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पीएम नरेंद्र मोदी की डिग्री का नहीं होगा खुलासा, हाई कोर्ट ने CIC के आदेश को रद्द किया

Delhi High Court के जस्टिस सचिन दत्ता ने Delhi University (DU) की अपील पर यह फैसला सुनाया है. 2017 में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने PM Narendra Modi की ग्रेजुएशन की डिग्री की जानकारी देने का आदेश दिया था.

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PM नरेंद्र मोदी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) से ग्रेजुएशन किया है. (PTI)

दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से जुड़ी जानकारी का खुलासा करने के केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के आदेश को रद्द कर दिया है. यह मामला साल 2017 से कोर्ट में लंबित था. जस्टिस सचिन दत्ता ने सोमवार, 25 अगस्त को दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) की उस याचिका को मंजूरी दी जिसमें CIC के आदेश को चुनौती दी गई थी.

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बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, "CIC के आदेश को रद्द किया जाता है." दिल्ली यूनिवर्सिटी की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा,

"पुट्टास्वामी मामले में सर्वसम्मति से एक निष्कर्ष निकाला गया था कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है. निजता का अधिकार, जानने के अधिकार से ऊपर है"

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तुषार मेहता ने कहा कि किसी की व्यक्तिगत जानकारी RTI के तहत नहीं मांगी जा सकती है. उन्होंने आगे कहा कि कोई 1978 में पास हुआ है, यह उसके मौजूदा कर्तव्यों से जुड़ा नहीं है. मेहता ने कहा कि आप इसे राजनीतिक मकसद से इस्तेमाल करना चाहते हैं.

एसजी तुषार मेहता ने RTI के गलत इस्तेमाल की भी बात की. उन्होंने कहा,

"अगर ऐसे आवेदन स्वीकार किए जाते हैं, तो सरकारी अधिकारी अपना काम पूरा नहीं कर पाएंगे. लोग पुराने दस्तावेज ढूंढते रहेंगे, और उलझे रहेंगे. RTI एक्ट का इस्तेमाल अपने कर्तव्य का पालन कर रहे अधिकारियों को डराने-धमकाने के हथियार के रूप में नहीं किया जा सकता."

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तुषार मेहता ने कोर्ट में दलील दी कि यह आदेश देश भर के विश्वविद्यालयों के लिए गंभीर परिणाम लेकर आएगा, क्योंकि वे करोड़ों छात्रों की डिग्री की जानकारी एक 'फिड्युशरी' (विश्वास आधारित) क्षमता में रखते हैं.

वहीं, राइट टू इन्फॉर्मेशन (RTI) के आवेदक नीरज शर्मा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस दावे का विरोध किया कि छात्रों की डिग्री की जानकारी 'फिड्युशरी' संबंध में आती है. उन्होंने दलील दी,

"अगर मैं ब्रह्मांड से कहूं कि मुझे मुझे लिखने के लिए किसी की मदद चाहिए क्योंकि मैं देख नहीं सकता, तो वो बात फिड्युशरी मानी जा सकती है. मार्क्स बाहरी जानकारी नहीं हैं. अगर मैं ड्राइविंग टेस्ट देने जाता हूं, तो पास या फेल की जानकारी बाहरी है. यह फिड्युशरी रिश्ता यूनिवर्सिटी के मूल्यांकन किए पेपर के साथ नहीं आता है."

हेगड़े ने आगे कहा कि डिग्री से जुड़ी जानकारी पब्लिक डोमेन में होती है. उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी हो या सेलिब्रिटी, सभी को जानकारी पाने का अधिकार है. दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने सभी दलीलें सुनने के बाद CIC के आदेश को रद्द कर दिया और यूनिवर्सिटी को राहत दी.

क्या था पूरा मामला?

RTI आवेदक नीरज शर्मा ने जानकारी मांगी थी कि 1978 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA) की डिग्री किस-किस ने हासिल की थी. यह वही साल है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने अपने चुनावी हलफनामे में BA (राजनीति विज्ञान) पास करने का दावा किया है.

इस मुद्दे को 2016 में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उठाया था. उन्होंने पीएम मोदी से डिग्री का खुलासा करने की मांग की थी. नीरज शर्मा की मांगी जानकारी को यूनिवर्सिटी ने यह कहकर देने से मना कर दिया था कि यह निजी जानकारी है और इसका सार्वजनिक हित से कोई लेना-देना नहीं है.

इसके खिलाफ शर्मा ने CIC में अपील की. दिसंबर 2016 में CIC के सूचना आयुक्त प्रोफेसर एम आचार्युलु ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को 1978 के BA पास छात्रों की लिस्ट सार्वजनिक करने का आदेश दिया था. इस आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी ने 23 जनवरी 2017 को हाई कोर्ट का रुख किया था, जिस पर अब फैसला आया है.

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