The Lallantop

अमित शाह ने विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार को बताया था ‘नक्सलवाद का समर्थक’, 18 पूर्व जज भड़के

18 जजों के ग्रुप में सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके कुरियन जोसेफ, मदन बी लोकुर और जे चेलमेश्वर भी शामिल हैं. शाह ने शुक्रवार को केरल में कहा था कि सुदर्शन रेड्डी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने नक्सलवाद की मदद की. अगर सलवा जुडूम पर फैसला नहीं सुनाया गया होता तो नक्सली आतंकवाद 2020 तक खत्म हो गया होता.

Advertisement
post-main-image
शाह ने सलवा जुडूम केस पर सुनाया था फैसला. (फाइल फोटो)

विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी पर की गई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी की 18 रिटायर्ड जजों के एक ग्रुप ने कड़े शब्दों में निंदा की है. जजों ने शाह की टिप्पणी को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया है. पूर्व जजों ने शाह को ‘नाम लेकर टिप्पणी करने’ से बचने की भी सलाह दी. शाह ने विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी को पहले के एक फैसले की आलोचना करते हुए उन्हें ‘नक्सलवाद का समर्थक’ बताया था. 

Add Lallantop As A Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जजों ने साझा बयान में कहा कि बड़े पद पर बैठे नेता को अदालत के फैसले की “पूर्वाग्रहपूर्ण गलत व्याख्या” से जजों पर नकारात्मक असर और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है. उनका फैसला किसी भी प्रकार से नक्सलवाद या उसकी विचारधारा का समर्थन नहीं करता है.

पूर्व जजों ने कहा कि भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए अभियान वैचारिक हो सकता है. लेकिन इसे शालीनता और गरिमा के साथ चलाया जा सकता है. किसी भी उम्मीदवार की कथित विचारधारा की आलोचना करने से बचना चाहिए.

Advertisement

18 जजों के ग्रुप में सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके कुरियन जोसेफ, मदन बी लोकुर और जे चेलमेश्वर भी शामिल हैं. इस साझा बयान पर दस्तखत करने वाले पूर्व जजों में ए.के. पटनायक, अभय ओका, गोपाल गौड़ा, विक्रमजीत सेन, कुरियन जोसेफ, मदन बी. लोकुर और जे. चेलमेश्वर शामिल थे. इसके अलावा हाईकोर्ट के तीन पूर्व चीफ जस्टिस संजीव बनर्जी, गोविंद माथुर और एस. मुरलीधर ने भी अपनी बात रखी. 

शाह ने शुक्रवार को केरल में कहा था कि सुदर्शन रेड्डी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने नक्सलवाद की मदद की. उन्होंने सलवा जुडूम पर फैसला सुनाया. अगर सलवा जुडूम पर फैसला नहीं सुनाया गया होता तो नक्सली आतंकवाद 2020 तक खत्म हो गया होता. वह वही व्यक्ति हैं जो सलवा जुडूम पर फैसला देने वाली विचारधारा से प्रेरित थे. दूसरी तरफ रेड्डी ने शनिवार 23 अगस्त को पलटवार करते हुए कहा था कि यह फैसला उन्होंने नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था. अगर शाह ने पूरा फैसला पढ़ा होता तो वे संदर्भ समझ जाते.

गौरतलब है कि रेड्डी की जस्टिस एस. एस. निज्जर बेंच ने साल 2011 में इस मामले में फैसला दिया था. इस फैसले में माओवादी और उग्रवाद से निपटने के लिए आदिवासी युवाओं को विशेष पुलिस अधिकारियों के रूप में इस्तेमाल करना गैरकानूनी माना गया था.

Advertisement

वीडियो: अमित शाह ने लगाए थे नक्सल समर्थन के आरोप, अब पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी ने जवाब दिया है

Advertisement