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सभापति के फैसले पर बोलना अब मना! राज्यसभा में लगेगा ‘साइलेंस मोड’

Parliament Winter Session 2025: राज्यसभा के एक बुलेटिन में कहा गया है कि सभापति के फैसलों की सदन के अंदर या बाहर आलोचना नहीं की जानी चाहिए और सदन में ‘धन्यवाद’, ‘शुक्रिया’, ‘जय हिंद’, ‘वंदे मातरम’ या कोई दूसरे नारे नहीं लगाए जाने चाहिए.

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नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन पहली बार राज्यसभा की अध्यक्षता करेंगे (फोटो: आजतक)

1 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है. नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) पहली बार इस सत्र में राज्यसभा की अध्यक्षता करेंगे. इससे पहले राज्यसभा के एक बुलेटिन में कहा गया है कि सभापति के फैसलों की सदन के अंदर या बाहर आलोचना नहीं की जानी चाहिए और सदन में ‘धन्यवाद’, ‘शुक्रिया’, ‘जय हिंद’, ‘वंदे मातरम’ या कोई दूसरे नारे नहीं लगाए जाने चाहिए.

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हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार, 24 नवंबर को एक संसदीय बुलेटिन जारी किया गया. जिसमें बताया गया कि सदन में सबूत पेश करना उचित नहीं है और अगर कोई सांसद किसी दूसरे सांसद या मंत्री की आलोचना करता है, तो मंत्री (जिसकी आलोचना की गई) को यह अधिकार है कि आलोचना करने वाला उसका जवाब सुनने के लिए सदन में मौजूद रहे. 

बुलेटिन में कहा गया कि जब मंत्री जवाब दे रहे हों, तब सदन में गैर-मौजूद रहना ‘संसदीय शिष्टाचार’ का उल्लंघन है. सांसदों के आचरण से जुड़े ये मुद्दे दोनों सदनों के सांसदों की स्टैंडर्ड हैंडबुक का हिस्सा हैं. 

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बीते दो सालों में, राज्यसभा के सभापति और विपक्षी सांसदों के बीच रिश्ते खराब हो गए थे. दिसंबर, 2024 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष द्वारा एक महाभियोग प्रस्ताव भी लाया गया था, लेकिन इसे राज्यसभा में मंजूर नहीं किया गया था. तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तकनीकी आधार पर नोटिस खारिज कर दिया था.

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सदन में उठेगा ‘वोट चोरी’ का मुद्दा

अब देखना यह होगा कि इस शीतकालीन सत्र में उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन और विपक्ष के बीच कितनी पटती है. माना जा रहा है कि विपक्ष अपने कथित 'वोट चोरी' के मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर उठाएगा. 

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सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि चुनाव आयोग (ECI) से जुड़े मुद्दों पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती, क्योंकि केंद्र चुनाव आयोग की तरफ से जवाब नहीं दे सकता. जबकि, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने HT को बताया कि ऐसे नौ उदाहरण थे जहां संसद में चुनाव आयोग के कामकाज पर चर्चा हुई. 

राज्यसभा बुलेटिन में कहा गया है, 

सभापति द्वारा दिए गए फैसलों की सदन के अंदर या बाहर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए.

बुलेटिन में संसदीय रीति-रिवाजों और परंपराओं का हवाला देते हुए कहा गया है, “सदन की कार्यवाही की गरिमा और गंभीरता के लिए यह जरूरी है कि सदन में 'धन्यवाद', 'शुक्रिया', 'जय हिंद', 'वंदे मातरम' या कोई दूसरे नारे नहीं लगाए जाने चाहिए.”

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