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#Railway_Reform सोशल मीडिया पर क्यों ट्रेंड हुआ? 10 लाख से ज्यादा पोस्ट हो गए

#Railway_Reform के तहत पांच मांगें की जा रही हैं. कहा जा रहा है कि खान सर और राकेश यादव जैसे शिक्षकों ने इस हैशटैग की शुरुआत की है.

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छात्रों ने रेलवे से पांच मांगे की हैं. (तस्वीर: सोशल मीडिया)

भारतीय रेलवे (Indian Railway) में नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार लाने की मांग की जा रही है. इसको लेकर सोशल मीडिया एक्स पर हैशटैग अभियान चल रहा है. #Railway_Reform के तहत पांच मांगें की जा रही हैं. एक्स पर इस बारे में लगातार लिखा जा रहा है. खान सर और राकेश यादव जैसे शिक्षकों ने इस हैशटैग की शुरुआत की है.

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4 जुलाई से शुरू हुए कैंपेन में लाखों एक्स पोस्ट लिखे जा चुके हैं. शुरूआती दिन को ये हैशटैग कुछ समय के लिए एक्स पर ट्रेंडिंग लिस्ट में आ गया था. छात्रों ने रेलवे से नौकरी, न्याय और पारदर्शिता की मांग की है. उनकी मांगे इस प्रकार हैं-

  1. रेलवे कैलेंडर जारी किया जाए.
  2. ग्रुप डी में वेकेंसी की संख्या बढ़ाई जाए.
  3. रेलवे भर्ती में वेटिंग लिस्ट की पारदर्शिता हो.
  4. परीक्षा केंद्र छात्रों की सुविधा के अनुसार दिए जाएं.
  5. भर्ती में किसी भी तरह की धांधली के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
Railway Reform
#Railway_Reform

इस अभियान की शुरुआत करते हुए खान सर ने एक वीडियो जारी किया था, जो सोशल मीडिया पर वायरल है. उनका कहना है कि इतने सालों के बाद भी भर्ती के मामले में रेलवे में पारदर्शिता की कमी है. उनका कोई कैलेंडर नहीं है, जिसके कारण साल भर में कब क्या होना है, छात्रों को इसका कोई अंदाजा ही नहीं मिलता. एग्जाम सेंटर के मामले में शिकायतें की गई हैं. उन्होंने कहा है कि छात्रों को परीक्षा देने के लिए अपने घरों से बहुत दूर भेज दिया जाता है, इस व्यवस्था में सुधार की जरूरत है.

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कई अन्य शिक्षकों और छात्रों ने भी सोशल मीडिया पर रेलवे से अपना आपत्ति दर्ज कराई है. उनका कहना है कि छात्र पिछले कुछ समय से रेलवे के विवादों में ही उलझकर रह गए हैं. एक पैटर्न बना गया है, पहले परीक्षा दो फिर विरोध-प्रदर्शन करो और FIR का सामना करो.

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लाखों पद खाली लेकिन भर्ती सिर्फ 32,000 पर

रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) ने जनवरी में महीने में ग्रुप डी भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी. छात्रों ने तब भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. उन्होंने कहा था कि लाखों पद खाली होने के बावजूद भी सिर्फ 32,438 पदों पर ही भर्ती का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने कम से कम एक लाख पदों पर भर्ती की मांग की थी.

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