दिल्ली पुलिस ने राजस्थान के दौसा से एक 'पुजारी' को गिरफ्तार किया. दरअसल, वो कोई असली पुजारी था ही नहीं. सात टैक्सी ड्राइवरों के अपहरण और उनकी हत्या करने वाला अपराधी है. लेकिन कहानी इतनी भर नहीं है. 'डॉक्टर डेथ' के नाम से मशहूर इस सीरियल किलर (Serial Killer Arrested) का असली नाम डॉ देवेंद्र शर्मा है.
जेल से फरार सीरियल किलर 'डॉक्टर डेथ' पकड़ा गया, टैक्सी ड्राइवरों को मारकर मगरमच्छों वाले नहर में फेंक देता था
Dr Death Arrested: अपराधी को जब पहली बार गिरफ्तार किया गया तो पूछताछ में और भी बड़े खुलासे हुए. पता चला कि वो 50 से अधिक लोगों की हत्याओं में शामिल था. हालांकि, पुलिस बाकी शवों को बरामद नहीं कर पाई. इसलिए सात हत्याओं के लिए उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई. मगर परोल पर बाहर आने के बाद वो फरार हो गया.

दौसा के एक आश्रम में वो एक नकली पुजारी छिपा था. जून 2023 में वो परोल पर तिहाड़ जेल से बाहर आया. परोल की समयसीमा खत्म होने के बाद से वो गायब था. ये दूसरी बार था जब इस सीरियल किलर को परोल मिला और दोनों ही बार उसने गायब होने की कोशिश की.
मगरमच्छों से भरे नहर में फेंक देता था शवअलीगढ़ का ये 67 साल का अपराधी पहले एक आयुर्वेदिक डॉक्टर हुआ करता था. आरोप के मुताबिक, साल 2002 से 2004 के बीच उसने 21 टैक्सी चालकों की हत्या की. वो दिल्ली से किराए पर टैक्सी लेता और फिर ड्राइवर को किडनैप कर लेता. फिर उनकी हत्या करता और शव को कासगंज के हजारा नहर में फेंक देता. ये नहर मगरमच्छों से भरा होता. इसके बाद उन टैक्सियों को 20,000 से 25,000 रुपये में बेच देता.
शर्मा को जब पहली बार गिरफ्तार किया गया तो पुलिस की पूछताछ में और भी बड़े खुलासे हुए. पता चला कि वो 50 से अधिक लोगों की हत्याओं में शामिल था. हालांकि, पुलिस बाकी शवों को बरामद नहीं कर पाई. इसलिए सात हत्याओं के लिए उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई.
इसके बाद उसकी पत्नी और बच्चों ने उसका साथ छोड़ दिया.
प्रॉपर्टी डीलर का काम करने लगाजनवरी 2020 में अच्छे आचरण के आधार पर उसे जयपुर सेंट्रल जेल से परोल मिला. लेकिन वो गायब हो गया. कुछ महीनों बाद, दिल्ली पुलिस को सूचना मिली कि डॉक्टर शर्मा अपनी दूसरी पत्नी के साथ बपरौला में रह रहा है. उसने प्रॉपर्टी डीलर का काम शुरू कर दिया था. लेकिन वो उस वक्त पकड़ा गया जब वो कनॉट प्लेस में एक विवादित जमीन बेचने की कोशिश कर रहा था. उसने गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल में जेल में डाल दिया गया.
जून 2023 में उसे दो महीने की परोल दी गई. अगस्त 2025 में उसे सरेंडर करना था. लेकिन वो गायब रहा. अपनी पहचान बदल ली और दौसा में पुजारी बनकर छिपा रहा. अंतत: 19 मई को उसे दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उसे जेल अधिकारियों को सौंप दिया गया है. शर्मा के खिलाफ अब भी अपहरण और डकैती समेत 27 मामले दर्ज हैं.
‘अनुयायी’ बनकर पहुंची पुलिसडीसीपी (क्राइम) आदित्य गौतम ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए छह महीने तक जानकारी जुटाई. दौसा में पुलिस की टीम कई दिनों तक रही. पुलिस ने नाटक किया कि वो शर्मा (नकली पुजारी) के शिष्य हैं. और इसी बहाने उससे मुलाकात की. फिर ये सुनिश्चित किया कि वो वही अपराधी है जिसने कई टैक्सी ड्राइवरों की हत्या की है. पुलिस के अनुसार, उसने इस बात को कबूल लिया है कि वही देवेंद्र शर्मा है और वो परोल पर जेल से बाहर आने के बाद वापस नहीं लौटा.
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गैस एजेंसी खोलना चाहता था
गिरफ्तारी से पहले शर्मा ने राजस्थान के बांदीकुई में 11 साल तक आयुर्वेद की प्रैक्टिस की. पुलिस ने बताया कि वो एक गैस एजेंसी खोलना चाहता था. 1994 में उसने कोशिश भी कि लेकिन उसके साथ 11 लाख रुपये की ठगी हो गई. इसके बाद वो अपने घर अलीगढ़ लौट आया. वहां वो एक फर्जी गैस एजेंसी चलाने लगा. फिर वो अपराधी की दुनिया में दाखिल हो गया.
उसने ट्रक ड्राइवरों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. ड्राइवरों को मारकर उनके शव नदियों में फेंक देता और गैस सिलेंडर चुरा लेता.
पुलिस के मुताबिक, 1998 से 2004 के बीच वो एक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट में भी शामिल रहा. उसने एक अन्य डॉक्टर और कुछ बिचौलियों की मदद से दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में 125 से ज्यादा ट्रांसप्लांट किए. किडनी डोनर की व्यवस्था करने के एवज में उसने प्रति ट्रांसप्लांट पांच से सात लाख रुपये लिए.
इस बीच उसने एक गिरोह बना लिया और टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाना शुरू कर दिया.
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