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मेडिकल कॉलेज का फॉर्म भरते समय जो गरीब था, उसने एक करोड़ की फीस भर एडमिशन ले लिया

एक ट्रेनी डॉक्टर ने बताया कि जब EWS कैंडिडेट्स की रैंक बहुत कम आती है, तो वे NRI बन जाते हैं या मैनेजमेंट कोटा की सीटें लेते हैं, जिनकी पूरी कोर्स की फीस एक करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो सकती है. उन्होंने कहा कि ऐसा सिर्फ भारत में ही हो सकता है.

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मेडिकल कॉलेजों में सीटों के अलॉटमेंट का पहला राउंड पूरा हो चुका है. (सांकेतिक फोटो: इंडिया टुडे)

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लगभग 140 कैंडिडेट्स ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की उन पीजी सीटों पर एडमिशन लिया है, जिनकी ट्यूशन फीस ही 25 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये सालाना है. इससे EWS सर्टिफिकेट की वैधता पर सवाल उठ रहे हैं. ये सीटें मैनेजमेंट और NRI कोटे के तहत आती हैं.

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एक पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर ने TOI से बात करते हुए कहा कि वे EWS कैंडिडेट्स के तौर पर पीजी NEET एग्जाम के लिए अप्लाई करते हैं और जब उनकी रैंक बहुत कम आती है, तो वे NRI बन जाते हैं और करोड़ों रुपये की फीस देते हैं या मैनेजमेंट कोटा की सीटें लेते हैं, जिनकी पूरी कोर्स की फीस एक करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो सकती है. उन्होंने कहा कि ऐसा सिर्फ भारत में ही हो सकता है.

डॉक्टर ने आगे कहा कि पिछले साल भी ऐसा हुआ था, फिर भी सरकार ने फर्जी EWS सर्टिफिकेट वाले कैंडिडेट्स के मामले की कोई जांच नहीं की, जिससे उन कैंडिडेड्स को मौके नहीं मिले, जो योग्य थे. 

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रिपोर्ट के मुताबिक, एक EWS कैंडिडेट ने बेलगावी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में त्वचाविज्ञान (Dermatology) में एमडी के लिए NRI कोटे की सीट ली है, जिसकी NEET रैंक 1.1 लाख से कम थी. यहां NRI के लिए सालाना ट्यूशन फीस एक करोड़ रुपये से ज्यादा है. 84,000 से कम रैंक वाले एक दूसरे EWS कैंडिडेट ने पुडुचेरी के विनायक मिशन्स मेडिकल कॉलेज में जनरल मेडिसिन में एमडी के लिए NRI कोटे की सीट चुनी है, जहां ट्यूशन फीस 55 लाख रुपये सालाना से ज्यादा है.

ऐसे कोई एक या दो मामले नहीं है. देश भर के कई प्राइवेट और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में करीब 140 से ज्यादा EWS कैंडिडेट्स ने इसी तरह से एडमिशन लिए हुए हैं. 

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मेडिकल कॉलेजों में सीटों के अलॉटमेंट का पहला राउंड पूरा हो चुका है और लगभग 27,000 उम्मीदवारों के अलॉटमेंट का ऐलान किया जा चुका है. सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में 52,000 से ज़्यादा पीजी सीटें हैं, जिनमें एमडी, एमएस और पीजी डिप्लोमा सीटें शामिल हैं. अगस्त में आयोजित नीट पीजी इंट्रेस एग्जाम में 2.4 लाख से ज़्यादा कैंडिडेट्स शामिल हुए थे और लगभग 1.3 लाख कैंडिडेट्स पास हुए. 

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