भारत और रूस की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है. इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) के बेड़े में मौजूद रूसी जेट्स हों, या एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya). रक्षा क्षेत्र हो या यूनाइटेड नेशंस में डिप्लोमेसी की बात हो, रूस ने कई मौकों पर भारत का साथ दिया है. लिहाजा दोनों देशों के बीच कोई भी, किसी भी स्तर की वार्ता पर दुनिया की नजर रहती है. इसी कड़ी में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत (Putin visit to India) आ रहे हैं. इस यात्रा को न सिर्फ डिप्लोमेसी, बल्कि डिफेंस पार्टनरशिप के लिए भी अहम माना जा रहा है. और इस यात्रा के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा है रूस के नए स्टेल्थ विमान 'सुखोई-75 चेकमेट' (Su-75 Checkmate) के डील की. इस विमान को अमेरिका के F-35 और चाइनीज J-20 का सबसे बड़ा काउंटर माना जाता है. इसके अलावा S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की और यूनिट्स पर भी बात हो सकती है.
पुतिन ने भारत को Su-75 ‘चेकमेट’ का ऑफर दिया? F-35 और J-20 के मुकाबले कितना खतरनाक ये स्टेल्थ फाइटरजेट
President Vladimir Putin की यात्रा के दौरान 'सुखोई-75 चेकमेट' (Su-75 Checkmate) की डील हो सकती है. इस विमान को अमेरिका के F-35 और चाइनीज J-20 कासबसे बड़े काउंटर माना जाता है. इसके अलावा S-400 Air Defence System की और यूनिट्स पर भी बात हो सकती है.


आपने अगर बैटमैन सीरीज की फिल्में देखी हैं तो आपको एक सीन याद दिलाते हैं. इसमें बैटमैन हॉन्ग-कॉन्ग जाकर लाओ नामक एक मुजरिम को पकड़ कर लाता है. अब चूंकि लाओ को जहाज से लाना था इसलिए ब्रूस वेन यानी बैटमैन ने ऐसे पायलट्स को हायर किया जो रडार से बचकर प्लेन उड़ाने में माहिर थे. अगर बैटमैन के पास ऐसे जहाज होते जो स्टेल्थ तकनीक से लैस होते तो पायलट हायर करने का खर्च बच जाता. पर वो ब्रूस वेन था इसलिए उसे पैसे की कमी नहीं थी. किसी देश को अगर किसी दुश्मन देश में चुपके से घुसना हो, जासूसी करनी हो तो उसे चाहिए ऐसी तकनीक जिससे कितना भी उड़ो, कोई देख न पाए. और यही आवश्यकता जननी बनी स्टेल्थ तकनीक के आविष्कार की.
किसी जहाज को डिटेक्ट करने के लिए रडार का इस्तेमाल किया जाता है. रडार एक सिंपल कॉन्सेप्ट पर काम करता है. इस कॉन्सेप्ट को इंसानों से काफी पहले चमगादड़ इस्तेमाल कर रहे हैं. रडार दरअसल लगातार हवा में या पानी में तरंगें छोड़ता है. अगर ये तरंगें किसी चीज से टकराती हैं तो रडार अपने ऑपरेटर को बताता है कि ये आगे क्या है? उसका आकार क्या है? वो चीज कितनी बड़ी है? और किस तरह की चीज है? पर स्टेल्थ तकनीक इस रडार के साथ कर देती है एक प्रैंक. अगर आपने गौर से देखा होगा तो अधिकतर जहाज गोलाकार टाइप के शेप में दिखते हैं जबकि स्टेल्थ जहाजों में सतह एकदम फ्लैट होती है. साथ ही इसके कोने भी काफी तीखे या शार्प होते हैं. इन कोनों और सतह की वजह से ये जहाज आसानी से रडार की तरंगों को दूसरी दिशा में भेज देते हैं. इसके अलावा स्टेल्थ तकनीक से लैस जहाज रडार की तरंगों को सोख लेते हैं. इन जहाजों पर एक ऐसा मैटेरियल इस्तेमाल किया जाता है जो रडार की तरंगों को सोखने की क्षमता रखता है. सोखने के बाद ये जहाज गर्मी के रूप में उन तरंगों को वापस निकाल देते हैं.

आज अमेरिका भले ही ये कहता हो कि उसके पास रूस से बेहतर F-22 Raptor और F-35 Lightning जैसे विमान हैं, जिनका कोई सानी नहीं है. लेकिन रूस की ही देन है कि ये तकनीक आज विमानों में इस्तेमाल हो रही है. 60 के दशक की बात है. फिजिक्स के एक सोवियत विद्वान Pyotr Ufimtsev ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों मसलन रडार की तरंगों को डाइवर्ट करने वाले एक मॉडल पर काम शुरु किया. Pyotr दरअसल ये अध्ययन कर रहे थे कि 2D और 3D सतह पर अगर ये तरंगें पड़ें तो ये किस तरह से फैलती हैं. उनका काम तत्कालीन USSR में पब्लिश भी हुआ पर कभी उनके रिसर्च पर कोई प्रैक्टिकल काम नहीं किया गया. पर कुछ समय बाद इस पेपर पर नजर पड़ी डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर Lockheed की. Lockheed ने उनकी पूरी रिसर्च को अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया. और Pyotr की रिसर्च को आज मॉडर्न स्टेल्थ तकनीक का जनक माना जाता है. Lockheed ने Pyotr Ufimtsev के काम का भरपूर इस्तेमाल किया क्यूंकि ये तो तय था कि एक स्पेशल शेप देने से विमान को रडार पर लोकेट करना मुश्किल हो जाता है. और इस तरह अस्तित्व में आई स्टेल्थ टेक्नोलॉजी जो समय के साथ और भी उन्नत होती गई. अब समझते हैं रूस के नए स्टेल्थ फाइटर ‘चेकमेट’ के बारे में.
रूस ने इस विमान को सबसे पहले 2021 के, MAKS एयर शो में दुनिया के सामने रखा था. रूस ने सुखोई के इस Su-75 को चेकमेट यानी 'शह और मात' नाम दिया है. रूस का कहना है कि ये इस दौर का सबसे उन्नत स्टेल्थ विमान है. इसकी पहली उड़ान 2023 में होनी थी, लेकिन सुखोई ने वापस से इसके डिजाइन में कुछ बदलाव करने के लिए वक्त मांगा. इस वजह से विमान बनने में देरी भी हुई, लेकिन इसका फायदा भी रूस को मिला. रक्षा मामलों पर नजर रखने वाली वेबसाइट IDRW के मुताबिक इसमें हुए बदलावों को देखें तो,
- एयरोडाईनैमिक्स में बदलाव: नए डिजाइन में सुखोई ने विमान के 'फ्लैपरॉन्स' को बड़ा किया. फ्लैपरॉन्स विमान के पंखों के पिछले हिस्से में लगे होते हैं. इसकी बदौलत पायलट विमान को कंट्रोल करता है. अगर आपने कभी फ्लाइट में पंखों के बगल वाली विंडो सीट पर ट्रेवल किया है तो आपने विंग्स के पीछे बने फ्लैप्स को ऊपर नीचे होते देखा होगा. आपने महसूस किया होगा कि फ्लैप्स के मूवमेंट करने के साथ प्लेन भी मूवमेंट कर रहा है. फाइटर जेट्स में इस हिस्से को बड़ा करने से विमान को मैनुवरिंग यानी कलाबाजी करने में मदद मिलती है. लिहाजा सुखोई ने चेकमेट में इसका साइज बढ़ाया है.
- एवियॉनिक्स और हथियार: इस विमान के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम Su-57 से ही लिए गए हैं. साथ ही इसे ऐसे डिजाइन किया गया है जिससे अगर किसी देश को ये बेचा जाए, तो उसके मुताबिक सेंसर्स इसमें इंटीग्रेट किए जा सकें. पायलट की सहूलियत के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और हथियारों के लिए एडवांस वेपन सूट लगाया गया है. चूंकि स्टेल्थ विमानों में हथियार अंदर होते हैं इसलिए इसमें 'वेपन बे' बनाया जाता है. हथियार बाहर रहने से उनके डिटेक्ट होने का खतरा बना रहता है. इस विमान में 5 इंटर्नल वेपन बे लगे हैं जो 7,400 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है. नॉन-स्टेल्थ मिशंस के लिए भी इसमें बाहर की तरफ 11 हार्डपॉइंट्स लगे हैं जहां हथियार लगाए जा सकते हैं.
- कीमत भी कम: चेकमेट में किए गए मॉडिफिकेशंस की वजह से इसकी ईंधन खपत तो कम हुई ही, साथ ही ढांचे में हुए बदलावों की वजह से इसकी ओवरऑल लागत में भी कमी आई. इसके अमेरिकी विपक्षी F-35 से तुलना करें तो इसकी ऑपरेशनल कीमत भी लगभग 5 से 6 गुना कम है.
चेकमेट बनाने वाली सुखोई का दावा है कि ये सिंगल इंजन विमान मैक 1.8 से 2.0 तक की रफ्तार पर जा सकता है. साथ ही ये 3 हजार किलोमीटर तक की रेंज के साथ आता है. इस विमान में एक और खूबी है जिसे 'सुपरक्रूज' कहते हैं. ये वो खूबी है जिसमें विमान आफ्टरबर्नर (विमान का पिछला नोजल जहां से आग जैसी निकलती है) का इस्तेमाल किए बिना भी सुपरसॉनिक रफ्तार पर जा सकता है.
प्रेसिडेंट पुतिन अपनी भारत यात्रा के दौरान इस जेट का प्रस्ताव रख सकते हैं. क्योंकि इंडियन एयरफोर्स अपने बेड़े में एक पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ विमान शामिल करना चाह रही है. भारत का AMCA अभी भी डेवलपिंग स्टेज में है. ऐसे में संभव है कि भारत अपनी स्टेल्थ जरूरतों को पूरा करने के लिए ये विमान ले सकता है.
वीडियो: रखवाले: पुलवामा का जवाब इंडियन एयरफोर्स ने सुखोई Su30 की जगह मिराज 2000 से क्यों दिया?














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