना तो दूर की बात है.
असम के मंत्री की 'गोभी की खेती' वाली पोस्ट पर शशि थरूर क्यों भड़क गए?
Bihar Election Result के बाद BJP के नेतृत्व वाली असम सरकार में मंत्री अशोक सिंघल ने एक पोस्ट किया, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है. अब कांग्रेस सांसद Shashi Tharoor ने इसकी निंदा की है.



अशोक सिंघल असम के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और सिंचाई विभाग के मंत्री हैं. बिहार में एनडीए की जीत के बाद, उन्होंने फूलगोभी के खेत की एक तस्वीर X पर शेयर की. लिखा, ‘बिहार ने गोभी की खेती को मंजूरी दे दी है.’ इसके बाद से ही उनके पोस्ट पर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. एक यूजर ने इस पोस्ट पर कॉमेंट किया,
एक कैबिनेट मंत्री भी चुनावी जीत का जश्न मनाने के लिए 116 मुसलमानों के नरसंहार का महिमामंडन कर रहे हैं. बिहारी मुसलमानों के खिलाफ हुए सबसे भयानक नरसंहारों में से एक का नॉर्मलाइजेशन हो रहा है. देखते हैं कि क्या शशि थरूर कुछ प्रभावशाली हिंदू नेताओं की इस हरकत की निंदा करते हैं या नहीं.
पोस्ट में शशि थरूर को टैग किया था. ऐसे में इस पर उनका भी जवाब आया. तिरुअनंतपुरम के सांसद ने लिखा,
मैं कोई कम्यूनिटी ऑर्गनाइजर नहीं हूं, इसलिए जॉइंट स्टेटमेंट देना मेरा काम नहीं है. इंक्लूसिव इंडिया का एक उत्साही समर्थक और प्राउड हिंदू मैं जरूर हूं. इस नाते मैं अपनी और अपने जानने वाले ज्यादातर हिंदुओं की तरफ से कह सकता हूं कि न तो हमारा धर्म, और न ही हमारा राष्ट्रवाद ऐसे नरसंहारों की मांग करता है, न उन्हें उचित ठहराता है, न ही उनका समर्थन करता है और न ही उनकी सराहना करता है.
शशि थरूर के पोस्ट पर एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘लेकिन आपने ये नहीं कहा कि आप इसकी निंदा करते हैं.’ इसके जवाब में कांग्रेस नेता ने जवाब दिया, ‘मैंने बिल्कुल यही किया! मैंने इसकी निंदा की.’

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शशि थरूर के अलावा, विपक्ष के कई और नेताओं ने अशोक सिंघल के पोस्ट की निंदा की. कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने इसे ‘राजनीतिक विमर्श में एक चौंकाने वाला नया निचला स्तर’ बताया. उन्होंने इसे ‘अश्लील और शर्मनाक’ करार देते हुए लिखा,
इस तरह की त्रासदी का इस तरह से जिक्र करना दर्शाता है कि कुछ लोग सार्वजनिक जीवन में किस हद तक गिर सकते हैं. इस मानसिकता को उनके बॉस मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बढ़ावा देते हैं. मुख्यमंत्री को भारतीय अल्पसंख्यकों से नफरत है. असम ऐसा नहीं है.

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टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने भी इस पोस्ट की आलोचना की. उन्होंने इसे भागलपुर दंगे से जोड़ते हुए लिखा, ‘ये मोदी की असम से BJP मंत्री हैं. कोई फ्रींज एलेमेंट नहीं. जाहिर है प्रधानमंत्री का ऑफिस इसकी मंजूरी देता है. दुनिया को ये पता होना चाहिए.’
वीडियो: तारीख: 1989 के भागलपुर दंगे जिनके बाद एक मुख्यमंत्री को इस्तीफ़ा देना पड़ गया था




















