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'स्मार्टफोन नहीं चला सकतीं बेटियां', क्योंकि 15 गांवों की पंचायत के मर्दों को बहुत कष्ट हो रहा है

Rajasthan में यह फैसला जालोर के भीनमाल और रानीवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के गांवों पर लागू किया गया है. इसमें बहू-बेटियों के साथ-साथ स्कूली और कॉलेज की छात्राएं भी शामिल हैं.

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इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है. (फोटो: X/AI Generated )

राजस्थान के जालोर जिले में चौधरी (पटेल) समाज के पंचों ने एक विवादित फैसला सुनाया है. सुंधा माता पट्टी के चौधरी समाज की 21 दिसंबर को हुई बैठक में यह फैसला किया गया कि इलाके के 15 से ज्यादा गांवों की बहू-बेटियां स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करेंगी. उन्हें केवल की-पैड वाले सामान्य मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की अनुमति होगी.

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आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला जालोर के भीनमाल और रानीवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के गांवों पर लागू किया गया है. इसमें बहू-बेटियों के साथ-साथ स्कूली और कॉलेज की छात्राएं भी शामिल हैं. इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है.

जहां केंद्र और राज्य सरकारें महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, वहीं, समाज का एक हिस्सा ऐसे फरमान जारी कर रहा है. हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ‘लखपति दीदी योजना’ के तहत हजारों महिलाओं को टैबलेट वितरित किए थे और महिलाओं से आगे बढ़ने की अपील की थी. इसके बावजूद जालोर में पंचों ने महिलाओं पर यह रोक लगाई है.

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समाज के अध्यक्ष का बयान

सुधां माता पट्टी चौधरी समाज के अध्यक्ष सुजानाराम चौधरी ने बताया कि बैठक में समाज के लोगों के सुझाव के बाद यह फैसला लिया गया. उन्होंने कहा कि समाज की बहू-बेटियां अब स्मार्टफोन की जगह की-पैड फोन का उपयोग करेंगी. यह फैसला पंच हिम्मतराम ने सुनाया.

इस मामले में समाज के पंचों ने कैमरे के सामने आने से इनकार कर दिया है. फोन पर उन्होंने बताया कि यह फैसला छोटे बच्चों में मोबाइल की लत छुड़ाने के मकसद से लिया गया है.

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दिलचस्प बात यह है कि जिस चौधरी समाज ने यह फैसला लिया है, उसी समाज से जालोर-सिरोही के सांसद लुंबाराम चौधरी, पूर्व सांसद देवजी एम. पटेल, प्रदेश के कानून मंत्री जोगाराम पटेल, सांचौर विधायक जीवाराम चौधरी और पूर्व विधायक पूराराम चौधरी आते हैं.

पुलिस ने क्या कहा?

इस मामले पर जालोर के पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र इंदोलिया ने कहा कि उन्हें इस तरह के किसी फैसले की जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि यह एक समाज का अंदरूनी फैसला बताया जा रहा है, लेकिन अगर इस संबंध में कोई शिकायत मिलती है तो पुलिस कार्रवाई करेगी.

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