The Lallantop

'जोधा नहीं दासी की बेटी से हुई अकबर की शादी', राजस्थान के गवर्नर ने दावा किया है

Jodha-Akbar Marriage Story: राजस्थान के राज्यपाल Haribhau Bagde ने दावा किया कि अकबर की जीवनी ‘अकबरनामा’ में जोधा और अकबर की शादी का कोई उल्लेख नहीं है. साथ ही उन्होंने इस दावे का भी खंडन किया कि महाराणा प्रताप ने अकबर को संधि पत्र लिखा था.

Advertisement
post-main-image
राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि जोधा और अकबर की शादी नहीं हुई थी (फोटो: आजतक)

राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने दावा किया है कि ब्रिटिश इतिहासकारों के प्रभाव के चलते भारतीय इतिहास में कई गलतियां दर्ज की गई हैं. जिनमें जोधाबाई और मुगल सम्राट अकबर की शादी की कहानी भी शामिल है (Rajasthan Governor on Akbar). उन्होंने कहा कि अकबर की जीवनी ‘अकबरनामा’ में जोधा और अकबर की शादी का कोई उल्लेख नहीं है.

Advertisement

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार, 28 मई की शाम उदयपुर के एक कार्यक्रम में बोलते हुए राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने दावा किया कि ऐसा कहा जाता है कि जोधा और अकबर की शादी हुई थी और इस कहानी पर एक फिल्म भी बनी थी. उन्होंने कहा,

इतिहास की किताबें भी यही कहती हैं लेकिन यह झूठ है. भारमल नाम का एक राजा था और उसने एक दासी की बेटी की शादी अकबर से कर दी थी.

Advertisement

उनके इस बयान ने 1569 में आमेर शासक भारमल की बेटी और अकबर के बीच शादी की ऐतिहासिक जानकारी पर एक बार फिर बहस छेड़ दी. जिस पर लंबे वक्त से विवाद चलता आ रहा है. बताते चलें कि आमेर या अम्बर, वर्तमान जयपुर के पास एक राजपूत राज्य था और इस पर कछवाहा राजपूतों का शासन था. इसके बाद सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1727 में राजधानी को जयपुर ट्रांसफर कर दिया था. राज्यपाल बागड़े ने कहा, 

अंग्रेजों ने हमारे नायकों का इतिहास बदल दिया. उन्होंने इसे ठीक से नहीं लिखा और इतिहास का उनका संस्करण शुरू में स्वीकार कर लिया गया. बाद में, कुछ भारतीयों ने इतिहास लिखा. लेकिन यह अभी अंग्रेजों से प्रभावित था.

ये भी पढ़ें: जोधाबाई का वो सच जिस पर बॉलीवुड ने लगातार पर्दा डाला

Advertisement
महाराणा प्रताप पर क्या बोला?

राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने इस ऐतिहासिक दावे का भी खंडन किया कि राजपूत शासक महाराणा प्रताप ने अकबर को संधि पत्र लिखा था. उन्होंने इस दावे को पूरी तरह भ्रामक बताया और कहा,

महाराणा प्रताप ने कभी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया. इतिहास में अकबर के बारे में ज्यादा पढ़ाया जाता है और महाराणा प्रताप के बारे में कम.

राज्यपाल बागड़े ने कहा कि अब स्थिति में सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा, 

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हमारी संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को संरक्षित करते हुए नई पीढ़ी को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है.

इस दौरान उन्होंने देशभक्ति के प्रतीक के रूप में महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रशंसा की. उन्होंने कहा दोनों के जन्म में 90 साल का अंतर है. अगर वे समकालीन होते तो देश का इतिहास अलग होता. 

वीडियो: तारीख: कौन थी अनारकली? अकबर ने क्या वाकई में उसे दीवार में चुनवा दिया था?

Advertisement