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कुंभ में इसरो और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर पर पैसे क्यों खर्च कर रही है योगी सरकार?

इस साल कुंभ मेले पर Yogi Adityanath की सरकार 7 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है. जिसमें से 16 सौ करोड़ रुपये अकेले Water और Waste Management के लिए निर्धारित किया गया है. इन 16 सौ करोड़ रुपये में से 316 करोड़ रुपये मेले को खुले में शौच मुक्त (ODF) बनाने पर खर्च किए जाएंगे.

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प्रयागराज महाकुंभ में वेस्ट मैनेजमेंट के लिए आगे आई इसरो. (इंडिया टुडे)

प्रयागराज (Prayagraj Mahakumbh) में हरेक 12 साल के अंतराल पर आयोजित होने वाला महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा. देश में होने वाले सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में इस बार 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के पहुंचने की उम्मीद है. इसके अलावा 50 लाख तीर्थयात्रियों और साधुओं के पूरी अवधि के लिए शिविरों में रहने की संभावना है. गंगा के किनारे 10 हजार एकड़ में बने टेंट और आलीशान डोम में अब लोग आने लगे हैं. लोगों के पहुंचने के साथ ही मेले के प्रबंधन में जुटे अधिकारी एक बड़ी चुनौती के लिए कमर कस रहे हैं. इस धार्मिक आयोजन के दौरान प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कचरे का प्रबंधन और ट्रीटमेंट.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रयागराज में पिछला महाकुंभ 12 साल पहले 2013 में हुआ था. उस समय उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी. उस समय लगभग 12 करोड़ तीर्थयात्री मेले में आए थे.इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुटने के चलते अधिकारियों के सामने हर दिन  भारी मात्रा में पैदा होने वाले कचरे से निपटने की चुनौती होगी. खबर है कि मेला प्रबंधन ह्यूमन वेस्ट (मल) और ग्रेवाटर (खाना पकाने, कपड़े धोने और नहाने से निकलने वाले दूषित जल) से निपटने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है.

अधिकारियों के मुताबिक, इस साल कुंभ मेले पर योगी आदित्यनाथ की सरकार 7 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है. जिसमें से 16 सौ करोड़ रुपये अकेले वाटर और वेस्ट मैनेजमेंट के लिए निर्धारित किया गया है. इन 16 सौ करोड़ रुपये में से 316 करोड़ रुपये मेले को खुले में शौच मुक्त (ODF) बनाने पर खर्च किए जाएंगे. जिसमें टॉयलेट्स और यूरिनल्स बनाने और उनकी देखभाल शामिल है. मेले में 1लाख 45 हजार टॉयलेट बनाए जाएंगे.

अधिकारियों का अनुमान है कि मौनी अमावस्या जैसे स्नान के प्रमुख अवसरों पर 50 लाख लोग आते हैं. जिसके चलते लगभग 160 लाख लीटर मल और लगभग 24 सौ लीटर ग्रेवाटर उत्पन्न होने की संभावना है. महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए राज्य सरकार ने दिसंबर 2024 में मेला क्षेत्र को 76 वें जिले के तौर पर नोटिफाई किया था. मेला ग्राउंड को 25 सेक्टर में बांटा गया है. प्रत्येक सेक्टर शहर के एक वार्ड की तरह काम करेगा. जिसमें सबका अलग-अलग वाटर सप्लाई, ड्रेनेज सिस्टम और वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर होगा.

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