The Lallantop

5 घंटे वीडियोग्राफी, वजूखाने से... संभल मस्जिद सर्वे पर अंदर की जानकारी सामने आई है

Sambhal violence: सर्वे करने गई टीम ने 10 और दिन की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने मान लिया है. बीते दिनों सर्वे करने गई टीम पर पथराव की ख़बरें आई थी.

Advertisement
post-main-image
24 नवंबर को सर्वे करने पहुंची टीम पर पथराव की घटना सामने आने के बाद से इलाक़े में तनाव है. (फ़ोटो - PTI)

उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद (Sambhal Mosque Survey) की सर्वे कर रही ASI टीम को रिपोर्ट पेश करने में कम से कम 10 और दिन लगेंगे. सर्वे करने के लिए अपॉइंट किए गए एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव ने कोर्ट से इसकी मांग की थी. इस मांग को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह ने मान लिया है.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

जिस 29 तारीख़ को सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद की प्रबंधन समिति को इलाहाबाद हाई कोर्ट में जाने को कहा. उसी 29 तारीख़ को ज़िला अदालत, मस्जिद के सर्वे की मंजूरी देने के बाद पहली बार मामले की सुनवाई के लिए बैठी थी. बताते चलें, ज़िला अदालत की इसी मंजूरी से मस्जिद को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हुई थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, एडवोकेट कमिश्नर राघव ने बताया कि हिंसा और विरोध प्रदर्शनों की वजह से रिपोर्ट में देरी हुई. उन्होंने कहा,

Advertisement

जब 19 नवंबर को पहला सर्वेक्षण किया गया, तब नारेबाजी हो रही थी. 24 नवंबर को दूसरे सर्वे के दौरान बहुत हिंसा हुई और स्थिति कंट्रोल से बाहर हो गई. ऐसे में सर्वे करना मुश्किल हो गया. हमने शाही जामा मस्जिद की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी पूरी कर ली है. सर्वे पांच घंटे में किया गया. हमने आज सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल नहीं की, क्योंकि हम वीडियो फुटेज और तस्वीरों का विश्लेषण और जांच पूरी नहीं कर पाए हैं. एक बार सर्वेक्षण पूरा हो जाने के बाद हम इसे जमा कर देंगे.

इस पर ट्रायल कोर्ट में मस्जिद के नीचे मंदिर बताने वाले पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील गोपाल शर्मा की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा है कि सर्वे में सिर्फ़ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी शामिल थी. इसके अलावा कुछ नहीं किया गया. तस्वीरें लेने के लिए वज़ूखाना से पानी निकाला गया.

वहीं, शाही जामा मस्जिद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील शकील वारसी ने कहा,

Advertisement

एडवोकेट कमिश्नर ने आज कोर्ट से सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए और समय मांगा है. हमने कोर्ट को सूचित किया है कि हमारी तरफ़ से लिखित बयान 8 जनवरी को पेश किए जाएंगे.

बता दें, 19 नवंबर को जब से सर्वे टीम ने मस्जिद का दौरा किया था, तब से ही संभल में तनाव की स्थिति बनी हुई है. कोर्ट ने उन याचिकाओं स्वीकार कर लिया था, जिनमें आरोप लगाया गया कि मस्जिद का निर्माण ‘श्री हरि हर मंदिर’ को नष्ट करके किया गया था. सर्वे के दूसरे दिन, 24 नवंबर को हिंसा हुई. सर्वे टीम पर पत्थर फेंके गए, जिसके बाद मस्जिद से कुछ मीटर दूर चार लोगों की गोली लगने से मौत हो गई.

हालांकि, पुलिस ने दावा किया कि गोलियां उनके द्वारा नहीं चलाई गईं. बताया गया कि उस दिन की हिंसा के लिए अब तक 30 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और 300 लोगों की पहचान की गई है. वहीं, 29 नवंबर को संभल में जुमे की नमाज को लेकर प्रशासन को अलर्ट मोड पर रखा गया है. नमाज के लिए लोगों के आने से पहले, सुबह एंट्री गेट पर अस्थायी रूप से मेटल डिटेक्टर लगाए गए थे.

Sambhal Shahi Masjid पर क्या बोला Supreme Court?

बीते दिन, 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने शाही जामा मस्जिद मामले पर सुनवाई की. इस सुनवाई में निचली अदालत पर किसी तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगाई गई. कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट तब तक आगे ना बढ़े, जब तक मस्जिद के सर्वे के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में ना दाखिल हो जाए. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. बेंच ने कहा कि सर्वे की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रखी जाए और उसे खोला नहीं जाए.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: संभल जामा मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा, “बंद लिफाफे में जमा करो”?

Advertisement