राजस्थान की राजधानी जयपुर से 70 किमी दूर एक शहर है- सांभर. इसे ‘सॉल्ट लेक सिटी’ भी कहा जाता है. खारे पानी की झीलों से यहां खूब नमक बनता है. इसके अलावा विदेशी पक्षियों की वजह से भी ये जगह मशहूर है. अभी इस शहर में जाएंगे तो हर घर के आगे एक पोस्ट जरूर देखने को मिलेगा. और उस पर लिखा होगा- ‘ये घर बिकाऊ है’. ये पोस्टर इलाके में पानी के गंभीर संकट की ओर इशारा कर रहे हैं. पीने वाले पानी के बिना लोगों का यहां पर रहना मुहाल है.
राजस्थान के इस शहर के घरों के आगे लिखा- 'ये मकान बिकाऊ है', वजह जान गला सूख जाएगा!
राजस्थान के साल्ट लेक सिटी सांभर में पानी के संकट के कारण लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं. लोगों के घरों के बाहर पोस्टर लगे हैं कि ये घर बिकाऊ है.

एनडीटीवी के वीरेंद्र सिंह शेखावत और हर्षा कुमारी की रिपोर्ट के मुताबिक हालत ये है कि एक ही रोड पर कई घरों के बाहर लिख दिया गया है- ‘ये घर बिक्री के लिए उपलब्ध है.’ सांभर के चारभुजा मंदिर के आसपास वार्ड 22 और 23 में कई घरों पर इस तरह के पोस्टर देखे जा सकते हैं. इनमें से कुछ घर 200 साल से भी ज्यादा पुराने हैं.
वार्ड नंबर 23 के भाजपा पार्षद गौतम सिंघानिया ने एनडीटीवी से कहा कि पिछले 7 सालों से उनके पास पानी की टंकी नहीं है, जो पाइपलाइन के जरिए हमारे घरों में पानी सप्लाई करे. वार्ड के लगभग 200 लोगों ने एक साथ फैसला किया है कि यहां से पलायन करना ही बेहतर है. अगर पानी नहीं होगा तो यहां रहने का क्या मतलब है.
सिंघानिया ने कहा,
हमने हर गली में घर बिक्री के लिए पोस्टर लगाए हैं. ये तकरीबन 150 घरों पर लगे हैं. पिछले 2 सालों से लोग लगातार यहां से पलायन कर रहे हैं. इस गर्मी में तो पानी का संकट चरम पर पहुंच गया है, लेकिन जल विभाग को इसकी कोई चिंता नहीं है.
बीजेपी पार्षद ने बताया कि सांभर में तकरीबन 3500 लोग थे, लेकिन पलायन के बाद अब यह संख्या 1700 हो गई है. जो लोग बचे हैं, वो भी जल्द यहां से चले जाने की योजना बना रहे हैं.
सांभर की रहने वाली मंजू शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपना आधा सामान हटा लिया है. उनका परिवार शहर के बाहरी इलाके में किराये के घर में रहने के लिए जाने वाला है क्योंकि यहां पानी नहीं है.
सांभर राजस्थान के फुलेरा विधानसभा क्षेत्र में आता है. यहां के कांग्रेस विधायक विद्याधर चौधरी ने कहा कि उनके इलाके को बीसलपुर बांध से मिलने वाले पानी का आधा हिस्सा ही मिल रहा है. उन्होंने कहा,
हमें 18 मेगालीटर प्रतिदिन (एमएलडी) पानी मिल रहा था लेकिन फिलहाल सिर्फ 9 एमएलडी मिल रहा है. इससे पानी का संकट पैदा हो गया है. यह संकट केवल सांभर तक सीमित नहीं है, बल्कि नारायणा, फुलेरा सांभर, रेनवाल और इलाके के 163 ग्रामीण गांवों तक फैल चुका है.
विधायक ने यह भी कहा कि उन्होंने 31 जनवरी को विधानसभा में यह मुद्दा उठाया था. इसके जवाब में मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने बताया कि पुरानी पाइपलाइनों के कारण इलाके को निर्धारित पानी की मात्रा का आधा ही सप्लाई हो पा रहा है. पाइपलाइन ज्यादा पानी का दबाव नहीं उठा सकती हैं. उन्होंने बताया कि सूरजपुरा से सांभर तक एक ट्रांसमिशन पाइपलाइन बिछाने का काम चल रहा है, जो 15 जून तक पूरा हो जाएगा. इसके बाद फुलेरा विधानसभा क्षेत्र को 24 घंटे में एक बार या 48 घंटे में एक बार पानी मिलने लगेगा.
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